गोरखपुर। प्राथमिक शिक्षक संघ और माध्यमिक शिक्षक संघ के बाद अब राज्य कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए एक हजार से अधिक कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई हैं। परिषद ने कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए 518 कर्मचारियों की सूची जारी करते हुए कहा कि अंतिम सूची तैयार कि जा रही है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इंजीनियर हरि किशेर तिवारी और महामंत्री शिव बरन सिंह यादव ने मुख्यमंत्री को 23 मई को पत्र लिखकर सभी कर्मियों के परिजनों को एक करोड़ की अनुग्रह राशि, आश्रितों की नौकरी, इलाज में खर्च हुए धनराशि का भुगतान की मांग की है।
इस पत्र में पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए 518 राज्य कर्मचारियों की सूची है। यह सूची मंडलवार और विभागवार बनाई गई है। इसी सूची के अनुसार आगरा में 35, वाराणसी मंडल में 25, गोरखपुर में 32, झांसी और अयोध्या में 17-17, इलाहाबाद में 40, आजमगढ़ में 27, सहरानपुर में आठ, विध्यांचल में 13, अलीगढ़ में 16, मेरठ में 49, देवीपाटन में 23, लखनऊ में 76, चित्रकूट में 13, मुरादाबाद में 28, बरेली में 33 और कानपुर मंडल में 43 कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा है कि परिषद 100 संवर्गों से मिलकर बना है और अभी आधे संवर्गों की ही सूचना प्राप्त हुई है। अभी पूरी सूचना आनी बाकी है लेकिन कुल एक हजार से अधिक कर्मचारियों की मौत हुई है। परिषद के अनुसार, अभी 12 प्रमुख संवर्गों-लेखपाल, राजस्व संग्रह, पंचायत, स्वास्थ्य, मनरेगा, आशा वर्कर, कृषि, बिजली, रोडवेज, जल विकास, जल निगम व पुलिस से पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए कर्मियों की सूची तैयार हो रही है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पहले उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के कारण कोरोना संक्रमण से 1,621 शिक्षकों की मृत्यु की जानकारी देते हुए सूची जारी की थी।
विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने माध्यमिक विद्यालयों में 4,24 शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत होने की जानकारी दी थी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा है, ‘परिषद द्वारा शीर्ष अधिकारियों तथा चुनाव आयोग को पंचायत चुनाव के दौरान आ रही विभिन्न समस्याओं के बारे में बताया था और कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पंचायत चुनाव को स्थगित करने की मांग की थी लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई। हमने मतगणना का भी बहिष्कार किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव पर रोक नहीं लगाई गई।’
इसमें आगे कहा गया है, ‘मतगणना के दो दिन पहले मुख्य सचिव स्तर पर कई संगठनों की वर्चुअल बैठक में मतगणना में अच्छी व्यवस्था देने का आश्वासन लिखित समझौते के रूप में किया गया पर मतगणना के दिन काफी भीड़ हुई और कोविड प्रोटोकाल की पूरी तरह धज्जियां उड़ीं। इस कारण कोरोना गांव-गांव तक तथा हमारे परिवारों तक फैल गया। इसके परिणाम स्वरूप 5 मई बाद काफी मौतें हुई जो अभी भी जारी है।’
पत्र में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से दिवंगत सभी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित कर शहीद का दर्जा दिया जाए, चुनाव ड्यूटी में कोरोना से संक्रमित होने से मरे सभी कर्मचारियों को चाहे वे स्थाई, अस्थाई, संविदा मानदेय, शासकीय या अशासकीय क्यों न हो, उनके परिवारिक सदस्यों को अतिशीघ्र सभी लाभ दिए जाएं। परिषद ने मांग की है कि कार्मिकों के परिजनों को उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार एक करोड़ रुपये की धनराशि दी जाए, मृतक आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति शिक्षा के आधार पर दी जाए चाहे इसके लिए नियमों के तहत अधिसंख्य पद घोषित क्यों न करने पड़े। साथ ही, कोरोना संक्रमण के कारण कार्मिकों का इलाज में जो धन खर्च हुआ है वह खर्च विभाग द्वारा वहन किया जाए तथा उनके और उनके परिवारिक सदस्यों के इलाज तथा टीकाकरण हेतु जिले में अलग व्यवस्था की जाए।
