छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्याओं की लगातार बढ़ती घटनाओं के बीच संवेदनहीन रवैया अपनाते हुए रमन सिंह की सरकार ने किसानों की कर्ज के कारण होने वाली आत्महत्याओं को सिरे से नकार दिया है। विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस ने कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाले कई किसानों के नाम बताए, लेकिन जब कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की बारी आई तो उन्होंने किसानों की आत्महत्याओं का कारण कर्ज से परेशान होना मानने से ही इन्कार कर दिया।

कांग्रेस ने मंगलवार को किसानों की आत्महत्याओं को लेकर विधानसभा में काम रोको प्रस्ताव पेश करना चाहा था। 90 विधायकों के सदन में 34 विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव की सूचना दी थी, लेकिन कृषि मंत्री ने साफ कह दिया कि आत्महत्या करने वाले किसानों पर कोई कर्ज नहीं था और न ही उनकी माली हालत खराब थी।
कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने स्थगन प्रस्ताव की सूचना पढ़ते समय बताया कि राज्य में लगातार सूखा पड़ रहा है जिस कारण किसान बहुत बुरी हालत में हैं, और तकरीबन हर जिले से आए दिन किसी न किसी किसान की आत्महत्या की खबर आ रही है।
जवाब में कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकारी आंकड़े गिनाने शुरू कर दिए और किसानों को धान बोनस, फसल बीमा और सूखा राहत राशि के वितरण के बारे में बताने लगे।
नईदुनिया ने खबर दी है कि मंत्री के बयान के बाद विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नाराज कांग्रेसियों ने नारेबाजी की और सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।
छत्तीसगढ़ सरकार ने काफी पहले से ही ये रणनीति अपना रखी है कि वह किसानों की आत्महत्याओं का कारण कर्ज को मानने से ही इन्कार करती रही है। इस बार विपक्ष के ज्यादा हमलावर होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने यही रणनीति विधानसभा में अपना ली और कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर करा दिया।
छत्तीसगढ़ सरकार की ये आंकड़ों की चोरी पहले भी पकड़ी जा चुकी है। पत्रिका के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में विधानसभा में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ने वर्ष 2015 से अक्टूबर 2017 के बीच किसानों की मौतों की संख्या 1344, और वर्ष 2014 से अक्टूबर 2017 तक किसानों की मौतों की संख्या 1772 बताई थी।
हालांकि लोकसभा में इसी साल केंद्रीय कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोकसभा में जो आंकड़े पेश किए थे, उनके अनुसार छत्तीसगढ़ में 2014 से 2016 के बीच आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 2391 थी।

कांग्रेस ने मंगलवार को किसानों की आत्महत्याओं को लेकर विधानसभा में काम रोको प्रस्ताव पेश करना चाहा था। 90 विधायकों के सदन में 34 विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव की सूचना दी थी, लेकिन कृषि मंत्री ने साफ कह दिया कि आत्महत्या करने वाले किसानों पर कोई कर्ज नहीं था और न ही उनकी माली हालत खराब थी।
कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने स्थगन प्रस्ताव की सूचना पढ़ते समय बताया कि राज्य में लगातार सूखा पड़ रहा है जिस कारण किसान बहुत बुरी हालत में हैं, और तकरीबन हर जिले से आए दिन किसी न किसी किसान की आत्महत्या की खबर आ रही है।
जवाब में कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकारी आंकड़े गिनाने शुरू कर दिए और किसानों को धान बोनस, फसल बीमा और सूखा राहत राशि के वितरण के बारे में बताने लगे।
नईदुनिया ने खबर दी है कि मंत्री के बयान के बाद विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नाराज कांग्रेसियों ने नारेबाजी की और सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।
छत्तीसगढ़ सरकार ने काफी पहले से ही ये रणनीति अपना रखी है कि वह किसानों की आत्महत्याओं का कारण कर्ज को मानने से ही इन्कार करती रही है। इस बार विपक्ष के ज्यादा हमलावर होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने यही रणनीति विधानसभा में अपना ली और कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर करा दिया।
छत्तीसगढ़ सरकार की ये आंकड़ों की चोरी पहले भी पकड़ी जा चुकी है। पत्रिका के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में विधानसभा में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ने वर्ष 2015 से अक्टूबर 2017 के बीच किसानों की मौतों की संख्या 1344, और वर्ष 2014 से अक्टूबर 2017 तक किसानों की मौतों की संख्या 1772 बताई थी।
हालांकि लोकसभा में इसी साल केंद्रीय कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोकसभा में जो आंकड़े पेश किए थे, उनके अनुसार छत्तीसगढ़ में 2014 से 2016 के बीच आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 2391 थी।