यौन उत्पीड़न मामलाः CJI को क्लीनचिट मिलने पर शिकायतकर्ता महिला ने की जांच रिपोर्ट की कॉपी की मांग

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 7, 2019
सीजेआई रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में  क्लीनचिट मिलने पर शिकायतकर्ता महिला ने जांच रिपोर्ट की कॉपी की मांग की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने सीजेआई रंजन गोगोई को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि उसे उनके खिलाफ कोई 'ठोस आधार' नहीं मिला।




सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय की एक नोटिस में कहा गया था कि न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट 'सार्वजनिक नहीं की जाएगी।' समिति में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं।

बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीनचिट मिलने के बाद महिलाओं ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया। इसमें महिला वकीलों के साथ-साथ कुछ एनजीओ के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। बता दें कि पुलिस ने दिल्ली की लूटियंस जोन में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर बैन लग रखा है। नारेबाजी के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी। बता दें, सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे।

सीपीआई नेता वृंदा करात ने कहा, 'प्रक्रिया पूरी तरह से अन्यायपूर्ण लग रही है। पीड़िता को रिपोर्ट क्यों नहीं दी जा सकती है? यह गलत है। जब वे मामले को खारिज कर रहे हैं, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं पर और अधिक सवाल उठते हैं। यह अन्याय है।' सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों ने शिकायतकर्ता को रिपोर्ट देने की मांग भी की है। 

यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने कोर्ट की आंतरिक समिति द्वारा सोमवार को उन्हें क्लीनचिट दिये जाने पर कहा कि वह 'बेहद निराश और हताश' हैं। 

उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक के तौर पर उनके साथ 'घोर अन्याय' हुआ है और उनका 'सबसे बड़ा डर' सच हो गया तथा देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय की उनकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई हैं। महिला ने प्रेस के लिए एक बयान जारी कर कहा कि वह अपने वकील से परामर्श कर आगे के कदम के बारे में फैसला करेंगी। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी एक मई को समिति के समक्ष पेश हुये थे और उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था। नोटिस में कहा गया है कि आंतरिक समिति को शीर्ष अदालत के पूर्व कर्मचारी की 19 अप्रैल, 2019 की शिकायत में लगाये गये आरोपों में कोई आधार नहीं मिला। इन्दिरा जयसिंह बनाम शीर्ष अदालत और अन्य के मामले में यह व्यवस्था दी गयी थी कि आंतरिक प्रक्रिया के रूप में गठित समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जायेगी। आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार ही दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने यह रिपोर्ट स्वीकार की और इसकी एक प्रति संबंधित न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश को भी भेजी गयी।

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