नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में पठानकोट के जिला न्यायालय का फैसला आ गया है। इस मामले में पठानकोट जिला न्यायालय के जज तेजविंदर सिंह ने छह आरोपियों को दोषी पाया है, जबकि एक को बरी कर दिया गया है। न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने मंदिर के संरक्षक व ग्राम प्रधान सांजी राम, एसपीओ सुरेन्द्र कुमार, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार को दोषी करार दिया गया है। जबकि सांजी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया है। आरोपियों की सजा की घोषणा दोपहर दो बजे की जाएगी।
इस मामले में 100 से ज्यादा सुनवाई और 130 से अधिक गवाहों के बयान सुनने के बाद, पठानकोट की जिला और सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। पिछले जून में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ‘हर दिन कैमरा ट्रायल’ कराने का आदेश दिया गया था। इस मामले में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया था।
जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के रसाना में आठ साल की एक बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और उसके बाद हत्या के मामले में विशेष अदालत सोमवार को फैसला सुनाया। देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में कैमरा ट्रायल 3 जून को पूरा हो गया था। इस पूरे मामले की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने आज ही फैसले की तारीख दी थी। आज आने वाले फैसले को देखते हुए पंजाब के पठानकोट में चाक चौबंद व्यवस्था की है।
जनवरी 2018 में कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या ने सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। जिससे इलाके में भयंकर विवाद गहराने से ध्रुवीकरण की संभावना बन गई थी। पुलिस के अनुसार, बच्ची का अपहरण और हत्या जम्मू क्षेत्र के रसाना नामक एक गांव से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की साजिश का हिस्सा था।
पुलिस के मुताबिक, एक पूर्व राजस्व अधिकारी और प्रसिद्ध स्थानीय व्यक्ति सांझी राम ने लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या की साजिश रची। अन्य आरोपी सांझी राम के भतीजे (एक किशोर), राम के बेटे विशाल जंगोत्रा, एक स्नातक छात्र, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज, उप-निरीक्षक आनंद दत्ता, और एक अन्य किशोर जोकि नाबालिग का दोस्त, इसमें शामिल थे।
यह मामला 9 अप्रैल 2018 को सुर्खियों में आया जब पुलिस ने कठुआ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया। पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने से रोकने के लिए, स्थानीय वकीलों ने हंगामा किया और निचली अदालतों में कानून-व्यवस्था का मखौल बनाते हुए समाप्त किया। जिसके बाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप कर इस मुकदमे को पठानकोट में स्थानांतरित करने का आदेश देने के साथ ही प्रत्येक दिनों की कार्रवाई कैमरे के समक्ष करने की बात कही।
इस मामले में 100 से ज्यादा सुनवाई और 130 से अधिक गवाहों के बयान सुनने के बाद, पठानकोट की जिला और सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। पिछले जून में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ‘हर दिन कैमरा ट्रायल’ कराने का आदेश दिया गया था। इस मामले में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया था।
जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के रसाना में आठ साल की एक बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और उसके बाद हत्या के मामले में विशेष अदालत सोमवार को फैसला सुनाया। देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में कैमरा ट्रायल 3 जून को पूरा हो गया था। इस पूरे मामले की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने आज ही फैसले की तारीख दी थी। आज आने वाले फैसले को देखते हुए पंजाब के पठानकोट में चाक चौबंद व्यवस्था की है।
जनवरी 2018 में कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या ने सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। जिससे इलाके में भयंकर विवाद गहराने से ध्रुवीकरण की संभावना बन गई थी। पुलिस के अनुसार, बच्ची का अपहरण और हत्या जम्मू क्षेत्र के रसाना नामक एक गांव से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की साजिश का हिस्सा था।
पुलिस के मुताबिक, एक पूर्व राजस्व अधिकारी और प्रसिद्ध स्थानीय व्यक्ति सांझी राम ने लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या की साजिश रची। अन्य आरोपी सांझी राम के भतीजे (एक किशोर), राम के बेटे विशाल जंगोत्रा, एक स्नातक छात्र, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज, उप-निरीक्षक आनंद दत्ता, और एक अन्य किशोर जोकि नाबालिग का दोस्त, इसमें शामिल थे।
यह मामला 9 अप्रैल 2018 को सुर्खियों में आया जब पुलिस ने कठुआ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया। पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने से रोकने के लिए, स्थानीय वकीलों ने हंगामा किया और निचली अदालतों में कानून-व्यवस्था का मखौल बनाते हुए समाप्त किया। जिसके बाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप कर इस मुकदमे को पठानकोट में स्थानांतरित करने का आदेश देने के साथ ही प्रत्येक दिनों की कार्रवाई कैमरे के समक्ष करने की बात कही।