शक्तिकांत दास बने RBI गवर्नर तो रवीश बोले- मैं भी तो इतिहास का छात्र रहा हूं, मुझे क्यों नहीं बनाया?

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 12, 2018
इतिहास के छात्र रहे शक्तिकांत दास को भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया गया है. इसको लेकर दिनभर सोशल मीडिया पर चर्चा रही. इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार और एनडीटीवी के कार्यकारी संपादक रवीश कुमार ने चुटकी ली है. रवीश ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज से एक पोस्ट में पूछा कि आरबीआई के गवर्नर के लिए मैं क्यों नहीं चुना जा सका?



वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा, आरबीआई के गवर्नर के लिए मैं क्यों नहीं चुना जा सका! RBI के गवर्नर पद के लिए इतिहास के छात्र का चयन हुआ है। मैं इतिहास का छात्र रहा हूँ इसलिए काफ़ी उत्साहित हूँ। अगर मैं स्टूडियो में एंकरिंग न कर रहा होता तो मेरा भी चांस था। सूत्रों को पता लग गया था कि मैं गणित में फिसड्डी भी हूँ। पर तभी इतिहास के एक और छात्र का नाम किसी ने सरकार को सुझा दिया और मेरा पत्ता कट गया। शक्ति कांत दास जी को बधाई। मुझे पूरा भरोसा है कि वे अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले इतिहास के पहले छात्र होंगे।

रवीश ने चुटकी लेते हुए लिखा, ''वैसे एक वेकेंसी और है। अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है। वे अब CNN IBN के सलाहकार बन गए गए हैं।पहले लोग न्यूज़ चैनल छोड़ कर प्रधानमंत्री का सलाहकार बनते थे लेकिन सुरजीत भल्ला ने ट्रेंड बदला है। जब मीडिया के लिए अर्थव्यवस्था को मैनेज करना है तो क्यों न मीडिया में ही जाकर अर्थव्यवस्था को मैनेज किया जाए। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम और रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने निजी कारणों से इस्तीफ़ा दिया है लेकिन मैं तो निजी कारणों से ज्वाइन करना चाहता हूँ। मुंबई रहने का बहुत मन है। गवर्नर बनकर ये शौक़ पूरा हो जाता।''

उन्होने आगे लिखा, फिर भी भल्ला की जगह जो पद खाली हुआ है उसके लिए कोई चाहे तो मेरा नाम सुझा सकता है। तीन मूर्ति में मेरी दिलचस्पी नहीं है। मैं सिर्फ आर्थिक मामलों में दिलचस्पी रखता हूँ। फ़ेसबुक पर आर्थिक मामलों को लेकर कई सौ पोस्ट लिखे हैं। जिन्हें मूल रूप में दूसरों ने लिखा था। आज सही में मिस कर गया। टेम्पो में बैठा रह गया और बगल से बस निकल गई! हिन्दी में लिखा है ताकि लोग मेरी बातों की गंभीरता को व्यंग्य में लें।

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