RSS की चुनावी रणनीति: सेविकाओं ने संभाली थी महिला वोट की कमान

Written by Sakshi Mishra | Published on: May 29, 2019
बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद यह माना जा रहा है कि हर जाति हर वर्ग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनाया है। इस पर न्यूज चैनलों पर काफी लंबे-लंबे डिबेट चल रहे हैं। पीएम मोदी की नीतियों का गुणगान हो रहा है तो कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कठोर तपस्या का परिणाम इस जीत को बताया जा रहा है। इन सबके बीच आरएसएस की महिला विंग 'राष्ट्रीय सेविका समिति' की खास रणनीति का जिक्र आपको शायद ही कहीं सुनने को मिला हो। घर के बाहर अगर स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाल रखा था तो घर-घर जाकर महिलाओं को समझाने का दायित्व सेविकाओं ने उठा रखा था। संघ से मिले निर्देशों के अनुसार सेविका समिति की कार्यकर्ताओं ने महिला वर्ग की कमान संभाल रखी थी।      
 


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सदस्य और राष्ट्रीय सेविका समिति की एक सदस्य ने पहचान गोपनीय बनाए रखने की शर्त पर हमसे सेविका समिति को मिले निर्देशों और चुनाव के दौरान महिलाओं को एकजुट करने की नीतियों पर चर्चा की।    

सेविका समिति को संघ का निर्देश
राष्ट्रीय सेविका समिति को इस बार संघ की ओर से कुछ खास निर्देश मिले थे। संघ से मिले निर्देशों पर सेविका ने कहा, 'कैंपेन से पहले सेविकाओं को महिलाओं से बातचीत करने के टिप्स दिए गए थे। उन्हें डाटा दिया गया था जो आम आदमी कलेक्ट नहीं कर सकता है।'

वहीं निर्देशों के विषय में चर्चा करते हुए एक सेवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'सेविका समिति को 10-12 घर के बाद एक घर में छोटी सी बैठक करने, महिलाओं को वोट देने के लिए जागरूक करने के साथ ही देशहित में निर्णय लेने की अपील करने को कहा गया था। लेकिन बीजेपी के लिए सीधे वोट मांगना उन्हें वर्जित था।'

इस प्रकार शहर के प्रत्येक मोहल्ले के कुछ घरों में आसपास की महिलाओं को एकत्रित कर अनौपचारिक बैठक करने, उन्हें मतदान करने के लिए प्रेरित करने और देशहित में निर्णय लेने के लिए प्रेरित करने की नीति तैयार की गई थी। हालांकि, सीधे तौर पर बीजेपी को वोट करने की अपील नहीं की जा रही थी, परंतु सरकार के गुणों की चर्चा करते हुए उनका इशारा बीजेपी की ओर ही होता था। इतना ही नहीं उन्हें मुस्लिम इलाकों में भी महिलाओं से बातचीत करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही किसी भी प्रकार की तनातनी से बचने की हिदायत भी दी गई थी।

शहरी महिलाओं से संवाद
राष्ट्रीय सेविका समिति का अंदाज महिलाओं से बातचीत के दौरान काफी अनौपचारिक रहता था। कॉलोनी के किसी घर में चाय-बिस्कुट के साथ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘उज्जला योजना’ जैसे विषयों पर चर्चा कर देशहित में मतदान करने की अपील की जाती थी।

उक्त सेविका ने बताया कि बातचीत के दौरान हम महिलाओं से कहते थे कि “हम लोग इस देश के नागरिक हैं और यह डेमोक्रेसी है और वोट करना हमारा राइट है। अब इस राइट को किसके लिए यूज करना चाहिए? यह प्रश्न हम उनपर ही पहले डाल दिया करते थे कि यह आप सोचिए। फिर हम महिलाओं से जुड़ी योजना की बात करते थे और कहते थे कि जिस भी जाति-धर्म से आप हैं उस सबसे अलग जब तक यह देश सुरक्षित रहेगा तभी तो हम रहेंगे। तो कौन है जो देश को सुरक्षित रख सकता है? कौन है जो महिलाओं की जमीनी जरूरतों के विषय में कार्य करता है? और फिर उनका जवाब एक ही होता था।’’

सोसाइटी पार्क में शाम को बस योजनाओं की चर्चा करते-करते कब सभा लग जाती थी किसी को यह ज्ञात ही नहीं रहता था। प्रत्येक 10-12 घर के बाद एक घर में बैठक करने की नीति बनाई गई थी। बातचीत के दौरान महिलाओं को लाभ पहुंचाए जाने वाली योजनाओं के साथ मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान आतंकियों पर कड़ी कार्रवाही और एयर स्ट्राइक व सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र शामिल हुआ करता था। हाँ ! ये बात और है कि चुनाव आयोग ने सेना के इन ऑपरेशन के जिक्र पर प्रतिबंध लगा दिया था। परंतु घर में शाम की चाय पर इन वार्तालाप पर भला कोई कैसे आपत्ति प्रकट कर सकता है?

