इतिहास
September 19, 2017
महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड की इतिहास की पुस्तकों से मुगल शासकों को नाम हटाने के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी इन शासकों का नाम हटाने का फैसला किया है। इतिहास के पुनःलेखन के लिए योगी सरकार ने इतिहासकारों का पैनल बनाने की योजना बनाई है जो इतिहास लिखने का काम करेंगे।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक और उच्च शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि बाबर और औरंगजेब जैसे मुगल शासकों ने देश को...
September 11, 2017
सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना और हमें लड़ेंगे साथी जैसी क्रांतिकारी कविताओं के पंजाबी कवि अवतार सिंह पाश की कविताओं को एनसीईआरटी के सिलेबस से हटाने की खतरनाक साजिश के खिलाफ बौद्धिकों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है।
10 सितंबर को पाश के गृहनगर बठिंडा में उनकी हस्तलिखित कविता ‘सब तों खतरनाक’ के पोस्टर का अनावरण किया गया है। यह पाश की कविताओं की क्रांतिकारी गूंज को...
September 1, 2017
सन 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन, जिसकी 75वीं वर्षगांठ हम इस वर्ष मना रहे हैं, भारत के स्वाधीनता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। सन 1942 के 8 अगस्त को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कार्यसमिति ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान (जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है) में आयोजित बैठक में अंग्रेज़ों के खिलाफ एक नया आंदोलन शुरू करने की घोषणा की। यह सन...
August 14, 2017
बार बार देश भक्ति के यह खतरनाक दौर में, मुसलमान को साबित करना पड़ता है, कि वह कितने देश प्रेमी है। आईये समझे वह चीज़ें जो हमारी पाठ्य पुस्तकें छिपाती है। कौन थे वह स्वतंत्र सैनिक? किस- किस ने बटवारे और विभाजन का विरोध किया था?
70 साल की आज़ादी के बाद यह सवाल उठने ही नही चाहिए। और अगर यह भयानक दौर में उठाये जा रहे है, तो जम कर जवाब देना ज़रूरी है। आज़ादी मुबारक।
August 10, 2017
आज 9 अगस्त है। भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ। 1942 को इस दिन उठे करो या मरो के तुमुल कोलाहल ने अंग्रेज़ों को आख़िरी चेतावनी दे दी थी। लंगोटी वाला बूढ़ा गाँधी, उस ब्रिटिश साम्राज्य के लिए चुनौती बन गया था जिसमें कभी सूरज नहीं डूबता था।
अगस्त क्रांति दिवस पर विशेष–
इसका यह अर्थ नहीं कि स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में सिर्फ़ काँग्रेस जुटी थी और अन्य धाराओं का कोई योगदान...
August 8, 2017
भारत छोड़ो आंदोलन का नारा यूसुफ मेहर अली ने मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में दिया था। इस नारे के बाद ग्वालिया टैंक मैदान का नाम अगस्त क्रांति मैदान रख दिया गया।
आज से 112 वर्षों पहले और भारत छोड़ो आंदोलन से 37 साल पहले बंगाल की गलियों और सड़कों पर रविंद्रनाथ टैगोर की राखी संगीत गुनगुनाए जाते थे और इस दौरान बंगाल के हिंदू और मुस्लिम बंगाल विभाजन के खिलाफ सड़कों पर निकले और इस...
August 7, 2017
महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड ने 7वीं और 9वीं कक्षा के इतिहास की पुस्तकों में मुस्लिम शासकों से जुड़े तथ्यों में संशोधन कर दिया है। अब यहां इतिहास की पुस्तकों में मराठा साम्राज्य पर काफी ज्यादा फोकस किया गया है। मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक 7वीं कक्षा की किताब में से उन अध्यायों को हटा दिया गया है जिनमें मुगल साम्राज्य तथा सल्तनत कालीन शाशकों का जिक्र किया गया। इनमें से रजिया सुल्ताना और मोहम्मद...
August 2, 2017
1943 में बाबसाहेब श्रम मंत्री थे और पी डब्ल्यू डी विभाग भी उन्हीं के पास था। डॉ अम्बेडकर के इस विभाग का प्रमुख बनने से पहले इस विभाग का सालाना बजट एक करोड़ रूपये का था जो डॉ अम्बेडकर के प्रमुख बनने के बाद पचास करोड़ रूपये सालाना का हो गया था क्यूंकि दिल्ली का विकास करना था और डॉ अम्बेडकर को इसलिए मुखिया बनाया गया था क्योंकि वह एक, शिक्षित, बुद्धिमान, ईमानदार और उच्च चरित्र के आदरणीय व्यक्ति...
August 1, 2017
क्या ये प्रेमचंद हमारे जमाने की जरूरत नहीं हैं?
वैसे, हमारे वक्त में प्रेमचंद का क्या काम?
जाहिर है, ऐसा लग सकता है। प्रेमचंद का इंतकाल 1936 में यानी आज से 81 साल पहले हुआ था। जो भी लिखा 81 साल पहले ही लिखा। उस वक्त देश गुलाम था। अंग्रेजों का राज था। आजादी की लड़ाई तरह-तरह से लड़ी जा रही थी। आँखों में नया भारत बनाने का ख्वाब था। जाहिर है, उस वक्त की समाजी-सियासी जरूरत कुछ और ही रही...
July 25, 2017
( सन 1917 मे जब गांधी जी पहली बार मोतीहारी गए और चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के समय मोतीहारी मे रुके तो कोठी वाला (ब्रिटिशर ) ने उन्हे मारने कि कोशिश की | सौ साल बाद जब मै 7 जुलाई 2017 को अपनी मित्र के साथ गांधी के चंपारण आंदोलन को समझने व उसके प्रभाव को देखने मोतीहारी, भीतिहरवा, बोकाने कलाँ बेतिया, नरकटिया गंज आदि जगहो पर गई और लोगो से मिली तो इस दौरान एक वयोवृद्ध गांधीवादी नारायण मुनि से भेट...