समूह ने बांग्लादेश सरकार से सभी पूजा स्थलों का पुनर्निर्माण करने, प्रभावित लोगों को मुआवजा प्रदान करने का आग्रह किया है
दक्षिण एशिया के प्रख्यात कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने हाल ही में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान शुरू हुई अल्पसंख्यक विरोधी हिंसा के पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हमलों को "अन्याय का संकेत और किसी भी समाज के लिए शर्म की बात" कहा है, जिससे सरकार की बदनामी होती है।
यह देखते हुए कि भले ही बांग्लादेश सरकार देश में सांप्रदायिकता को नियंत्रित करने के लिए काम कर रही है, यह "अल्पसंख्यकों के खिलाफ तबाही और हिंसा का प्रकोप" सरकार के प्रयासों के लिए एक झटका लगता है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी तत्व "सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और हमें उनके खिलाफ लगातार सतर्क रहना होगा।" समूह ने बांग्लादेश सरकार से "सभी पूजा स्थलों, घरों और अन्य क्षतिग्रस्त संपत्ति को मरम्मत कराने का आग्रह किया है और घायल लोगों को और सभी मारे गए लोगों के परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान करने व परिजनों को सरकारी नौकरी देने का आग्रह किया है।"
बता दें कि बांग्लादेश में पवित्र कुरान के अपमान के आरोपों के बाद हिंसा फैल गई थी। यह तब हुआ जब यह पता चला था कि किसी ने पूजा पंडाल में एक हिंदू देवता की मूर्ति के चरणों में इसकी एक प्रति रखी थी। यह कथित अपवित्रता एक स्थान पर हुई, जबकि हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों से सामने आईं।
इस बयान पर कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों द्वारा हस्ताक्षर किए गए, जिनमें शामिल हैं,
भारत से- सैयदा हमीद, शबाना आज़मी, तपन बोस, पी.वी. राजगोपाल, फादर, सेड्रिक प्रकाश, पुरुषोत्तम अग्रवाल, राजीव भार्गव, तानी भार्गव और मजहर हुसैन;
पाकिस्तान से- परवेज हुडभॉय, करामत अली, शीमा करमानी, पीटर जैकब, मोहम्मद तहसीन, मेहनाज़ रहमान, कॉमरेड नासिर मंसूर;
बांग्लादेश से- जस्टिस शम्सुद्दीन चौधरी माणिक, शहरयार कबीर, मोनोरंजन घोषाल;
श्रीलंका से- नलिनी रत्नराजा, मोहम्मद महरुफ;
मालदीव से- मोहम्मद लतीफ
अफगानिस्तान से- सीमा समर और फिदेल रहमती।
उन्होंने कहा कि इस तरह की नफरत और हिंसा, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के खिलाफ दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में देखी जा रही है, और इस प्रकार "क्षेत्र की सभी सरकारों द्वारा तत्काल ध्यान और निर्णायक कार्रवाई की मांग की जाती है ताकि लोगों की समृद्धि, सौहार्द, शांति सुनिश्चित की जा सके और विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।”
पूरा बयान इस प्रकार है:
दक्षिण एशिया के प्रख्यात कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने हाल ही में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान शुरू हुई अल्पसंख्यक विरोधी हिंसा के पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हमलों को "अन्याय का संकेत और किसी भी समाज के लिए शर्म की बात" कहा है, जिससे सरकार की बदनामी होती है।
यह देखते हुए कि भले ही बांग्लादेश सरकार देश में सांप्रदायिकता को नियंत्रित करने के लिए काम कर रही है, यह "अल्पसंख्यकों के खिलाफ तबाही और हिंसा का प्रकोप" सरकार के प्रयासों के लिए एक झटका लगता है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी तत्व "सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और हमें उनके खिलाफ लगातार सतर्क रहना होगा।" समूह ने बांग्लादेश सरकार से "सभी पूजा स्थलों, घरों और अन्य क्षतिग्रस्त संपत्ति को मरम्मत कराने का आग्रह किया है और घायल लोगों को और सभी मारे गए लोगों के परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान करने व परिजनों को सरकारी नौकरी देने का आग्रह किया है।"
बता दें कि बांग्लादेश में पवित्र कुरान के अपमान के आरोपों के बाद हिंसा फैल गई थी। यह तब हुआ जब यह पता चला था कि किसी ने पूजा पंडाल में एक हिंदू देवता की मूर्ति के चरणों में इसकी एक प्रति रखी थी। यह कथित अपवित्रता एक स्थान पर हुई, जबकि हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों से सामने आईं।
इस बयान पर कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों द्वारा हस्ताक्षर किए गए, जिनमें शामिल हैं,
