तबलीगी जमात कोविड मामला : पांच साल बाद मरकज प्रमुख मौलाना साद के भाषणों में ‘कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं’

Written by sabrang india | Published on: September 4, 2025
पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि केवल मरकज में रहने को महामारी के दौरान सरकार द्वारा जारी किए गए आवाजाही प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।



करीब पांच साल पहले निज़ामुद्दीन मरकज़ के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद कंधालवी और अन्य पर दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कर कोविड फैलाने का आरोप लगाया गया था। अब दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के मौजूदा जांच अधिकारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी है कि मौलाना साद के लैपटॉप से बरामद भाषणों में कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं पाई गई। यह जानकारी अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सामने आई है।

31 मार्च 2020 को मौलाना साद और अन्य के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें हत्या न होने वाले आपराधिक मानव वध (culpable homicide not amounting to murder) का आरोप लगाया गया। यह शिकायत उस समय हजरत निज़ामुद्दीन थाने के एसएचओ द्वारा दर्ज कराई गई थी। शिकायत में कहा गया था कि 21 मार्च 2020 को एक ऑडियो रिकॉर्डिंग, जो कथित रूप से साद की बताई गई, व्हाट्सएप पर वायरल हो रही थी। इस ऑडियो में बोलने वाले को लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को नजरअंदाज करते हुए अपने अनुयायियों से मरकज की धार्मिक सभा में शामिल होने की अपील करते सुना गया था।

सूत्रों के अनुसार, मौजूदा जांच अधिकारी ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया है कि मौलाना साद अब तक जांच में शामिल नहीं हुए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, “एक लैपटॉप और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) में डाटा एनालिसिस के लिए जमा किए गए थे, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। साद के भाषण उसी लैपटॉप में सुरक्षित थे, जिनका पहले जांच के दौरान विश्लेषण किया गया था और उनमें कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं पाई गई।”

पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि केवल मरकज में ठहरे होने को महामारी की शुरुआत के दौरान सरकार द्वारा जारी किए गए आवाजाही पर रोक संबंधी आदेशों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। अदालत ने यह टिप्पणी उन 16 एफआईआर और उनके आधार पर दाखिल चार्जशीट्स को रद्द करते हुए की, जो तबलीगी जमात से जुड़े 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ दर्ज की गई थीं।

अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक धार्मिक संगठन तबलीगी जमात पर 13 से 15 मार्च 2020 के बीच दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज में एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक सभा आयोजित कर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाया गया था।

36 अलग-अलग देशों के कुल 952 विदेशी नागरिकों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। एक अधिकारी ने बताया, “48 चार्जशीट और 11 सहायक चार्जशीट 26, 27, 28 मई और 19 जून 2020 को अदालत में पेश की गईं।”

मुकदमे के दौरान, 44 विदेशी आरोपियों ने मुकदमे का सामना करने का फैसला किया, जबकि 908 ने दोष स्वीकार कर लिया और 4,000 से 10,000 रुपये तक का जुर्माना अदा किया।

अखबार ने लिखा कि जब संपर्क किया गया, तो उस समय के दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने कहा, “चार साल पहले सेवानिवृत्ति के बाद मैं अब इस जांच से जुड़ा नहीं हूं।”

वहीं, विशेष पुलिस आयुक्त (क्राइम ब्रांच) और दिल्ली पुलिस प्रवक्ता को टिप्पणी के लिए भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला।

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