बीजेपी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह मनाने का फैसला कर सशस्त्र बलों के साथ अच्छा नहीं किया है. कई सेवारत और सेवानिवृत्त वर्दीधारी लोगों ने पराक्रम पर्व नाम के इस तीन दिवसीय उत्सव पर इसलिए असंतोष व्यक्त किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने का लक्ष्य है.

'द वीक' की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर्ड ब्रिगेडियर संदीप थापर ने कहा, सेना को एक काम सौंपा गया था. इस सफलतापूर्वक कर दिया गया. उसके बाद जो कुछ हो रहा है वह सब राजनीति है, जिसकी कोई भी फौजी सराहना नहीं करता है.
सेना के विशेष बल ने 29 सितंबर 2016 को पीओके में नियंत्रण रेखा के पार सात आतंकवादी लॉन्च पैडों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी जिसमें कई आतंकवादी मारे गए थे. यह ऑपरेशन उरी में हुए आतंकी हमले का जवाब था जिसमें 19 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
चूंकि सेवारत अधिकारियों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं है, इसलिए रिटायर्ड अधिकारियों ने इस मुद्दे पर आगे आना शुरु कर दिया है. इनका कहना है कि कवर्ट ऑपरेशन को हमेशा गुप्त रखा जाना चाहिए और इससे राजनीतिक लड़ाई जीतने के बारे में बात नहीं की जानी चाहिए.
थापर ने कहा कि इस तरह के सीमा पार हमलों के मामले में, कम बात करना हमेशा अच्छा होता है. सर्जिकल स्ट्राइक दुश्मन के लिए एक सतत प्रकार का खतरा है. दुश्मन को हमेशा अगले कदम पर अंधेरे में या रहस्य में रखा जाना चाहिए. जब आप इसके बारे में बात करते हैं, तो आप दुश्मन को कुछ देते हैं। वीडियो जारी करके आप अपने हथियारों का रास्ता दे रहे हैं.
सेना सरकार के फैसले से भी हैरान है क्योंकि सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की पहली सालगिरह पर पिछले साल कोई समारोह नहीं था.
नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, यह सशस्त्र बल के लिए एक पेशेवर काम था. कार्रवाई खुद बताती है. इसको मनाना मेरी समझ से परे है.
पूर्व उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने कहा, जश्न मनाने के लिए कुछ भी नहीं है. हमने पहले भी नियंत्रण रेखा के पार इस तरह के सर्जिकल स्ट्राइक किए हैं और ये सभी स्थानीय और सामरिक स्तर पर किए हैं. यह काफी नियमित होता है. लेकिन इस बार हमने इसे घोषित कर दिया. यह सिर्फ एक प्रदर्शन था और पाकिस्तान को एक संदेश था कि हम ऐसा कार्य कर सकते हैं.
उन्होने आगे कहा, लेकिन हम सर्जिकल स्ट्राइक से हम रणनीतिक उद्देश्य को हासिल करने में सफल नहीं हुए. सबसे पहले पाकिस्तानी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक का उपहास किया है और घुसपैठियों को भेजना जारी रखा है. दूसरा उन्होने कश्मीर घाटी में भी इंसर्जेंसी को बढ़ा दिया है. सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह से दस दिन पहले उन्होने बीएसएफ के एक जवान का शरीर विक्षत कर दिया और जम्मू कश्मीर में तीन पुलिस कर्मियों को मारा है. जो भी चेतावनी आपने पाकिस्तान को दी है उसपर उसने कम ध्यान दिया है.

'द वीक' की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर्ड ब्रिगेडियर संदीप थापर ने कहा, सेना को एक काम सौंपा गया था. इस सफलतापूर्वक कर दिया गया. उसके बाद जो कुछ हो रहा है वह सब राजनीति है, जिसकी कोई भी फौजी सराहना नहीं करता है.
सेना के विशेष बल ने 29 सितंबर 2016 को पीओके में नियंत्रण रेखा के पार सात आतंकवादी लॉन्च पैडों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी जिसमें कई आतंकवादी मारे गए थे. यह ऑपरेशन उरी में हुए आतंकी हमले का जवाब था जिसमें 19 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
चूंकि सेवारत अधिकारियों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं है, इसलिए रिटायर्ड अधिकारियों ने इस मुद्दे पर आगे आना शुरु कर दिया है. इनका कहना है कि कवर्ट ऑपरेशन को हमेशा गुप्त रखा जाना चाहिए और इससे राजनीतिक लड़ाई जीतने के बारे में बात नहीं की जानी चाहिए.
थापर ने कहा कि इस तरह के सीमा पार हमलों के मामले में, कम बात करना हमेशा अच्छा होता है. सर्जिकल स्ट्राइक दुश्मन के लिए एक सतत प्रकार का खतरा है. दुश्मन को हमेशा अगले कदम पर अंधेरे में या रहस्य में रखा जाना चाहिए. जब आप इसके बारे में बात करते हैं, तो आप दुश्मन को कुछ देते हैं। वीडियो जारी करके आप अपने हथियारों का रास्ता दे रहे हैं.
सेना सरकार के फैसले से भी हैरान है क्योंकि सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की पहली सालगिरह पर पिछले साल कोई समारोह नहीं था.
नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, यह सशस्त्र बल के लिए एक पेशेवर काम था. कार्रवाई खुद बताती है. इसको मनाना मेरी समझ से परे है.
पूर्व उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने कहा, जश्न मनाने के लिए कुछ भी नहीं है. हमने पहले भी नियंत्रण रेखा के पार इस तरह के सर्जिकल स्ट्राइक किए हैं और ये सभी स्थानीय और सामरिक स्तर पर किए हैं. यह काफी नियमित होता है. लेकिन इस बार हमने इसे घोषित कर दिया. यह सिर्फ एक प्रदर्शन था और पाकिस्तान को एक संदेश था कि हम ऐसा कार्य कर सकते हैं.
उन्होने आगे कहा, लेकिन हम सर्जिकल स्ट्राइक से हम रणनीतिक उद्देश्य को हासिल करने में सफल नहीं हुए. सबसे पहले पाकिस्तानी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक का उपहास किया है और घुसपैठियों को भेजना जारी रखा है. दूसरा उन्होने कश्मीर घाटी में भी इंसर्जेंसी को बढ़ा दिया है. सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह से दस दिन पहले उन्होने बीएसएफ के एक जवान का शरीर विक्षत कर दिया और जम्मू कश्मीर में तीन पुलिस कर्मियों को मारा है. जो भी चेतावनी आपने पाकिस्तान को दी है उसपर उसने कम ध्यान दिया है.