भारत से- सैयदा हमीद, शबाना आज़मी, तपन बोस, पी.वी. राजगोपाल, फादर, सेड्रिक प्रकाश, पुरुषोत्तम अग्रवाल, राजीव भार्गव, तानी भार्गव और मजहर हुसैन;
पाकिस्तान से- परवेज हुडभॉय, करामत अली, शीमा करमानी, पीटर जैकब, मोहम्मद तहसीन, मेहनाज़ रहमान, कॉमरेड नासिर मंसूर;
बांग्लादेश से- जस्टिस शम्सुद्दीन चौधरी माणिक, शहरयार कबीर, मोनोरंजन घोषाल;
श्रीलंका से- नलिनी रत्नराजा, मोहम्मद महरुफ;
मालदीव से- मोहम्मद लतीफ
अफगानिस्तान से- सीमा समर और फिदेल रहमती।
उन्होंने कहा कि इस तरह की नफरत और हिंसा, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के खिलाफ दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में देखी जा रही है, और इस प्रकार "क्षेत्र की सभी सरकारों द्वारा तत्काल ध्यान और निर्णायक कार्रवाई की मांग की जाती है ताकि लोगों की समृद्धि, सौहार्द, शांति सुनिश्चित की जा सके और विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।”
पूरा बयान इस प्रकार है:
दक्षिण एशियाई के रूप में, हम दुर्गा पूजा और विजयादशमी के अवसर पर बांग्लादेश में हिंसा और हत्याओं की घटनाओं से बहुत व्यथित और दुखी हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमले किसी भी समाज के लिए अन्याय और शर्म की बात का संकेत हैं और सरकार की बदनामी करते हैं।
इस अमानवीय और नासमझी से व्यापप्त हिंसा से किसी भी तरह से मारे गए, घायल और प्रभावित सभी लोगों के साथ हमारी हार्दिक सहानुभूति और एकजुटता है।
यहां तक कि जब हम बांग्लादेश सरकार के कट्टर समूहों में शासन करने और देश में सांप्रदायिकता को नियंत्रित करने में कुछ राहत महसूस कर रहे थे, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का मौजूदा प्रकोप एक बड़ा झटका है। यह बांग्लादेश सरकार के सांप्रदायिकता पर अंकुश लगाने और सांप्रदायिक सौहार्द और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के प्रयास पर एक झटका है।
इससे यह भी पता चलता है कि किसी भी समाज में नफरत और हिंसा फैलाने पर आमादा कट्टरपंथी तत्व हमेशा सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में रहते हैं और हमें उनके खिलाफ लगातार चौकसी बरतनी होगी।
सोशल मीडिया के समय में हाल की हिंसा में शामिल सभी लोगों की पहचान की कोशिश करना और उन्हें दंडित करना आसान है। हम समझते हैं कि बांग्लादेश सरकार ने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और हम इसका स्वागत करते हैं और आग्रह करते हैं कि दूसरों को रोकने के लिए त्वरित और अनुकरणीय दंड दिया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी अप्रिय घटनाएं फिर से न दोहराई जाएं।
अंत में हम बांग्लादेश सरकार से सभी पूजा स्थलों, घरों और किसी भी अन्य क्षतिग्रस्त संपत्ति को तुरंत पुनर्निर्माण और मरम्मत कराने का आग्रह करते हैं। साथ ही घायलों और मारे गए लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी व उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग करते हैं।
हम पाते हैं कि दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में विभाजनकारी ताकतें नफरत और हिंसा फैला रही हैं, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ। यह गंभीर चिंता का विषय है और क्षेत्र की सभी सरकारों द्वारा तत्काल ध्यान देने और निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया जाता है ताकि लोगों के बीच सौहार्द, शांति सुनिश्चित हो और लोगों के विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो।
इस क्षेत्र के सभी देश पहले से ही सभी विकास संकेतकों में पिछड़ रहे हैं और समाज में कोई और विभाजन और हिंसा हमारे लोगों को और अधिक गरीबी व दुख में धकेल सकती है।
हम सभी दक्षिण एशियाई लोगों से किसी भी रूप में किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ बोलने और शांति सुनिश्चित करने और लोगों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपनी सरकारों पर दवाब बनाने का आग्रह करते हैं।
*India*
Syeda Hameed- Khwaja Ahmed Abbas Trust
Shabana Azmi- Film Actor- Activist
Tapan Bose- Peace Activist
P.V. Rajagopal- Sarvodaya Samaj
Fr, Cedric Prakash- Peace Activist
Purushottam Aggarwal- Writer and Peace Activist
Rajeev Bhargava- Academic
Tani Bhargava - Academic
Mazher Hussain- COVA Peace Network
*Pakistan*
Pervez Hoodbhoy- Physicist - Activist
Karamat Ali- PILER
Sheema Kermani- Tehrik- e- Niswan
Peter Jacob- Peoples Commission for Minority Rights
