मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था कितनी बदहाल है, इसकी एक मिसाल श्योपुर के स्यावड़ी गांव में देखने को मिलती है।
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कराहल विकासखंड के स्यावड़ी गांव में दो सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं लेकिन दोनों को चलाने की जिम्मेदारी केवल एक शिक्षक कोमल सिंह जाट के हवाले हैं। ऐसा कोई एक-दो महीने से नहीं, बल्कि पूरे ढाई साल से चल रहा है।
दोनों स्कूलों में कुल मिलाकर करीब 80 छात्र-छात्राएं हैं लेकिन पढ़ाने वाले केवल कोमल सिंह ही हैं, जो कभी इस स्कूल में पढ़ाते हैं तो कभी उस स्कूल में। जिस दिन बीमारी या किसी कारण से कोमल सिंह स्कूल नहीं जा पाते, उस दिन दोनों स्कूलों के छात्र-छात्राएं छुट्टी मनाते हैं।
ये दोनों स्कूल जिला मुख्यालय से बहुत दूर नहीं, केवल 22 किलोमीटर की दूरी पर हैं, लेकिन न तो इसकी हालत पर किसी अधिकारी का ध्यान जाता है और न जनप्रतिनिधि का। दोनों स्कूलों के भवन तो अलग-अलग हैं, लेकिन शिक्षक एक ही है।
नईदुनिया की रिपोर्ट के अनुसार एक स्कूल प्राथमिक विद्यालय ए कहलाता है और दूसरा प्राथमिक विद्यालय बी। ढाई साल पहले, कोमल सिंह ए स्कूल में प्रभारी हेडमास्टर थे। बी स्कूल को सुरेश जाट संभालते थे। गंभीर बीमारी के कारण सुरेश को उनके गांव राडेप स्थानांतरित कर दिया गया। बी स्कूल की दूसरी शिक्षिका सविता डाबर दो साल पहले डीएड के लिए छुट्टी लेकर चली गईं तो इस स्कूल की जिम्मेदारी भी कोमल सिंह पर डाल दी गई और तभी से ये सिलसिला जारी है। दोनों स्कूलों के छात्र-छात्राओं को एक स्कूल में पढ़ाया नहीं जा सकता क्योंकि किसी में इतनी जगह नहीं है। नतीजतन शिक्षक कोमल सिंह जाट इस स्कूल से उस स्कूल तक भागते-फिरते हैं।
हालांकि एक स्कूल के भवन में बारिश में पानी टपकने के कारण मजबूरी में दोनों स्कूलों की क्लासें एक साथ लगानी पड़ती हैं, लेकिन इससे अलग परेशानियां पैदा होती हैं।