मुश्किल में आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत कई BJP नेता, चल सकता है साजिश का मुकदमा

Published on: March 6, 2017
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का दौर चालू है। भारतीय जनता पार्टी यूपी में सरकार बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के लिए बुरी खबर है। बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह सहित कई नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए ढांचा ढहाने वाले लोगों पर मुकदमा चलाने में देरी पर भी चिंता जताई है।

Babri Demolition

बहुचर्चित बाबरी विंध्‍वंस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना आखिरी फैसला 22 मार्च को सुनाएगा। सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की खंडपीठ ने सीबीआई व हाजी महबूब अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह तारीख तय की है। इस याचिका के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आरोपियों के ट्रायल में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई है। 
 
अदालत ने कहा है कि न्‍यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए आरोपियों का संयुक्‍त ट्रायल भी चलाया जा सकता है। गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले में आरोपी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, वरिष्‍ठ नेता मुरली मनोहर जोशी सहित अन्य को दोषमुक्‍त पाया था। अगर सुप्रीम कोर्ट फैसला बदलती है तो इन सभी नेताओं के खिलाफ पुराना मामला फिर से खोला जा सकता है। 

आपको बता दें कि विवादित ढांचा गिराए जाने के संबंध में दो मामले हैं- एक मामला आडवाणी और उन अन्य लोगों के खिलाफ है जो छह दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के समय अयोध्या के राम कथा कुंज में मंच पर थे। जबकि एक अन्य मामला उन लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ है जो विवादित ढांचे में और उसके आस पास मौजूद थे। सीबीआई ने आडवाणी और 20 अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153 ए (वर्गों के बीच शत्रुता को बढावा देना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाना) और 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने करने या दंगा भड़काने के इरादे से झूठे बयान, अफवाहें आदि फैलाना) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
 
इससे पहले, अदालत ने मार्च 2015 में आरोपियों से जवाब तलब किया था। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के 21 मई 2010 को सुनाए फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने नेताओं के खिलाफ आरोप हटाने के विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में सीबीआई की विशेष अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार और मुरली मनोहर जोशी के उच्च्पर लगे षड़यंत्र रचने के आरोपों को हटा दिया गया था।
 
इनके अलावा सतीश प्रधान, सी आर बंसल, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी रितम्भरा, वी एच डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आर वी वेदांती, परम हंस राम चंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बी एल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे के खिलाफ भी आरोप हटाए गए थे। बाल ठाकरे के निधन के बाद उनका नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया गया था।
 

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