मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी के बाद फेक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की गई जिसकी देशव्यापी आलोचना की जा रही है। अब एक और स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार को गिरफ्तार किया गया है। वहीं दूसरी तरफ एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। फिल्म डायरेक्टर अविनाश दास को भी एक फोटो शेयर करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी गिरफ्तारियों के खिलाफ मंगलवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के गेट पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन में मौजूद समाजवादी जनपरिषद के अफलातून ने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार आदिवासियों पर जुल्म ढहा रही है और दूसरी तरफ आदिवासियों को लुभाने के लिए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की राज्यपाल रहते हुए कभी भी आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार को लेकर मुंह नहीं खोला।
अफलातून ने इससे भी आगे जाकर कहा कि झारखंड के ही एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी की भी हत्या कर दी गई। क्रूरता की हद यह है कि उन्हें महीनों तक पानी पीने वाला स्ट्रॉ तक नहीं दिया गया।
यहां उपस्थित रजनीश भारती ने पुलिसिया दमन को लेकर कहा कि जब भी आप सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे तब सरकार पुलिस को आगे कर देती है। एक तरफ हम मेहनतकश लोग हैं, दूसरी तरफ पुलिस जो स्वयं मजदूर-किसान परिवार से आते हैं, दोनों को आपस में लड़ाकर सरकार और कॉरपोरेट जनता को लूटते रहते हैं।
भगत सिंह छात्र मोर्चा से मानव उमेश ने आमिर अज़ीज की कविता 'सब याद रखा जाएगा' के माध्यम से अपनी बातचीत में कहा कि आज जो भी सरकार के खिलाफ बोल रहा है उसे दबाया जा रहा है, चाहे तीस्ता सेतलवाड़ हों, हिमांशु कुमार हों, फादर स्टेन स्वामी हों या राजनैतिक बंदी हों। हम जब भी प्रोटेस्ट करते हैं तो भारी संख्या में पुलिस हमें रोकने में जुट जाती है। आखिर हमारे बोलने से, हमारे लिखने से या हमारे पढ़ने से इन्हें क्या दिक्कत है?
उन्होंने आगे कहा- साफ समझ आता है कि यह शोषक वर्ग चाहता है कि वे जुल्म तो करते रहें लेकिन उनके खिलाफ कोई बोलने वाला न हो। इन गिरफ्तारियों के माध्यम से सरकार हर बोलने वाले को डराना चाहती है लेकिन हम इनसे डरने वाले नहीं हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में अभियान चलाएगा AIUFWP
16 जुलाई, शनिवार को ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) के दिल्ली कार्यालय पर विभिन्न जनआंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गई जिसमें चर्चा की गई कि तीस्ता सेतलवाड़, आनंद तेलतुम्बुड़े, गुल्फिशा, गौतम नवलखा, शोमा सेन, उमर खालिद, साईबाबा, मोहम्मद जुबैर जैसे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं, विद्वानों, पत्रकारों, शिक्षाविद और वकीलों की गैरकानूनी गिरफ्तारी एवं नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी आंदोलन के विभिन्न कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है। कहा कि मोदी शासन में उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि अन्याय, भेदभाव और स्वतंत्रता से लड़ने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, वकीलों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्ला, AIUFWP के अशोक चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता मधु प्रसाद व मुनिजा खान, एआईयूएफडब्ल्यूपी से रोमा और सोस्मा, पीपल साइंस मूवमेंट से दिनेश अबरोल, दिल्ली सोलीडेरिटी ग्रुप (DSG) से शबीना, आंचल, राजा रब्बी हुसैन और एस्लामुन जहान, सीएफए से प्रिया, प्रियदर्शिनी व आशीष कालजा, अखिल भारतीय क्रांतिकारी छात्र संगठन से शिशु रंजन और निरंजन, समाजवादी लोक मंच से धर्मेंद्र जोशी, अखिल भारतीय कबाड़ी मजदूर महासंघ से शशि पंडित, पत्रकार एम. अबूजर तथा सांस्कृतिक कार्यकर्ता डॉ. शुभेंधु घोष आदि ने संयुक्त रूप से बयान जारी किया कि लोकतांत्रिक अधिकारों के पैरोकारों की तत्काल बिना शर्त रिहाई होनी चाहिए।
