अखबारनामा: येदुरप्पा की डायरी वाली खबर अखबारों ने क्यों दबा दी?

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: March 23, 2019
आज के अखबारों में मुझे दो खबरों का इंतजार था। एक तो कल पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर आयोजित समारोहों का भारत सरकार द्वारा बायकाट किया जाना और फिर रात में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का यह ट्वीट की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर वहां की जनता के लिए शुभकामना संदेश भेजा है और आतंक हिंसा से मुक्त माहौल में शांतिपूर्ण ... क्षेत्र की अपील की है। दूसरी खबर, कारवां पत्रिका के खुलासे और उसपर कांग्रेस की मांग, राहुल गांधी की प्रतिक्रिया और भाजपा के जवाब की है। जो मुझे आज के अखबारों में नहीं मिली और जो मिली वह आधी-अधूरी है।

पहले तो कारवां / कैरवां की रिपोर्ट। टाइप करने का समय बचाने के लिए रवीश कुमार की फेसबुक पोस्ट कॉपी पेस्ट कर रहा हूं। कैरवां पत्रिका ने एक रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट के अनुसार आयकर विभाग के पास एक ऐसी डायरी है जिसमें जजों को ढाई सौ करोड़ दिए जाने के हिसाब हैं। इसमें बीजेपी नेताओं को भी सौ करोड़ से लेकर दस करोड़ तक दिए जाने के हिसाब है। दावा किया गया है कि यह डायरी येदुरप्पा की है।

2009 में इस डायरी में येदुरप्पा ने अपने हाथों से लिखा है कि राजनाथ सिंह को सौ करोड़, मुरली मनोहर जोशी और आडवाणी को पचास करोड़ दिए हैं। गडकरी के बेटे की शादी में दस करोड़ दिए गए हैं। येदुरप्पा ने लिखा है कि बीजेपी की सेंट्रल कमेटी को एक हज़ार करोड़ दिया है। जेटली को डेढ़ सौ करोड़ दिया है। रिपोर्टर हैं नीलीमा और आथिरा। कैरवां ने दावा किया है कि उसके पास पूरी डायरी है और उस पर येदुरप्पा के दस्तखत हैं। आगे की कहानी इस रिपोर्ट में है। येदुरप्पा ने बीजेपी नेताओं को 1800 करोड़ दिए है।

आइए, देखें आज के अखबारों में यह खबर कैसे छपी है। नवोदय टाइम्स में लीड है, 24 घंटे में सात आतंकवादी ढेर, पाकिस्तान को शुभकामना संदेश की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से नहीं है। यदुरप्पा वाला मामला है। कांग्रेस का आरोप और राहुल गांधी का बयान भाजपा के सारे चौकीदार चोर हैं पहले पन्ने पर है।

नवभारत टाइम्स पाकिस्तान और आतंकवाद उतनी प्रमुखता से नहीं है पर येदुरप्पा वाली खबर छोटी सी है। शीर्षक है, येदियुरप्पा को घेरकर कांग्रेस से कहा जांच कराएं। इस मामले में कांग्रेस ने मांग की है कि कारवां की रिपोर्ट की जांच लोकपाल से कराई जाए। कारवां की रिपोर्ट और जांच कराने की मांग – दोनों सिरे से गलत हो तो भी खबर नहीं है यह कोई नहीं कहेगा। और बड़ी खबर है। पर खबर को वैसी प्रमुखता नहीं मिली है जैसी मिलनी चाहिए थी। लोकपाल से जांच की मांग – जिस ढंग से जल्दबाजी में और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोकपाल की नियुक्ति हुई है उसमें यह मामला लोकपाल को सौंपना चुनौती है। खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है।

दैनिक हिन्दुस्तान में पहले पन्ने पर पाकिस्तान, आतंकवाद से संबंधित कोई बड़ी खबर नहीं है पर इमरान ने मोदी की बधाई का दावा किया - शीर्षक खबर सिंगल कॉलम में है। येदुरप्पा वाली खबर यहां पहले पन्ने पर नहीं दिखी यानी प्रमुखता से तो नहीं ही है। अमर उजाला में घाटी में बड़ी कामयाबी 36 घंटे में 8 आतंकी मार गिराए और मुठभेड़ की खबर है पर पाकिस्तान दिवस या येदुरप्पा वाली खबर पहले पन्ने पर नहीं है यहां पहले पन्ने पर आधे से ज्यादा विज्ञापन है।

दैनिक जागरण में आज दो पन्नों को खबरों के पहले पन्ने जैसा बनाया गया है। इसलिए मैंने दोनों देखे। दूसरे वाले पहले पन्ने पर कश्मीर, आतंकवाद, यासिन मलिक आदि की चर्चा वाली खबरें है पर पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस, बायकाट, प्रधानमंत्री के संदेश या उससे संबंधित इमरान खान के दावे जैसी कोई खबर इन दो पन्नों पर नहीं है। प्रशांत मिश्र की त्वरित टिप्पणी जरूर है कि भारत के लिए घातक है पित्रोदा और राम गोपाल की सोच। एक बयान या सवाल से सोच और उसपर टिप्पणी तो है पर इमरान खान का दावा - हवा हवाई।

राजस्थान पत्रिका ने आज राजनीति के लिहाज से दोनों महत्वपूर्ण खबरों को एक साथ छापा है। इसमें सैमपित्रोदा का बयान और उसपर टीका टिप्पणी के साथ येदुरप्पा वाला मामला भी है। पर पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के बायकाट और भारतीय प्रधाननंत्री द्वारा शुभकामना संदेश भेजे जाने का दावा और भारत सरकार की इसपर चुप्पी या इसके करणों की चर्चा यहां भी कम से कम पहले पन्ने पर नहीं है।

दैनिक भास्कर में पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है। फिर भी पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के बायकाट की खबर है और शीर्षक में ही है कि मोदी ने इमरान को बधाई दी। अखबार ने इसे सामान्य खबर की तरह छापा है और खबर से नहीं रहा है कि यह किसी विवाद का विषय है। भास्कर में इसके साथ सैम पित्रोदा की खबर औऱ उसपर विवाद भी है लेकिन येदुरप्पा वाली खबर नहीं है। भास्कर ने भी पहले पन्ने जैसे दो पन्ने बनाए हैं और येदुरप्पा वाली खबर दूसरे पहले पन्ने पर है। भास्कर में आरोप के अलावा, येदुरप्पा का जवाब उपशीर्षक है, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों को नकारा, बोले – यह अध्याय बंद हो चुका है।

इस मामले में भाजपा जो सफाई दे, जो करे पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल का लिखा भी पढ़ने लायक है, इस मैगजीन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा नहीं होगा। जानते हैं क्यों? मानहानि के केस में ट्रूथ यानी सत्य ही डिफेंस है। अगर आपने चोरी की है तो चोर कहने से मानहानि नहीं होती। राजनीतिक हलके में हर कोई जानता है कि येद्दियुरप्पा ने पैसे दिए हैं। वो पैसे देता है। डायरी का वो पन्ना सत्य है। यही कारवां का डिफेंस है। मानहानि का मुकदमा करने पर जांच होगी. और ऐसी जांच कौन चाहता है भला?

कारवां की खबर का लिंक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)

बाकी ख़बरें