बीते 10 दिनों से देश में सांप्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को तोड़ने वाली खबरें सामने आ रही हैं। रमजान के पाक महीने में हिंदू नव वर्ष, अंबेडकर जयंती, राम नवमी और हनुमान जयंती के कार्यक्रमों के दौरान कई राज्यों से हिंसा की खबरें आई हैं। इनमें से ज्यादातर भाजपा शासित राज्यों से खबरें आई हैं। हिंसा और तनाव की खबरों के बीच बीजेपी शासित राज्यों में जिस तरह से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई हो रही है वह चिंताजनक है और कई सवाल खड़े कर रही है।
न्यूजक्लिक ने रुड़की के भगवानपुर के डाडा जलालपुर गांव पर रिपोर्ट की है। न्यूजक्लिक पर सत्यम तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में आरोपियों के घर पर चलाने के चलन के बाद यह गुजरात और मध्य प्रदेश में भी चल पड़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, रुड़की के भगवानपुर के डाडा जलालपुर गांव में शोभायात्रा में मस्जिद के बाहर गाली भरे गाने चलाने के बाद हिंसा भड़की जिसके बाद पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। मुसलमानों के शुद्धिकरण की बात कर चुके प्रबोधानन्द गिरी ने मुसलमानों के घर न तोड़े जाने पर दी ‘धर्म संसद’ की धमकी।
16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर निकाली गई शोभायात्रा में जहाँ एक तरफ़ दिल्ली के जहाँगीरपुरी में हिंसा भड़क रही थी वहीं उत्तराखंड के रुड़की में भी इसी तरह के पैटर्न के साथ हिंसा भड़की। 16 अप्रैल की देर शाम रुड़की के भगवानपुर इलाके के गाँव डाडा जलालपुर में शोभायात्रा में मस्जिद के सामने मुस्लिम विरोधी नारेबाज़ी के बाद हिन्दू और मुस्लिम समुदायों में हिंसा शुरू हो गई, जिसके बाद पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। गाँव में इस वक़्त पुलिस ने मुस्लिम समुदाय को धमकाते हुए बुलडोज़र खड़े कर दिए हैं और कहा है कि सरेंडर नहीं किया तो कथित आरोपियों के घर तोड़ दिए जाएंगे।
क्या है पूरा मामला?
डाडा इलाके में 3 गाँव हैं- डाडा पट्टी, डाडा हसनपुर और डाडा जलालपुर। शोभायात्रा तीनों गांवों के लोगों ने और हिन्दू संगठनों ने मिल कर निकाली थी। जब यात्रा डाडा जलालपुर पहुंची तब यह विवाद हुआ। न्यूज़क्लिक ने एक स्थानीय पत्रकार से बात की, नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया, “जब यह लोग डाडा जलालपुर में मस्जिद के सामने पहुंचे तो “जय श्री राम” “हिंदुस्तान में रहना है, तो जय श्री राम कहना है” जैसे नारे लगाने शुरू कर दिया। तेज़ आवाज़ में गाने भी चला रहे थे। जैसा जहांगीरपुरी दिल्ली में हुआ वैसे ही मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनसे आगे जाने को कहा क्योंकि रोज़ा खोलने का समय था, पर वह नहीं गए नारेबाज़ी करते रहे और उसके बाद बहस बढ़ कर हिंसा में तब्दील हो गई।”
हिंसा में दोनों तरफ़ से पत्थरबाज़ी होने के साथ ही गाड़ियों को आग भी लगाई गई है। हिंसा में क़रीब 10 लोगों के घायल होने की ख़बर है। इसके बाद एसपी देहात प्रमेन्द्र डोबाल सहित भारी पुलिस बल की तैनाती हुई। पुलिस ने घायलों को अस्पताल भेजने के लिए एम्बुलेंस मँगवाई, और मुस्लिम समुदाय के 6 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। हिन्दू संगठनों की भीड़ बीजेपी नेता जय भगवान सैनी सहित यात्रा को पूरा करवाने की ज़िद कर रही थी। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए ज़िला पंचायत सदस्य अनिल सैनी ने बताया, “हमने पुलिस पर दबाव बनाया और डीएम, डीआईजी की मौजूदगी में हमने रात 1 बजे यात्रा निकाली।”
गाँव में तनाव का माहौल बना हुआ है जिसकी वजह से मुस्लिम समुदाय के लोग बात करने से भी कतरा रहे हैं। न्यूज़क्लिक मुस्लिम समुदाय के किसी सदस्य से सीधा संपर्क नहीं कर पाया।
रात को निकली यात्रा के विडिओ में भी डीजे पर मुसलमानों को पाकिस्तानी बताने वाले, उन्हें भद्दी गालियां देने वाले गाने चल रहे हैं और भीड़ के हाथ में बड़े बड़े डंडे और भगवा झंडे हैं। बीजेपी नेता जय भगवान सैनी भी वहाँ मौजूद थे। गाँव में अभी भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है। डीआईजी गढ़वाल ने कहा है कि वह और लोगों की तलाश कर रहे हैं।
पुलिस क्यों लेकर आई ‘बुलडोज़र’?
