इतिहास
October 14, 2019
इन दिनों देश राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का 150वां जन्मदिन मना रहा है. इस मौके पर गांधीजी के बारे में मीडिया में बहुत कुछ लिखा और कहा जा रहा है. कुछ लोग तो ईमानदारी से गांधीजी की शिक्षाओं और उनके दिखाए रास्ते को याद कर रहे हैं और आज की दुनिया में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दे रहे हैं परन्तु कुछ अन्य लोग, इस अवसर का इस्तेमाल अपनी को छवि चमकाने और अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. इसके लिए बड़ी...
October 5, 2019
1915 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका छोड़कर फिर वापस न जाने के लिए भारत आ गए. उस दिन से 30 जनवरी 1948 को मारे जाने के बीच, उनकी सुनियोजित हत्या की पांच कोशिशें हुईं.
पहली कोशिश (1934)
तब पुणे हिंदुत्व का गढ़ माना जाता था. पुणे की नगरपालिका ने महात्मा गांधी का सम्मान समारोह आयोजित किया था और उस समारोह में जाते वक्त उनकी गाड़ी पर बम फेंका गया. नगरपालिका के मुख्य अधिकारी और पुलिस के दो जवानों...
October 4, 2019
अमरीका के ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम एक से अधिक कारणों से चर्चा का विषय बन गया है. जिस समय मोदी फरमा रहे थे कि “आल इज़ वेल इन इंडिया”, उसी समय हजारों प्रदर्शनकारी, भारत के असली हालात के बारे में बात कर रहे थे. अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सिर पर महाभियोग का खतरा मंडरा रहा है. वे अगले चुनाव में अपनी स्थिति मज़बूत करना चाहते हैं. अपने कूटनीतिक लक्ष्यों...
October 2, 2019
गाँधी 1 अगस्त 1947 को पहली और आख़िरी बार कश्मीर गए। असल में शेख़ अब्दुल्ला की रिहाई में हो रही देरी और कश्मीर की अनिश्चितता को देखकर जवाहरलाल नेहरू ख़ुद कश्मीर जाना चाहते थे। लेकिन हालात की नाज़ुकी देखते हुए माउंटबेटन नहीं चाहते थे कि वह कश्मीर जाएँ और कोई नया तनाव पैदा हो। महाराजा भी नेहरू की यात्रा को लेकर सशंकित थे।
ऐसे में माउंटबेटन के आग्रह पर महात्मा गाँधी ने कश्मीर जाने का निर्णय लिया।...
October 2, 2019
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती स्वच्छ भारत दिवस के तौर पर मनाई जा रही है. इस अवसर पर राष्ट्रपिता की धरती से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित करेंगे. लेकिन मोदी जी अपनी पार्टी के नेताओं पर रोक नही लगाएंगे जो सरेआम मुँह से शौच करते दिखाई देते हैं...
आज दिन भर मोदी जी गाँधी इतने महान हैं, गाँधी तो महात्मा हैं जैसी बातें करेंगे और कल से फिर वही गोड़से के...
October 2, 2019
एक
किसी भी व्यक्ति या विचार का मूल्यांकन करने का सही तरीका उसे उसके देश-काल में बांधकर समझना है; गांधी को समझना है तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा।
गांधी की एक मुश्किल यह है कि उन्हें समग्रता में ही समझा जा सकता है। टुकड़ों में देखने का एक झंझट उसके एकांगी हो जाने का है। ऐसा करने से हरेक अपनी पसंद या नापसंद के गांधी तो ढूंढ सकता है - मगर गांधी को...
October 1, 2019
गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ पर इससे बड़ा क्रूर मजाक क्या होगा कि गांधी विचार की समाप्ति करने वाला व्यक्ति साबरमती आश्रम में जाएगा और उसको अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की बात करेगा। सुनने में आया है कि साबरमती आश्रम के ट्रस्टी भी इसे स्वीकार कर रहे हैं। अफसोस!
सरदार पटेल का भद्दा इस्तेमाल करने के बाद अब गांधी की 150वीं वर्षगांठ को भी अपने मकसद के लिए या कहिये अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल...
September 24, 2019
महामना ज्योतिबा फुले ने भारतीय समाज को आधुनिक बनाने के अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने हेतु 24 सितंबर, 1873 को ‘सत्य शोधक समाज’ की नींव रखी. सामाजिक न्याय की दिशा में ये एक बड़ा कदम था.
जाति प्रथा, पुरोहितवाद, स्त्री-पुरुष असमानता और अंधविश्वास के साथ समाज में व्याप्त आर्थिक-सामाजिक एवं सांस्कृतिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध सामाजिक परिवर्तन की जरूरत भारत में शताब्दियों से रही है. इस लक्ष्य...
September 10, 2019
देश में भले ही सांप्रदायिक ताकतें हावी हों लेकिन बहुत सारी जगह पर सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल नजर आता है। कोलकाता से 30 मील दूर है गाजी पीर की मजार। हर साल लाखों हिंदू और मुस्लिम बारहवीं सदी के सूफी संत की मजार पर माथा टेकने आते हैं। देखिए सबरंग इंडिया की विशेष रिपोर्ट
September 6, 2019
हाल में दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर में भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस और सावरकर की एक-दूसरे से जुड़ी मूर्तियां लगाई गईं और उन्हें स्वाधीनता संग्राम की त्रिमूर्ति बताया गया। दरअसल यह सावरकर को नेताजी और भगत सिंह के समकक्ष बताने के संघ के एजेंडे का हिस्सा है।
समावेशी बहुवाद पर आधारित वह राष्ट्रवाद, जो भारत के स्वाधीनता संग्राम की आत्मा था, आज खतरे में है. इसका कारण है संघ परिवार की राजनीति का...