मध्यप्रदेश में सरकार से नाराज चल रहे करीब 1500 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा देकर हड़कंप मचा दिया है। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण राजधानी भोपाल में कई स्थानों पर स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है और मरीज परेशान हो रहे हैं। कई जगह मरीजों के ऑपरेशन टालने की नौबत आ चुकी है।

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सोमवार को भोपाल में हमीदिया अस्पताल में न तो मरीज भर्ती हो सके और न ही ऑपरेशन हो सके। हमीदिया और सुलतानिया अस्पताल में 70 से ज्यादा ऑपरेशन टालने पड़े।
पत्रिका की खबर के अनुसार डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने के लिए सरकार सोमवार को आवश्यक सेवा अधिनियम (एस्मा) लगा दिया लेकिन डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे भेज दिए और कहा है कि इस्तीफा दे चुकने के बाद उन पर एस्मा लागू नहीं हो सकता। हमीदिया अस्पताल में सोमवार को मरीजों
और उनके परिजनों की लंबी-लंबी कतारे लगी रहीं।
ओपीडी में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार हमारी मांगों को जब तक पूरा नहीं करती, तब तक उनकी हड़ताल खत्म नहीं होगी। हालांकि सीनियर डॉक्टर मरीजों का इलाज करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर साफ देखा जा रहा है।
सरकार का मानना था कि एस्मा लगाने के बाद जूनियर डॉक्टर काम पर लौटने को मजबूर हो जाएंगे, लेकिन डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे देकर सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
जूनियर डॉक्टरों के साथ-साथ गांधी मेडिकल कॉलेज की स्वशासी समिति के कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। इनमें नर्सें, फार्मासिस्ट, लैब टैक्नीशियन आदि शामिल हैं। इनकी हड़ताल के कारण मरीजों की जांचें नहीं हो पा रही हैं।
सरकार अगर डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की हड़ताल जल्द ही खत्म नहीं कराती तो हालात और ज्यादा बिगड सकते हैं।