इतिहास
November 18, 2017
‘क्या पानी में आग लग सकती है ?’’
किसी भी संतुलित मस्तिष्क व्यक्ति के लिए यह सवाल विचित्र मालूम पड़ सकता है। अलबत्ता सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों पर निगाह रखनेवाला व्यक्ति बता सकता है कि जब लोग सदियों से जकड़ी गुलामी की बेड़ियों को तोड़ कर आगे बढ़ते हैं तो न केवल /बकौल शायर/ ‘आसमां में भी सुराख हो सकता है’ बल्कि ‘ पानी में भी आग लग सकती है।’...
November 17, 2017
असली भारत को देखना है तो भारतीय रेल के अनारक्षित डिब्बे में दूर का सफर करो। गांधी ने भी यही किया था। वे सौ साल पहले घूमें थे, हम आज भी घूमें तो कुछ अलग नहीं मिलेगा। तरक्की जरूर हुई है पर मुख्य सड़क छोड़ जैसे हम पगडंडियों पर पहुंचते हैं ऐसे लगता है आधुनिक काल से उठाकर किसी ने प्रागैतिहासिक काल में फेंक दिया है। गांव-गांव मोबाइल तो पहुँचा लेकिन पीने का साफ़ पानी हम आज़ादी के 70 साल भी नहीं पा सके।...
November 15, 2017
बिरसा मुंडा जयंती पर विशेष
अबुआ दिशुम अबुआ राज
हे धरती आबा,
तुम याद आते हो।
खनिज धातुओं के मोह में
राज्य पोषित ताकतें
हमारी बस्तियां जलाकर
अपना घर बसा रहे हैं।
मगर हम लड़ रहे हैं
केकड़े की तरह इन बगुलों के
गर्दन को दबोचे हुए
लेकिन इन बगुलों पर
बाजों का क्षत्रप है।
आज जंगल हुआ सुना
आकाश निःशब्द चुप है।
माटी के लूट पर संथाल विद्रोह
खासी, खामती, कोल विद्रोह
नागा, मुंडा, भील...
October 21, 2017
इस बार वह मुसलामानों और हिन्दुओं में एक ताज़ा अलगाव बनाने के मकसद से पुराने वक्तों से एक और मुद्दा छांट कर ले आई है जिसकी शुरुआत ताजमहल से हुई और अब वह मुस्लिम हुक्मरानों ने हिन्दुओं के साथ क्या किया, क्या नहीं किया, इस पर नए नतीजे गढ़ कर अपने सुनने और पढने वालों के सामने पेश कर रही है.
गुजरात और हिमांचल के चुनाव सर पर हैं. लोक सभा के चुनाव में दो साल मुश्किल से रह गया है.जन विरोधी फैसलों के...
October 11, 2017
'JP' की ११५वीं जन्म दिवस पर उनके मित्र प्रोफेसर रामजी सिंह की सबरंग से बातचीत
October 11, 2017
आज 11 अक्टूबर है और आज जयप्रकाश नारायण (जेपी) की 115 वीं जयंती है। जेपी के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का उद्देश्य था भारत से अधिनायकवाद को समाप्त करना। आरएसएस के प्रति जेपी के नरम रूख और इस आंदोलन के बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है और लिखा भी जा चुका है। जनता पार्टी के अंग के रूप में आरएसएस के कार्यकर्ता को आपातकाल विरोधी गुटबंदी के चलते जेल भेजा गया था। जेपी के लेखन तथा भाषणों के चलते उन्हें याद...
October 4, 2017
एक समय था जब लोगों को हंसने के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन्स का सहारा लेना पड़ता था। और वे कॉमेडियन बेहतर भी थे। लोगों को अपने शरीर के हाव भाव से, सामाजिक बुराइयों से या फिर राजनीतिक विसंगतियों को अपनी कॉमेडी में शामिल कर लोगों का खूब मनोरंजन करते थे। वे सरकार परोक्ष रूप से आलोचना भी कर देते थे। अब समय बदल गया है। ज्यादातर कॉमेडियन किसी के रंग का, मोटापे का या नाटेपन का मजाक उड़ाते पाए जाते हैं। कितने तो...
October 3, 2017
अक्टूबर १ को पेशावर काण्ड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की पुण्य तिथि थी लेकिन सतही तौर पर याद करने के अलावा उनके बारे में बहुत कुछ जानकारी न तो उपलब्ध है और न ही उनके जीते जी उन्हें सत्ताधारी इज्जत दे पाए क्योंकि चन्द्र सिंह हमेशा ही सत्ताधारियो से टकराए. वह आर्य समाजी थे और गाँधी से भी बहुत प्रभावित थे लेकिन उनके विचार और एक्शन में वह इन दोनों ही विचारो से बहुत आगे थे . चन्द्र सिंह का...
October 2, 2017
मैं कान में ईयरफोन लगाए गाना सुनते चला जा रहा था। गाना अपनी मध्य लाइनों पर पहुंच चुका था-
धरती पर लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई
दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई।
मैं इमोशनल हो गया आंसू पोछने वाला था कि अगली लाइन बज पड़ी-
मन में थी अहिंसा की लगन तन पर लंगोटी
लाखों में घूमता था लिए सत्य की सोटी...
September 29, 2017
(यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था. 27 सितंबर, 1931 को लाहौर के अख़बार ‘द पीपल’ में यह लेख प्रकाशित हुआ. इसमें भगत सिंह ने ईश्वर के अस्तित्व पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े किए हैं और इस संसार के निर्माण, मनुष्य के जन्म, मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना के साथ-साथ संसार में मनुष्य की दीनता, उसके शोषण, दुनिया में व्याप्त अराजकता और वर्गभेद की स्थितियों का भी विश्लेषण किया है....