रविवार 17 अप्रैल की सुबह पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और 12 नामज़द और 40 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया। उसके बाद खरगोन हिंसा के पैटर्न के तहत पुलिस ने वह किया जो कानून की किसी भी किताब में दर्ज नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार पुलिस रविवार सुबह गाँव में 4 बुलडोज़र लेकर पहुंची और मुस्लिम समुदाय के लोगों को धमकाया कि अगर पत्थर फेंकने वाले सरेंडर नहीं करेंगे तो उनके घरों को बुलडोज़र से गिर दिया जाएगा।
एसओ पीडी भट्ट ने बताया कि बवाल में 12 नामजद और 40 अज्ञात पर केस दर्ज कर लिया है। छह लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली गई है। उन्होंने बताया, “खुर्शीद, शहनवाज, हुसैन, पैगाम, निवाजिश, रियाज, रहीस और इसरार समेत 12 नामजद के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अन्य की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।”
न्यूजक्लिक ने सुप्रीम कोर्ट वकील अनस तनवीर से जानने की कोशिश की कि पुलिस-प्रशासन किस क़ानून के तहत बुलडोज़र का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने बताया, “ऐसा एक भी क़ानून नहीं है जो सरकार को आरोपी व्यक्ति के घर को तोड़ने की ताक़त देता है। किसी भी राज्य में ऐसा कोई क़ानून नहीं है। यह पूरी तरह से क़ानून का नाजायज़ इस्तेमाल है, सरकार उस ताक़त को लगा रही है जो उसके पास है ही नहीं।”
अनस तनवीर ने कहा कि क़ानून व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, “यह एक असंवैधानिक कृत्य है जो सिर्फ़ अल्पसंख्यकों को डराने के लिए किया जा रहा है, यह पूरी तरह से गुंडागर्दी है।”
रामनवमी के जुलूसों से शूरू हुई हिंसा अब हनुमान जयंती तक देश के कई हिस्सों तक फैल गई है। इस हिंसा का पैटर्न समझने की ज़रूरत है। जहांगीरपुरी हो, खारगोन हो या भगवानपुर; पैटर्न एक ही है कि यात्राओ में मुसलमानों को गाली देने वाले गाने और नारे चलते हैं, मस्जिदों और मुस्लिम बहुल इलाकों में यात्रा रुकती है और बहसबाज़ी शुरू होती है जो हिंसा में तब्दील हो जाती है। और जब पुलिस कार्रवाई करती है तो मुस्लिम समुदाय के लोगों को गिरफ़्तार किया जाता है, उनपर एफआईआर दर्ज की जाती है, यहाँ तक कि उनके घर भी तोड़ दिए जाते हैं।
बुलडोज़र का इस्तेमाल खारगोन, मध्य प्रदेश में हुआ था जब गृह राज्य मंत्री नरोत्तम मिश्र के आदेश पर प्रशासन ने मुसलमानों के घरों, दुकानों को तोड़ दिया था।
इस बीच रविवार को हरिद्वार से 'संत' भगवानपुर पहुँच गए जिन्हें पुलिस ने गाँव में जाने से रोक दिया। संत यतींद्रानंद गिरि ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी उन लोगों के साथ मिलकर पार्टियां करते हैं। उन्होंने कहा, “डाडा जलालपुर में पुलिस द्वारा बुलडोजर की नुमाइश लगाई गई है और तमाशा बनाया जा रहा है। पुलिस द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस मामले में केवल गिरफ्तारी कर खानापूर्ति की गई है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस कार्रवाई करती तो पत्थरबाजी करने वालों के घरों पर अब तक बुलडोजर चलना चाहिए था।”
इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुसलमानों के ‘शुद्धिकरण’ की बात कर चुके हिन्दू रक्षा वाहिनी के प्रबोधानंद गिरि ने यह तक कह दिया, “पूरा प्रदेश इस्लाम की गिरफ्त में आ चुका है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन वहां जिहादियों को संरक्षण देने का काम कर रहा है, वहां बुलडोजर की नुमाइश लगाई गई है। उसकी नुमाइश न लगाई जाए बल्कि उसे आरोपियों के घर पर चलाना चाहिए। अगर दो दिन में बुलडोजर नहीं चला तो धर्म संसद होगी और देशभर के संत वहां जुटेंगे।”
साभार- द न्यूजक्लिक
न्यूजक्लिक ने रुड़की के भगवानपुर के डाडा जलालपुर गांव पर रिपोर्ट की है। न्यूजक्लिक पर सत्यम तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में आरोपियों के घर पर चलाने के चलन के बाद यह गुजरात और मध्य प्रदेश में भी चल पड़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, रुड़की के भगवानपुर के डाडा जलालपुर गांव में शोभायात्रा में मस्जिद के बाहर गाली भरे गाने चलाने के बाद हिंसा भड़की जिसके बाद पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। मुसलमानों के शुद्धिकरण की बात कर चुके प्रबोधानन्द गिरी ने मुसलमानों के घर न तोड़े जाने पर दी ‘धर्म संसद’ की धमकी।
16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर निकाली गई शोभायात्रा में जहाँ एक तरफ़ दिल्ली के जहाँगीरपुरी में हिंसा भड़क रही थी वहीं उत्तराखंड के रुड़की में भी इसी तरह के पैटर्न के साथ हिंसा भड़की। 16 अप्रैल की देर शाम रुड़की के भगवानपुर इलाके के गाँव डाडा जलालपुर में शोभायात्रा में मस्जिद के सामने मुस्लिम विरोधी नारेबाज़ी के बाद हिन्दू और मुस्लिम समुदायों में हिंसा शुरू हो गई, जिसके बाद पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। गाँव में इस वक़्त पुलिस ने मुस्लिम समुदाय को धमकाते हुए बुलडोज़र खड़े कर दिए हैं और कहा है कि सरेंडर नहीं किया तो कथित आरोपियों के घर तोड़ दिए जाएंगे।
क्या है पूरा मामला?
डाडा इलाके में 3 गाँव हैं- डाडा पट्टी, डाडा हसनपुर और डाडा जलालपुर। शोभायात्रा तीनों गांवों के लोगों ने और हिन्दू संगठनों ने मिल कर निकाली थी। जब यात्रा डाडा जलालपुर पहुंची तब यह विवाद हुआ। न्यूज़क्लिक ने एक स्थानीय पत्रकार से बात की, नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया, “जब यह लोग डाडा जलालपुर में मस्जिद के सामने पहुंचे तो “जय श्री राम” “हिंदुस्तान में रहना है, तो जय श्री राम कहना है” जैसे नारे लगाने शुरू कर दिया। तेज़ आवाज़ में गाने भी चला रहे थे। जैसा जहांगीरपुरी दिल्ली में हुआ वैसे ही मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनसे आगे जाने को कहा क्योंकि रोज़ा खोलने का समय था, पर वह नहीं गए नारेबाज़ी करते रहे और उसके बाद बहस बढ़ कर हिंसा में तब्दील हो गई।”
हिंसा में दोनों तरफ़ से पत्थरबाज़ी होने के साथ ही गाड़ियों को आग भी लगाई गई है। हिंसा में क़रीब 10 लोगों के घायल होने की ख़बर है। इसके बाद एसपी देहात प्रमेन्द्र डोबाल सहित भारी पुलिस बल की तैनाती हुई। पुलिस ने घायलों को अस्पताल भेजने के लिए एम्बुलेंस मँगवाई, और मुस्लिम समुदाय के 6 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। हिन्दू संगठनों की भीड़ बीजेपी नेता जय भगवान सैनी सहित यात्रा को पूरा करवाने की ज़िद कर रही थी। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए ज़िला पंचायत सदस्य अनिल सैनी ने बताया, “हमने पुलिस पर दबाव बनाया और डीएम, डीआईजी की मौजूदगी में हमने रात 1 बजे यात्रा निकाली।”
गाँव में तनाव का माहौल बना हुआ है जिसकी वजह से मुस्लिम समुदाय के लोग बात करने से भी कतरा रहे हैं। न्यूज़क्लिक मुस्लिम समुदाय के किसी सदस्य से सीधा संपर्क नहीं कर पाया।
रात को निकली यात्रा के विडिओ में भी डीजे पर मुसलमानों को पाकिस्तानी बताने वाले, उन्हें भद्दी गालियां देने वाले गाने चल रहे हैं और भीड़ के हाथ में बड़े बड़े डंडे और भगवा झंडे हैं। बीजेपी नेता जय भगवान सैनी भी वहाँ मौजूद थे। गाँव में अभी भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है। डीआईजी गढ़वाल ने कहा है कि वह और लोगों की तलाश कर रहे हैं।
पुलिस क्यों लेकर आई ‘बुलडोज़र’?
