बिजली के मामले में पूरी तरह से फेल रही वसुंधरा सरकार

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: June 22, 2018

राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पांच साल में लगातार परेशान रहे बिजली कर्मचारी अब चुनावी साल में आरपार की लड़ाई छेड़ने के मूड में आ गए हैं।
 

Power employee
Image Courtesy: hindi.news18.com   प्रदर्शनकारियों ने सरकार को मांगे नहीं मानी जाने पर 24 जुलाई को महापड़ाव की चेतावनी दी है.


ग्रेड पे में सुधार समेत 21 मांगों को लेकर इन कर्मचारियों ने प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन किया। सरकार की उदासीनता से गुस्साए बिजली कर्मचारी अब 24 जुलाई को महा आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर चुके हैं जिसे महापड़ाव का नाम दिया गया है।

न्यूज़18 की खबर के मुताबिक गुरुवार को राजधानी जयपुर के हीरापुर कार्यालय में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारी इस बात से भी नाराज हैं कि ऊर्जा राज्यमंत्री पुष्पेंद्र सिंह ने बिजली कर्मचारियों से बात करना तक जरूरी नहीं समझा। नाराज कर्मचारियों ने अब ऐलान किया है कि वो किसी भी तरह की वार्ता अब केवल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ ही करेंगे।

बिजली कर्मचारियों की मांगों में सभी संवर्गों में ग्रेड पे में सुधार और पदनाम बदलने की मांग शामिल है। इसके साथ ही स्टाफिंग पैटर्न तय करने, निजीकरण पर तुरंत रोक लगाने, मेडिक्लेम पॉलिसी में कैशलेस की सुविधा उपलब्ध कराने, डाटा एंट्री ऑपरेटरों का पदनाम सूचना सहायक करने, बिजली कर्मचारियों के लिए सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने, दुर्घटना के बाद दिए जाने वाले लाभों को बेहतर बनाने जैसी कई मांगें भी बिजली कर्मचारी कर रहे हैं।

जयपुर की ही तरह अजमेर में भी बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और एसई का घेराव किया। ये कर्मचारी कार्यस्थलों पर सुविधाओं की बेहद कमी से भी नाराज हैं। अजमेर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ ने इसके विरोध में एसई मुकेश ठाकुर का घेराव किया। कर्मचारियों ने हाथीभाटा पावर हाउस पर भी धरना दिया।

कर्मचारियों का कहना है कि दफ्तरों में नल के कनेक्शन तक नहीं हैं और सब डिवीजन में कर्मचारियों को खरीदकर पानी पीना पड़ता है। महिला कर्मचारियों के लिए भी टॉयलेट और अन्य जरूरी सुविधाएं नहीं हैं।

इस सबके बीच राज्य में बिजली कटौती भी काफी हो रही है जिससे स्थानीय लोग भी परेशान हैं। खुद मुख्यमंत्री के सामने बांसवाड़ा, कुशलगढ़, गढ़ी और आनंदपुरी में जनसंवाद में लोगों ने बिजली की कमी की बात रखी थी।

बांसवाड़ा के जिला कलेक्टर ने वैसे तो बिजली आपूर्ति में बाधा के लिए एसई को जिम्मेदार मानने की चेतावनी दे दी थी, लेकिन स्थिति में सुधार हुआ नहीं। किसी भी समय बिना सूचना के बिजली कटौती आम बात है। लाइनों के रखरखाव के नाम पर अधिकारी रोजाना 5 से 7 घंटों की बिजली कटौती कर रहे हैं।

खास बात ये है कि 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और वसुंधरा राजे ने बिजली आपूर्ति में सुधार को मुख्य मुद्दा बनाया था और जनता ने इन्हें समर्थन भी दिया था, लेकिन सत्ता मिलने के बाद वसुंधरा राजे ने न बिजली आपूर्ति की व्यवस्था ठीक कराई और न ही बिजली कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान दिया।
 

बाकी ख़बरें