नई दिल्ली। भीम आर्मी ने 21 अगस्त की रात दिल्ली में लाठीचार्च और 96 लोगों की घटनाओं की निंदा की है। इसके साथ ही संगठन ने कहा है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने भीम आर्मी का नाम खराब करने का षडयंत्र रचा है।
भीम आर्मी का आरोप है कि संगठन प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद और राष्ट्रीय अध्यक्ष, विनय रतन को पुलिस ने हिरासत में बांधकर बेरहमी से रातभर पीटा। भीम आर्मी को महिला प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं करने दी गई। हिरासत में लिए गए चंद्रशेखर को अगले दिन जब अदालत में पेश करने ले जाया गया तो वे मुश्किल से चल पा रहे थे। क्या यह मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है? वर्तमान की फासीवादी ब्राह्मणवादी सरकार नियोजित रणनीति के जरिए हमें डराना चाहती है।
भीम आर्मी ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था की थी जो, जबरदस्ती पुलिस और सरकार द्वारा रद्द करा दी गई। यानि यह फासीवादी सरकार अपनी बात भी नहीं रखने देना चाहती। किसी की आवाज का दमन करना अलोकतांत्रिक है और सारी बातें एक अघोषित आपातकाल की ओर इशारा करती हैं।
भीम आर्मी ने चेतावनी दी है कि यदि अगले 10 दिनों में केंद्र सरकार ध्वस्त किए गए रविदास मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश नहीं लाती और अवैध रूप से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा नहीं करती तो एससी, एसटी के साथ ही ओबीसी समाज भी मिलकर 'भारत बंद' करेगा। मंदिर नहीं बनने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
भीम आर्मी भारत एकता मिशन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव कमल सिंह वालिया ने कहा कि भीमसेना केंद्र सरकार को दस दिन का समय देती है। अगर दस दिन में रविदास गुरुधर मंदिर नहीं बनवाया गया, तो भारत बंद बुलाकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। मंदिर नहीं बनने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
कमल सिंह वालिया ने कहा कि तुगलकाबाद बवाल के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकार ने पुलिस के जरिए प्रदर्शनकारियों के बीच शरारती तत्व घुसा दिए। इन शरारती तत्वों ने रविदास मार्ग पर कारों में तोडफ़ोड़ व आगजनी की। सरकारी एजेंसियों व मनुवादी सरकार ने ये बवाल करवाया है। भीम सेना के कार्यकर्ता व अन्य राज्यों से आए लोग अपना प्रदर्शन शांतिपूर्ण कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि भीम सेना के कार्यकर्ताओं ने तुगलकाबाद में तोडफ़ोड़ नहीं की।
सेना नेताओं ने रविदास मंदिर तोड़े जाने और आंदोलनकारियों पर हुए पुलिस जुल्म के खिलाफ 25 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय धिक्कार दिवस मनाने की घोषणा की है।
तुगलकाबाद में रविदास स्मारक के लिए रैली के बाद हुई हिंसा के बारे में इंडियन एक्सप्रेस की ये लाइन भीम आर्मी के दावे की पुष्टि करती है जिसमें कहा गया है कि सरकार की शह पर पुलिस ने भीड़ में नकाबपोश अराजक तत्व घुसाए जिन्होंने तोड़फोड़ की है।
"पुलिस ने कल्पना (52) को आगाह किया, उसके बाद कल्पना ने अपना जेनरल स्टोर बंद कर दिया! उसके कुछ ही देर बाद कल्पना ने खिड़की से देखा और दावा किया कि कुछ युवकों ने नकाब से अपना चेहरा छिपा रखा था। उन्होंने वहां एक मोटरसाइकिल को आग लगा दिया!"
सवाल है कि रामलीला मैदान से लेकर तुगलकाबाद तक रैली में शामिल लोगों को नकाब से अपना चेहरा ढकने की जरूरत नहीं महसूस हुई, लेकिन वहां वे कौन लोग थे जो चेहरे को ढक कर मोटरसाइकिल को आग लगा रहे थे! पता नहीं, पकड़े गए लोगों में वे नकाबधारी लोग शामिल हैं या नहीं!