Mohammed Tahseen- SAP
Mehnaz Rehman – Aurat Foundation
Comrade Nasir Mansoor, National Trade Union Federation ( NTUF)
*Bangladesh*
Justice Shamsuddin Chowdhury Manik-
Shahriar Kabir- Forum for Secular Bangladesh
Monoranjan Ghosal- Interreligious Harmony Society
*Sri Lanka*
Nalini Ratnarajah- Women Development Innovators
Mohammed Mahuruf- PEaCE
*Afghanistan*
Sima Samar- Former Minister for Womens’ Affairs
Fidel Rehmati- Academic
*Maldives*
Mohammed Latheef - Peace Activist
Related:
अल्पसंख्यकों पर हमले किसी भी समाज के लिए अन्याय और शर्म की बात का संकेत हैं और सरकार की बदनामी करते हैं।
इस अमानवीय और नासमझी से व्यापप्त हिंसा से किसी भी तरह से मारे गए, घायल और प्रभावित सभी लोगों के साथ हमारी हार्दिक सहानुभूति और एकजुटता है।
यहां तक कि जब हम बांग्लादेश सरकार के कट्टर समूहों में शासन करने और देश में सांप्रदायिकता को नियंत्रित करने में कुछ राहत महसूस कर रहे थे, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का मौजूदा प्रकोप एक बड़ा झटका है। यह बांग्लादेश सरकार के सांप्रदायिकता पर अंकुश लगाने और सांप्रदायिक सौहार्द और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के प्रयास पर एक झटका है।
इससे यह भी पता चलता है कि किसी भी समाज में नफरत और हिंसा फैलाने पर आमादा कट्टरपंथी तत्व हमेशा सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में रहते हैं और हमें उनके खिलाफ लगातार चौकसी बरतनी होगी।
सोशल मीडिया के समय में हाल की हिंसा में शामिल सभी लोगों की पहचान की कोशिश करना और उन्हें दंडित करना आसान है। हम समझते हैं कि बांग्लादेश सरकार ने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और हम इसका स्वागत करते हैं और आग्रह करते हैं कि दूसरों को रोकने के लिए त्वरित और अनुकरणीय दंड दिया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी अप्रिय घटनाएं फिर से न दोहराई जाएं।
अंत में हम बांग्लादेश सरकार से सभी पूजा स्थलों, घरों और किसी भी अन्य क्षतिग्रस्त संपत्ति को तुरंत पुनर्निर्माण और मरम्मत कराने का आग्रह करते हैं। साथ ही घायलों और मारे गए लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी व उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग करते हैं।
हम पाते हैं कि दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में विभाजनकारी ताकतें नफरत और हिंसा फैला रही हैं, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ। यह गंभीर चिंता का विषय है और क्षेत्र की सभी सरकारों द्वारा तत्काल ध्यान देने और निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया जाता है ताकि लोगों के बीच सौहार्द, शांति सुनिश्चित हो और लोगों के विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो।
इस क्षेत्र के सभी देश पहले से ही सभी विकास संकेतकों में पिछड़ रहे हैं और समाज में कोई और विभाजन और हिंसा हमारे लोगों को और अधिक गरीबी व दुख में धकेल सकती है।
हम सभी दक्षिण एशियाई लोगों से किसी भी रूप में किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ बोलने और शांति सुनिश्चित करने और लोगों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपनी सरकारों पर दवाब बनाने का आग्रह करते हैं।
*India*
Syeda Hameed- Khwaja Ahmed Abbas Trust
Shabana Azmi- Film Actor- Activist
Tapan Bose- Peace Activist
P.V. Rajagopal- Sarvodaya Samaj
Fr, Cedric Prakash- Peace Activist
Purushottam Aggarwal- Writer and Peace Activist
Rajeev Bhargava- Academic
Tani Bhargava - Academic
Mazher Hussain- COVA Peace Network
*Pakistan*
Pervez Hoodbhoy- Physicist - Activist
Karamat Ali- PILER
Sheema Kermani- Tehrik- e- Niswan
Peter Jacob- Peoples Commission for Minority Rights
Mohammed Tahseen- SAP
Mehnaz Rehman – Aurat Foundation
Comrade Nasir Mansoor, National Trade Union Federation ( NTUF)
*Bangladesh*
Justice Shamsuddin Chowdhury Manik-
Shahriar Kabir- Forum for Secular Bangladesh
Monoranjan Ghosal- Interreligious Harmony Society
*Sri Lanka*
Nalini Ratnarajah- Women Development Innovators
Mohammed Mahuruf- PEaCE
*Afghanistan*
Sima Samar- Former Minister for Womens’ Affairs
Fidel Rehmati- Academic
*Maldives*
Mohammed Latheef - Peace Activist
Related: