तरुण तेजपाल केस में सत्र न्यायालय के आदेश पर HC की सख्त टिप्पणी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 2, 2021
पणजी। बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने तरुण तेजपाल मामले में सत्र न्यायालय के आदेश पर कठोर टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि तरुण तेजपाल को बरी करने का सत्र अदालत का फैसला बलात्कार पीड़िताओं के लिए एक नियम पुस्तिका जैसा है क्योंकि इसमें यह बताया गया है कि एक पीड़िता को ऐसे मामलों में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते ने गोवा सरकार की अपील पर तेजपाल को नोटिस जारी किया है।



न्यायमूर्ति गुप्ते ने तेजपाल की रिहाई के सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ गोवा सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के लिए 24 जून की तारीख तय की है। हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री विभाग को मामले से जुड़े सभी कागजातों और अन्य दस्तावेजों को सत्र अदालत से मंगवाने का भी निर्देश दिया है।

जस्टिस गुप्ते ने कहा, 'यह फैसला इसे लेकर है कि उसने (पीड़िता ने) कैसी प्रतिक्रिया दी है। इस पर अवलोकन है। यह बलात्कार पीड़िताओं के लिए नियम-पुस्तिका जैसा है।' हाई कोर्ट ने कहा कि फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले को शामिल नहीं किया गया है।

न्यायमूर्ति गुप्ते ने कहा कि फैसला सीधे मामले के सार में और फिर पीड़िता के साक्ष्यों तथा गवाहों के बयानों को ध्यान में रखकर दिया गया है। अदालत ने कहा, 'प्रथम दृष्टया रिहाई के खिलाफ दायर अपील पर विचार करने का मामला लगता है। प्रतिवादी (तेजपाल) को नोटिस जारी करने और 24 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा जाता है।'
 
गोवा सरकार का पक्ष रख रहे सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सत्र अदालत के 527 पन्नों के फैसले के कुछ हिस्सों को पढ़ा जिसमें पीड़िता के व्यवहार (कथित घटना के दौरान और बाद में) का जिक्र किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें वर्णन 'अत्यधिक असंभवता' का था। मेहता ने कहा, 'फैसले में कहा गया कि पीड़िता जोकि एक बुद्धिमान महिला है और योग प्रशिक्षण होने के कारण शारीरिक रूप से मजबूत है, वह खुदपर हुए यौन हमले को रोक सकती थी।'
 
तुषार मेहता ने कहा, 'हम नहीं जानते कि इस मामले में पीड़िता पर मुकदमा चल रहा था या आरोपी पर। पूरा फैसला ऐसा है कि मानो पीड़िता पर मुकदमा चल रहा था। पीड़िता के यौन इतिहास पर इतनी अधिक चर्चा क्यों होनी चाहिए थी।' सालिसीटर जनरल ने दलील दी कि सत्र अदालत की न्यायाधीश उस समय एक खामोश दर्शक बनी रहीं जब आरोपी के वकील लगातार पीड़िता को शर्मसार कर रहे थे।
 
बता दें कि सत्र अदालत की न्यायाधीश क्षमा जोशी ने तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तेजपाल को इस मामले में 21 मई को बरी कर दिया था। यह घटना नवंबर 2013 की थी जब गोवा में एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान तेजपाल पर अपनी उस वक्त सहयोगी रही महिला से पांच सितारा होटल के लिफ्ट में उसका यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे।

 

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