भीम आर्मी का आरोप है कि संगठन प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद और राष्ट्रीय अध्यक्ष, विनय रतन को पुलिस ने हिरासत में बांधकर बेरहमी से रातभर पीटा। भीम आर्मी को महिला प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं करने दी गई। हिरासत में लिए गए चंद्रशेखर को अगले दिन जब अदालत में पेश करने ले जाया गया तो वे मुश्किल से चल पा रहे थे। क्या यह मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है? वर्तमान की फासीवादी ब्राह्मणवादी सरकार नियोजित रणनीति के जरिए हमें डराना चाहती है।
भीम आर्मी ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था की थी जो, जबरदस्ती पुलिस और सरकार द्वारा रद्द करा दी गई। यानि यह फासीवादी सरकार अपनी बात भी नहीं रखने देना चाहती। किसी की आवाज का दमन करना अलोकतांत्रिक है और सारी बातें एक अघोषित आपातकाल की ओर इशारा करती हैं।
भीम आर्मी ने चेतावनी दी है कि यदि अगले 10 दिनों में केंद्र सरकार ध्वस्त किए गए रविदास मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश नहीं लाती और अवैध रूप से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा नहीं करती तो एससी, एसटी के साथ ही ओबीसी समाज भी मिलकर 'भारत बंद' करेगा। मंदिर नहीं बनने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
भीम आर्मी भारत एकता मिशन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव कमल सिंह वालिया ने कहा कि भीमसेना केंद्र सरकार को दस दिन का समय देती है। अगर दस दिन में रविदास गुरुधर मंदिर नहीं बनवाया गया, तो भारत बंद बुलाकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। मंदिर नहीं बनने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
कमल सिंह वालिया ने कहा कि तुगलकाबाद बवाल के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकार ने पुलिस के जरिए प्रदर्शनकारियों के बीच शरारती तत्व घुसा दिए। इन शरारती तत्वों ने रविदास मार्ग पर कारों में तोडफ़ोड़ व आगजनी की। सरकारी एजेंसियों व मनुवादी सरकार ने ये बवाल करवाया है। भीम सेना के कार्यकर्ता व अन्य राज्यों से आए लोग अपना प्रदर्शन शांतिपूर्ण कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि भीम सेना के कार्यकर्ताओं ने तुगलकाबाद में तोडफ़ोड़ नहीं की।
सेना नेताओं ने रविदास मंदिर तोड़े जाने और आंदोलनकारियों पर हुए पुलिस जुल्म के खिलाफ 25 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय धिक्कार दिवस मनाने की घोषणा की है।
तुगलकाबाद में रविदास स्मारक के लिए रैली के बाद हुई हिंसा के बारे में इंडियन एक्सप्रेस की ये लाइन भीम आर्मी के दावे की पुष्टि करती है जिसमें कहा गया है कि सरकार की शह पर पुलिस ने भीड़ में नकाबपोश अराजक तत्व घुसाए जिन्होंने तोड़फोड़ की है।
"पुलिस ने कल्पना (52) को आगाह किया, उसके बाद कल्पना ने अपना जेनरल स्टोर बंद कर दिया! उसके कुछ ही देर बाद कल्पना ने खिड़की से देखा और दावा किया कि कुछ युवकों ने नकाब से अपना चेहरा छिपा रखा था। उन्होंने वहां एक मोटरसाइकिल को आग लगा दिया!"
सवाल है कि रामलीला मैदान से लेकर तुगलकाबाद तक रैली में शामिल लोगों को नकाब से अपना चेहरा ढकने की जरूरत नहीं महसूस हुई, लेकिन वहां वे कौन लोग थे जो चेहरे को ढक कर मोटरसाइकिल को आग लगा रहे थे! पता नहीं, पकड़े गए लोगों में वे नकाबधारी लोग शामिल हैं या नहीं!