रविवार 17 अप्रैल की सुबह पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और 12 नामज़द और 40 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया। उसके बाद खरगोन हिंसा के पैटर्न के तहत पुलिस ने वह किया जो कानून की किसी भी किताब में दर्ज नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार पुलिस रविवार सुबह गाँव में 4 बुलडोज़र लेकर पहुंची और मुस्लिम समुदाय के लोगों को धमकाया कि अगर पत्थर फेंकने वाले सरेंडर नहीं करेंगे तो उनके घरों को बुलडोज़र से गिर दिया जाएगा।
एसओ पीडी भट्ट ने बताया कि बवाल में 12 नामजद और 40 अज्ञात पर केस दर्ज कर लिया है। छह लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली गई है। उन्होंने बताया, “खुर्शीद, शहनवाज, हुसैन, पैगाम, निवाजिश, रियाज, रहीस और इसरार समेत 12 नामजद के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अन्य की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।”
न्यूजक्लिक ने सुप्रीम कोर्ट वकील अनस तनवीर से जानने की कोशिश की कि पुलिस-प्रशासन किस क़ानून के तहत बुलडोज़र का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने बताया, “ऐसा एक भी क़ानून नहीं है जो सरकार को आरोपी व्यक्ति के घर को तोड़ने की ताक़त देता है। किसी भी राज्य में ऐसा कोई क़ानून नहीं है। यह पूरी तरह से क़ानून का नाजायज़ इस्तेमाल है, सरकार उस ताक़त को लगा रही है जो उसके पास है ही नहीं।”
अनस तनवीर ने कहा कि क़ानून व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, “यह एक असंवैधानिक कृत्य है जो सिर्फ़ अल्पसंख्यकों को डराने के लिए किया जा रहा है, यह पूरी तरह से गुंडागर्दी है।”
रामनवमी के जुलूसों से शूरू हुई हिंसा अब हनुमान जयंती तक देश के कई हिस्सों तक फैल गई है। इस हिंसा का पैटर्न समझने की ज़रूरत है। जहांगीरपुरी हो, खारगोन हो या भगवानपुर; पैटर्न एक ही है कि यात्राओ में मुसलमानों को गाली देने वाले गाने और नारे चलते हैं, मस्जिदों और मुस्लिम बहुल इलाकों में यात्रा रुकती है और बहसबाज़ी शुरू होती है जो हिंसा में तब्दील हो जाती है। और जब पुलिस कार्रवाई करती है तो मुस्लिम समुदाय के लोगों को गिरफ़्तार किया जाता है, उनपर एफआईआर दर्ज की जाती है, यहाँ तक कि उनके घर भी तोड़ दिए जाते हैं।
बुलडोज़र का इस्तेमाल खारगोन, मध्य प्रदेश में हुआ था जब गृह राज्य मंत्री नरोत्तम मिश्र के आदेश पर प्रशासन ने मुसलमानों के घरों, दुकानों को तोड़ दिया था।
इस बीच रविवार को हरिद्वार से 'संत' भगवानपुर पहुँच गए जिन्हें पुलिस ने गाँव में जाने से रोक दिया। संत यतींद्रानंद गिरि ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी उन लोगों के साथ मिलकर पार्टियां करते हैं। उन्होंने कहा, “डाडा जलालपुर में पुलिस द्वारा बुलडोजर की नुमाइश लगाई गई है और तमाशा बनाया जा रहा है। पुलिस द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस मामले में केवल गिरफ्तारी कर खानापूर्ति की गई है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस कार्रवाई करती तो पत्थरबाजी करने वालों के घरों पर अब तक बुलडोजर चलना चाहिए था।”
इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुसलमानों के ‘शुद्धिकरण’ की बात कर चुके हिन्दू रक्षा वाहिनी के प्रबोधानंद गिरि ने यह तक कह दिया, “पूरा प्रदेश इस्लाम की गिरफ्त में आ चुका है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन वहां जिहादियों को संरक्षण देने का काम कर रहा है, वहां बुलडोजर की नुमाइश लगाई गई है। उसकी नुमाइश न लगाई जाए बल्कि उसे आरोपियों के घर पर चलाना चाहिए। अगर दो दिन में बुलडोजर नहीं चला तो धर्म संसद होगी और देशभर के संत वहां जुटेंगे।”
साभार- द न्यूजक्लिक