पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल पुलिस को लगाई फटकार

Written by sabrang india | Published on: July 8, 2020
नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार विनोद के खिलाफ राजद्रोह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपने के कारण हिमाचल प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जांच रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जमा कराएं। यह रिपोर्ट पुलिस को 13 जुलाई तक सौंपनी होगी। इस मामले में आखिरी सुनवाई अगले सप्ताह होगी। 



लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यदि कोर्ट को पत्रकार की दलीलें सही लगती हैं तो न्यायालय सीधे एफआईआर खारिज कर देगी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित, मोहन एम शांतानागौदर और विनीत सरन की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। पत्रकार विनोद दुआ ने अपने खिलाफ हिमाचल प्रदेश के शिमला में दर्ज की गई एफआईआर को खारिज करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ कोई भी दंडनीय कार्रवाई करने से रोक लगाने की मांग की है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दुआ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि पुलिस ने पूछताछ के नाम पर मुवक्किल का उत्पीड़न किया है। उन्होंने दावा किया कि पुलिस द्वारा दुआ से एक ही सवाल को लेकर बार-बार पूछताछ की गई और पुलिस ने शिकायत के विवरणों को भी साझा करने से मना कर दिया।

वकील ने कहा कि पिछले करीब 45 सालों से विनोद दुआ एक ‘जिम्मेदार पत्रकार’ की तरह कार्य कर रहे हैं और उनके पास बोलने एवं अभिव्यक्ति की आजादी के तहत पूरा अधिकार है कि वे सरकार की आलोचना कर सकें। सिंह ने कहा कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई उनके इस अधिकार को प्रभावित करता है।

विकास सिंह ने एंकर अमीश देवगन द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई है। उन्होंने ऑप इंडिया की नूपुर शर्मा और तीन अन्य के खिलाफ दायर एफआईआर पर रोक लगाने वाले कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया।

हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन मामलों के तथ्य अलग-अलग हैं। इस पर सिंह ने कहा कि ये सभी मामले संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के दायरे में हैं और अभिव्यक्ति एवं बोलने की आजादी से संबंधित हैं। कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस मामले में देरी क्यों कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘यह (प्रोग्राम) 30 मार्च को प्रसारित हुआ था और शिकायत 23 अप्रैल को दर्ज की गई है। इसमें कुल 24 दिनों की देरी थी। आप कहते हैं कि 11 मई को सीआरपीसी की धारा 91 के तहत क्राइम ब्रांच से आपको नोटिस मिला और फिर आपने 11 जून को न्यूज मीडिया हाउस को पत्र लिखा। 11 मई से 11 जून के बीच क्या हुआ, यह जांच को लेकर आपकी गंभीरता को दर्शाता है।’

इसके बाद कोर्ट ने मामले की आखिरी सुनवाई की तारीख अगले हफ्ते के लिए तय की और हिमाचल पुलिस से कहा कि वे 13 जुलाई तक सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट दें।

इससे पहले कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को स्थगित करने से मना कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने अगली सुनवाई यानी कि छह जुलाई तक पत्रकार की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने मंगलवार को फिर कहा कि यह रोक अगली सुनवाई तक जारी रहेगी।

मालूम हो कि भाजपा नेता अजय श्याम द्वारा लगाए गए राजद्रोह के आरोपों पर शिमला पुलिस ने विनोद दुआ को समन जारी किया था। भाजपा नेता ने शिकायत दर्ज कराकर दुआ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ‘द विनोद दुआ शो’ के माध्यम से ‘फर्जी सूचनाएं’ फैलाई हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है।

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