इस पत्र में पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए 518 राज्य कर्मचारियों की सूची है। यह सूची मंडलवार और विभागवार बनाई गई है। इसी सूची के अनुसार आगरा में 35, वाराणसी मंडल में 25, गोरखपुर में 32, झांसी और अयोध्या में 17-17, इलाहाबाद में 40, आजमगढ़ में 27, सहरानपुर में आठ, विध्यांचल में 13, अलीगढ़ में 16, मेरठ में 49, देवीपाटन में 23, लखनऊ में 76, चित्रकूट में 13, मुरादाबाद में 28, बरेली में 33 और कानपुर मंडल में 43 कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा है कि परिषद 100 संवर्गों से मिलकर बना है और अभी आधे संवर्गों की ही सूचना प्राप्त हुई है। अभी पूरी सूचना आनी बाकी है लेकिन कुल एक हजार से अधिक कर्मचारियों की मौत हुई है। परिषद के अनुसार, अभी 12 प्रमुख संवर्गों-लेखपाल, राजस्व संग्रह, पंचायत, स्वास्थ्य, मनरेगा, आशा वर्कर, कृषि, बिजली, रोडवेज, जल विकास, जल निगम व पुलिस से पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए कर्मियों की सूची तैयार हो रही है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पहले उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के कारण कोरोना संक्रमण से 1,621 शिक्षकों की मृत्यु की जानकारी देते हुए सूची जारी की थी।
विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने माध्यमिक विद्यालयों में 4,24 शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत होने की जानकारी दी थी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा है, ‘परिषद द्वारा शीर्ष अधिकारियों तथा चुनाव आयोग को पंचायत चुनाव के दौरान आ रही विभिन्न समस्याओं के बारे में बताया था और कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पंचायत चुनाव को स्थगित करने की मांग की थी लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई। हमने मतगणना का भी बहिष्कार किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव पर रोक नहीं लगाई गई।’
इसमें आगे कहा गया है, ‘मतगणना के दो दिन पहले मुख्य सचिव स्तर पर कई संगठनों की वर्चुअल बैठक में मतगणना में अच्छी व्यवस्था देने का आश्वासन लिखित समझौते के रूप में किया गया पर मतगणना के दिन काफी भीड़ हुई और कोविड प्रोटोकाल की पूरी तरह धज्जियां उड़ीं। इस कारण कोरोना गांव-गांव तक तथा हमारे परिवारों तक फैल गया। इसके परिणाम स्वरूप 5 मई बाद काफी मौतें हुई जो अभी भी जारी है।’
पत्र में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से दिवंगत सभी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित कर शहीद का दर्जा दिया जाए, चुनाव ड्यूटी में कोरोना से संक्रमित होने से मरे सभी कर्मचारियों को चाहे वे स्थाई, अस्थाई, संविदा मानदेय, शासकीय या अशासकीय क्यों न हो, उनके परिवारिक सदस्यों को अतिशीघ्र सभी लाभ दिए जाएं। परिषद ने मांग की है कि कार्मिकों के परिजनों को उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार एक करोड़ रुपये की धनराशि दी जाए, मृतक आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति शिक्षा के आधार पर दी जाए चाहे इसके लिए नियमों के तहत अधिसंख्य पद घोषित क्यों न करने पड़े। साथ ही, कोरोना संक्रमण के कारण कार्मिकों का इलाज में जो धन खर्च हुआ है वह खर्च विभाग द्वारा वहन किया जाए तथा उनके और उनके परिवारिक सदस्यों के इलाज तथा टीकाकरण हेतु जिले में अलग व्यवस्था की जाए।