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अफलातून ने इससे भी आगे जाकर कहा कि झारखंड के ही एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी की भी हत्या कर दी गई। क्रूरता की हद यह है कि उन्हें महीनों तक पानी पीने वाला स्ट्रॉ तक नहीं दिया गया।
यहां उपस्थित रजनीश भारती ने पुलिसिया दमन को लेकर कहा कि जब भी आप सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे तब सरकार पुलिस को आगे कर देती है। एक तरफ हम मेहनतकश लोग हैं, दूसरी तरफ पुलिस जो स्वयं मजदूर-किसान परिवार से आते हैं, दोनों को आपस में लड़ाकर सरकार और कॉरपोरेट जनता को लूटते रहते हैं।
भगत सिंह छात्र मोर्चा से मानव उमेश ने आमिर अज़ीज की कविता 'सब याद रखा जाएगा' के माध्यम से अपनी बातचीत में कहा कि आज जो भी सरकार के खिलाफ बोल रहा है उसे दबाया जा रहा है, चाहे तीस्ता सेतलवाड़ हों, हिमांशु कुमार हों, फादर स्टेन स्वामी हों या राजनैतिक बंदी हों। हम जब भी प्रोटेस्ट करते हैं तो भारी संख्या में पुलिस हमें रोकने में जुट जाती है। आखिर हमारे बोलने से, हमारे लिखने से या हमारे पढ़ने से इन्हें क्या दिक्कत है?
उन्होंने आगे कहा- साफ समझ आता है कि यह शोषक वर्ग चाहता है कि वे जुल्म तो करते रहें लेकिन उनके खिलाफ कोई बोलने वाला न हो। इन गिरफ्तारियों के माध्यम से सरकार हर बोलने वाले को डराना चाहती है लेकिन हम इनसे डरने वाले नहीं हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में अभियान चलाएगा AIUFWP
16 जुलाई, शनिवार को ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) के दिल्ली कार्यालय पर विभिन्न जनआंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गई जिसमें चर्चा की गई कि तीस्ता सेतलवाड़, आनंद तेलतुम्बुड़े, गुल्फिशा, गौतम नवलखा, शोमा सेन, उमर खालिद, साईबाबा, मोहम्मद जुबैर जैसे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं, विद्वानों, पत्रकारों, शिक्षाविद और वकीलों की गैरकानूनी गिरफ्तारी एवं नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी आंदोलन के विभिन्न कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है। कहा कि मोदी शासन में उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि अन्याय, भेदभाव और स्वतंत्रता से लड़ने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, वकीलों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्ला, AIUFWP के अशोक चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता मधु प्रसाद व मुनिजा खान, एआईयूएफडब्ल्यूपी से रोमा और सोस्मा, पीपल साइंस मूवमेंट से दिनेश अबरोल, दिल्ली सोलीडेरिटी ग्रुप (DSG) से शबीना, आंचल, राजा रब्बी हुसैन और एस्लामुन जहान, सीएफए से प्रिया, प्रियदर्शिनी व आशीष कालजा, अखिल भारतीय क्रांतिकारी छात्र संगठन से शिशु रंजन और निरंजन, समाजवादी लोक मंच से धर्मेंद्र जोशी, अखिल भारतीय कबाड़ी मजदूर महासंघ से शशि पंडित, पत्रकार एम. अबूजर तथा सांस्कृतिक कार्यकर्ता डॉ. शुभेंधु घोष आदि ने संयुक्त रूप से बयान जारी किया कि लोकतांत्रिक अधिकारों के पैरोकारों की तत्काल बिना शर्त रिहाई होनी चाहिए।
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