दरगाह में एंट्री को 'महिलाओं की जीत' बताने वाली स्मृति को मंदिर में महिलाओं की एंट्री से आपत्ति क्यों है?

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 27, 2018
देश की सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जिसके बाद से हिंदुत्ववादी संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी इस बहस में कूद पड़ी हैं. ईरानी ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर अपनी राय देकर फैसले के खिलाफ विरोध का समर्थन किया है. 



केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “मैं मौजूदा केंद्रीय मंत्री हूं इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकती हूं। मुझे लगता है कि मेरे पास पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का नहीं. और यही वह अंतर है जिसे पहचानने और सम्मान करने की ज़रूरत है”.

उन्होंने आगे कहा, “क्या आप महावारी के खून से सने सेनेटरी नेपकिन को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? आप नहीं जाएंगी. तो फिर भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं? यही वह अंतर है”.

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब आलोचना हो रही है. यूजर्स उनको उनके पुराने बयान याद दिला रहे हैं. दरअसल जब मुंबई की हाजी दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को महिलाओं की जीत बताया था. 

लेकिन अब ईरानी ने सुर बदल दिए हैं. अब कोर्ट का फैसला उन्हें महिलाओं की जीत नहीं बल्कि मंदिर का अपमान लगता है. स्मृति ईरानी के इसी यू टर्न पर एक ट्विटर यूज़र ने प्रतिक्रिया दी है.

अनाहत नाम के यूज़र ने लिखा, “वाह! स्मृति ईरानी मंत्री साहिबा, ट्रिपल तलाक़ और हाजी अली पर महिलाओं की जीत बताने वाली आज आप का ये कथन आप के डबल स्टैंडर्ड को ज़ाहिर करता है”.

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