मछली मर गई तो यह जीडीपी है, मछुवारा मरा तो क्या?

Written by sabrang india | Published on: June 22, 2020
रामेश्वरम। तमिलनाडु के मन्नार खाड़ी क्षेत्र में रामेश्वरम तट से दूर चार मछुआरे 13 जून की शांत सुबह को अपनी नियमित मछली पकड़ने की यात्रा पर निकले। हमेशा की तरह उन्होंने विलियम कास्त्रो के स्वामित्व वाली छोटी मैकेनाइज्ड नाव ली। इस समय कास्त्रो ने मछली पकड़ने की इस यात्रा को छूट देने का विकल्प चुना। इस टीम में रेजिन बास्कर,  मलार, ऑस्टिन सुजिंदर (जिन्हें आनंद के नाम से भी जाना जाता है) थे जिनमें ऑस्टिन सुजिंदर 65 वर्ष से ज्यादा उम्र थी और टीम में सबसे बुजुर्ग व्यक्तियों में थे। वे पहले भी कई बार एक साथ मछलियां पकड़ चुके हैं। उस दिन वे समुद्र के अंदर 8-10 समुद्री मील दूर थे। वे आमतौर पर कोट्टिपट्टिनम के पानी से सटे रामनाथपुरम के पास मछली पकड़ने गए थे।



कुछ ही घंटों के बाद सब कुछ बदल गया। उन्होंने देखा कि नाव में एक छोटा सा छेद है और पानी रिसने लगा है, जल्द ही नाव में एक मैकेनिकल खराबी आ गई। वह उसे ठीन नहीं कर सके और नाव डूबने ली। जेसु उस समय को याद करते हुए बताते हैं कि 'इसके बाद हम मदद के लिए चिल्लाए।'  वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो नाव डूबने के बाद बच गए हैं। इस घटना के एक हफ्ते बाद तक पुदुकोट्टई के अन्य मछुआरों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था और आनंद व बास्कर के शव को ढूंढ पाए थे।

 वे बताते हैं कि यह असंभव है कि मलार बचा हुआ होगा, चूंकि उनका शव नहीं मिला है प्रशासन उन्हें मृत घोषित नहीं करेगा। उनके परिवार में एक अजीबोगरीब स्थिति है क्योंकि उन्हें एक असंभव उम्मीद है कि मलार जिंदा वापस जा जाएंगे या केवल आधिकारिक शब्दों की प्रतीक्षा करें ताकि वे पहले के भुगतान के लिए आवेदन करें, किसी मछुआरे की अगर आकस्मित मौत हो जाती है तो सरकार 2 लाख रूपये तक मुआवजा देती है।

नेशनल फिशवर्कर्स फोरम के राज्य सचिव और रामनाथ फिशवर्कर्स ट्रेड यूजनियन के अध्यक्ष ए पलसामी कहते हैं, अगर मछली मर जाती है तो यह जीडीपी है। यदि मछुआरे मर जाते हैं तो वे अनुग्रही हैं।

 वह और अन्य फिशवर्कर्स एक्टिविस्ट लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि भारतीय प्रायद्वीप के विशाल समुद्र तट के पार हर दिन समुद्र से बाहर निकलने वाले हजारों मछुआरों की सुरक्षा के लिए एक खोज और बचाव प्रणाली स्थापित की जाए।

क्षेत्र के एक मछुआरे ने बताया कि लापता मछुआरों के शव शनिवार 20 जून को मिले ते। वह कहते हैं कि 'सरकार का कहना है कि नावों और प्रशिक्षित लोगों के साथ एक खोज और बचाव विभाग स्थापित करने के लिए कोई निधि नहीं है। नौसेना की नौकाओं के पास अपने हेलिकॉप्टरों और नौकाओं के साथ खोज करने में मदद करने के लिए स्थायी निर्देश नहीं हैं।

बाकी ख़बरें