महाराष्ट्र में बीते चार साल में 14,034 किसानों ने की आत्महत्या- RTI

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 18, 2019
देश की एक बड़ी आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाती है. लेकिन कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. अब एक आरटीआई से यह जानकारी सामने आई है कि भाजपा शासित महाराष्ट्र में साल 2014-2018 तक 14,034 किसानों ने सुसाइड किया है. इस तरह महाराष्ट्र में हर दिन औसतन आठ किसानों ने आत्महत्या  की है. जबकि कर्जमाफी के लिए साल 2017 में 4500 किसानों ने आत्महत्या की है बावजूद इसके कि इसी साल कर्जमाफी के लिए 34000 करोड़ रुपये का ऐलान भी किया गया था.



बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये आंकड़ें मुंबई के कार्यकर्ता जितेंद्र घड़गे द्वारा दायर आरटीआई के जरिए महाराष्ठ्र सरकार से प्राप्त हुए हैं. बीते पांच सालों में 14,034 किसानों ने आत्महत्या की है. किसानों की क़र्ज़माफ़ी के लिए 34,000 करोड़ रुपये के आवंटन से भी किसानों को राहत नहीं मिली.

आरटीआई के मुताबिक, दिसंबर 2017 में राज्य के 1,755 किसानों ने आत्महत्या की जबकि 2018 में यह आंकड़ा 2,761 रहा. इस तरह से देखा जाए तो क़र्ज़माफ़ी के बावजूद हर दिन औसतन आठ किसानों ने आत्महत्या की है.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के 89 लाख किसानों को राहत पहुंचाने के लिए 34,022 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. उस वक्त उन्होंने कहा था, ‘यह एक ऐतिहासिक फैसला है. हमारी सरकार द्वारा घोषित क़र्ज़माफ़ी की राशि सबसे अधिक है.’

बीते पांच सालों में जितने किसानों ने आत्महत्या की है, उनमें से 32 फीसदी ने क़र्ज़माफ़ी योजना के ऐलान के बाद आत्महत्या की है.

राज्य सरकार की ओर से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) को उपलब्ध कराए गई जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में जनवरी 2011 से दिसंबर 2014 के दौरान 6,268 किसानों ने आत्महत्या की है. अगले पांच सालों यानी 2015-2018 के दौरान किसानों की आत्महत्या की संख्या लगभग दोगुनी होकर 11,995 हो गई.

राज्य सरकार ने 2015 में एनएचआरसी को लिखे पत्र में कहा था, ‘किसानों की आत्महत्या के प्रमुख कारणों में क़र्ज़, फसल का नुकसान, क़र्ज़ चुकाने में असमर्थता, देनदारों का दबाव, बेटी की शादी या अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त धन का प्रबंध नहीं होना, गंभीर बीमारी, शराब की लत, जुए जैसे कारण हैं.’

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