खनन घोटाले के लिए बदनाम हो चुकी राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में खनन माफिया एकदम बेखौफ होकर खुदाई और विस्फोट कर रहे हैं, और प्रशासन उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

टोंक जिला तो अवैध खनन का गढ़ बन चुका है, जहां सड़कों पर खुलेआम अवैध पत्थरों से लदे ट्रैक्टर चलते रहते हैं और उन्हें कोई नहीं रोकता।
खनन माफिया पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है और सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर पहाड़ों पर विस्फोट करते रहते हैं। वनइंडिया की खबर के अनुसार, दुधिया बालाजी, कच्चा बंधा, गोल डूंगरी क्षेत्र, बहीर के गड्ढा छिपालाई, गड्ढा पहाड़िया, खोहल्या माता मंदिर के पास के वनक्षेत्र में खुलेआम खनन और पत्थर तुड़ाई हो रही है। अवैध माफिया अपने काम में मदद के लिए गुंडे और असामाजिक तत्व भी लगाए हैं जिस कारण स्थानीय लोग उनका विरोध नहीं कर पाते।
लगातार अवैध खनन के कारण कुछ तो पहाड़ियां ही खत्म होने लगा है। प्रशासन इस बात पर भी ध्यान नहीं दे रहा है कि अवैध खनन और पत्थर तुड़ाई के लिए इतना सारा विस्फोटक कहां से आता है। अवैध विस्फोटक बड़ी मात्रा में इलाके में आने के कारण कभी भी किसी बड़े हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है।
खनन माफिया पर न तो वन विभाग कार्रवाई कर रहा है और न ही पुलिस। अधिकारियों से लीजधारक शिकायत करते रहते हैं लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
यही हाल बनास नदी का है जहां सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक लगा रखी है, लेकिन खनन और रेत माफिया लगातार रेत निकाल रहे हैं। दैनिक भास्कर के अनुसार, इस मामले को लेकर लीजधारक कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके हैं। लीजधारकों ने खनन माफिया की मशीन और डंपरों को जब्त करने और उन पर जुर्माना लगाने की मांग की है। हालांकि लीजधारक पहले भी खनन माफिया के नाम प्रशासन को दे चुके हैं, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

टोंक जिला तो अवैध खनन का गढ़ बन चुका है, जहां सड़कों पर खुलेआम अवैध पत्थरों से लदे ट्रैक्टर चलते रहते हैं और उन्हें कोई नहीं रोकता।
खनन माफिया पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है और सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर पहाड़ों पर विस्फोट करते रहते हैं। वनइंडिया की खबर के अनुसार, दुधिया बालाजी, कच्चा बंधा, गोल डूंगरी क्षेत्र, बहीर के गड्ढा छिपालाई, गड्ढा पहाड़िया, खोहल्या माता मंदिर के पास के वनक्षेत्र में खुलेआम खनन और पत्थर तुड़ाई हो रही है। अवैध माफिया अपने काम में मदद के लिए गुंडे और असामाजिक तत्व भी लगाए हैं जिस कारण स्थानीय लोग उनका विरोध नहीं कर पाते।
लगातार अवैध खनन के कारण कुछ तो पहाड़ियां ही खत्म होने लगा है। प्रशासन इस बात पर भी ध्यान नहीं दे रहा है कि अवैध खनन और पत्थर तुड़ाई के लिए इतना सारा विस्फोटक कहां से आता है। अवैध विस्फोटक बड़ी मात्रा में इलाके में आने के कारण कभी भी किसी बड़े हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है।
खनन माफिया पर न तो वन विभाग कार्रवाई कर रहा है और न ही पुलिस। अधिकारियों से लीजधारक शिकायत करते रहते हैं लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
यही हाल बनास नदी का है जहां सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक लगा रखी है, लेकिन खनन और रेत माफिया लगातार रेत निकाल रहे हैं। दैनिक भास्कर के अनुसार, इस मामले को लेकर लीजधारक कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके हैं। लीजधारकों ने खनन माफिया की मशीन और डंपरों को जब्त करने और उन पर जुर्माना लगाने की मांग की है। हालांकि लीजधारक पहले भी खनन माफिया के नाम प्रशासन को दे चुके हैं, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।