ग्रामीण महिलाओं से संवाद
राष्ट्रीय सेविका समिति ने बहुत ही समझदारी के साथ गांव-देहात के उन हिस्सा का भ्रमण किया जहां ‘स्वच्छ अभियान’ के तहत शौचालय बनाया गया हो या ‘आवास योजना’ के तहत गरीब परिवार के लिए मकान बनाया गया हो। इन इलाकों में योजनाओं से लाभान्वित महिला का उदाहरण देते हुए बताया जाता था कि कैसे आने वाले समय में उन्हें भी लाभ प्राप्त हो सकता है। इस प्रयास से एक ओर लाभान्वित का मतदान निश्चित हो जाता था वहीं दूसरी ओर अन्य मतदाताओं के मन को भी प्रभावित कर दिया जाता था।          

मुस्लिम महिलाओं से संवाद
सेविका ने बताया कि संघ की ओर से सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें मुस्लिम इलाकों में समूह बनाकर जाने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा कि “एक इंसान कुछ बोले तो उसका असर कम होता है परंतु जुट में लोग बोलें तो सबको बात सुननी पड़ती है।’’

मुस्लिम समुदाय के इलाकों में समिति की कार्यकर्ता हमेशा समूह में जाया करती थीं। वहां इनका ध्यान महिलाओं को आकर्षित करने में और उनसे बातचीत करने में रहता था। संघ की ओर से इन्हें किसी भी प्रकार की झड़प में नहीं पड़ने का सख्त निर्देश भी दिया गया था। फिर बिना किसी धार्मिक मुद्दे पर चर्चा किए हुए इन महिलाओं से देशहित में निर्णय लेने की अपील की जाती थी। 

सेविका समिति की नीतियां
इस बातचीत के बाद हमने सेविका समिति की नीतियों पर कुछ खास निष्कर्ष निकाला है। ये नीतियां जितनी सामान्य प्रतीत होती हैं उतना ही असामान्य था इनका असर, जिसका किसी को आभास तक नहीं होने दिया गया।    

महिला कार्यकर्ताओं को ‘बीजेपी’ के लिए सीधे तौर पर वोट मांगना वर्जित था। इसलिए बातचीत की शुरुआत मतदान की अहमियत के जिक्र के साथ होती थी। महिलाओं को समझाया जाता था कि मतदान न सिर्फ उनका अधिकार है बल्कि देश के उज्जवल भविष्य के लिए उनका दायित्व भी है। साथ ही आरएसएस की विचारधारा का प्रचार किया जाता था। 

अनौपचारिक बैठक के दूसरे चरण के दौरान जिक्र होता था सरकार की योजनाओं का जिनसे खासकर की महिलाओं को लाभ पहुंचा हो। जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ पर चर्चा की जाती थी। इन योजनाओं के साथ पाकिस्तान-पुलवामा हमले- बालाकोट एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र किया जाता था।

बैठक का समापन देशहित में मतदान करने की अपील के साथ किया जाता था। मतदान के प्रति जागरूक अनौपचारिक सदस्यों को शायद ही आभास हुआ होगा कि कुछ मिनटों की सभा के बाद उनकी विचारधारा में कितना बड़ा बदलाव आ गया है। ऐसे में उनका निर्णय क्या हुआ होगा इसका अंदाजा संघ के कार्यकर्ताओं की खुशी से लगाया जा सकता है। 

फिलहाल बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की है जिसका श्रेय आरएसएस के सेवक व सेविकाओं के साथ मतदाताओं की सूझ-बूझ की क्षमता को भी जाता है। ये बात और है कि पिछले दो दिनों से पेट्रोल की कीमतों में इजाफा होने की खबर आ रही है। चिंता शायद बेरोजगार मतदाताओं की है? लेकिन नहीं मोदी की जीत से बाजार में बाहर आई है भले ही नौकरी की खबर न आई हो। वैसे भी नई पारी की घोषणा हुई है शुरुआत तो शपथ समारोह के साथ होगी। तो इंतजार कीजिए पुरानी पारी के अफसोस भुलाकर! अच्छी खबर आने वाली है?? अच्छे दिन आने वाले हैं???      

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