नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए पीएम केयर्स फंड में प्राप्त अनुदान को नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) में ट्रांसफर करने के संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की पीठ ने केंद्र को इस मामले पर चार हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर जवाब देने को कहा है।
गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि मौजूदा महामारी से लड़ने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत एक राष्ट्रीय प्लान बनाया जाना चाहिए और एक्ट की धारा 12 के तहत न्यूनतम राहत निर्धारित की जानी चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वे नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) की धनराशि को कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए सहायता प्रदान करने में खर्च करें और एक्ट की धारा 46(1)(बी) के तहत व्यक्तियों या संस्थाओं से प्राप्त हुए सभी तरह के अनुदान/ग्रांट को एनडीआरएफ में जमा किया जाए, न कि पीएम केयर्स फंड में।
याचिकाकर्ता ने मांग की कि अब तक पीएम केयर्स फंड में प्राप्त अनुदान को एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में ये दलील दी गई है कि प्रशासन एनडीआरएफ का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर रहा है, जबकि देश अप्रत्याशित महामारी का सामना कर रहा है।
इसके अलावा जनता एवं संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बने एनडीआरएफ के होते हुए सरकार ने पीएम केयर्स फंड का गठन किया है, जो कि संसद से पारित एक्ट की मूल भावना का उल्लंघन है।
एनडीआरएफ के विपरीत पीएम केयर्स फंड की पूरी व्यवस्था अपारदर्शी होने के कारण इस पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। एनडीआरएफ में प्राप्त धनराशि का कैग से ऑडिट कराया जाता है और यह आरटीआई एक्ट के दायरे में है।
वहीं पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग के बजाय एक स्वतंत्र ऑडिटर करेगा। हाल ही में पीएमओ ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। यानी कि आरटीआई एक्ट के तहत इसके संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है।
याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 की धारा 72 के तहत किसी अन्य कानून के साथ विरोधाभास उत्पन्न होने की स्थिति में आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों को ही प्रभावी माना जाएगा। इसलिए इस कानून की भावना को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किया जाए।
मालूम हो कि पीएम केयर्स फंड में प्राप्त हुई धनराशि और इसमें से खर्च का विवरण मुहैया कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकार्ताओं ने पीएमओ के उस फैसले को भी चुनौती दी है जिसमें उसने कहा था कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर है।

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की पीठ ने केंद्र को इस मामले पर चार हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर जवाब देने को कहा है।
गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि मौजूदा महामारी से लड़ने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत एक राष्ट्रीय प्लान बनाया जाना चाहिए और एक्ट की धारा 12 के तहत न्यूनतम राहत निर्धारित की जानी चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वे नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) की धनराशि को कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए सहायता प्रदान करने में खर्च करें और एक्ट की धारा 46(1)(बी) के तहत व्यक्तियों या संस्थाओं से प्राप्त हुए सभी तरह के अनुदान/ग्रांट को एनडीआरएफ में जमा किया जाए, न कि पीएम केयर्स फंड में।
याचिकाकर्ता ने मांग की कि अब तक पीएम केयर्स फंड में प्राप्त अनुदान को एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में ये दलील दी गई है कि प्रशासन एनडीआरएफ का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर रहा है, जबकि देश अप्रत्याशित महामारी का सामना कर रहा है।
इसके अलावा जनता एवं संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बने एनडीआरएफ के होते हुए सरकार ने पीएम केयर्स फंड का गठन किया है, जो कि संसद से पारित एक्ट की मूल भावना का उल्लंघन है।
एनडीआरएफ के विपरीत पीएम केयर्स फंड की पूरी व्यवस्था अपारदर्शी होने के कारण इस पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। एनडीआरएफ में प्राप्त धनराशि का कैग से ऑडिट कराया जाता है और यह आरटीआई एक्ट के दायरे में है।
वहीं पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग के बजाय एक स्वतंत्र ऑडिटर करेगा। हाल ही में पीएमओ ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। यानी कि आरटीआई एक्ट के तहत इसके संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है।
याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 की धारा 72 के तहत किसी अन्य कानून के साथ विरोधाभास उत्पन्न होने की स्थिति में आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों को ही प्रभावी माना जाएगा। इसलिए इस कानून की भावना को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किया जाए।
मालूम हो कि पीएम केयर्स फंड में प्राप्त हुई धनराशि और इसमें से खर्च का विवरण मुहैया कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकार्ताओं ने पीएमओ के उस फैसले को भी चुनौती दी है जिसमें उसने कहा था कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर है।