किसान आंदोलन होगा तेज, 26 मई को 6 माह पूरे, संयुक्त किसान मोर्चा करेगा आगे की रणनीति का ऐलान

Written by Navnish Kumar | Published on: May 9, 2021
कृषि कानूनों के खिलाफ साढ़े पांच माह से ज्यादा से चल रहा किसान आंदोलन और तेज होगा। 26 मई को 6 माह पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा आगे की रणनीति का ऐलान करेगा। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि 26 मई को जब किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होंगे तब संयुक्त किसान मोर्चा एक बड़ा फैसला लेगा। उन्होंने आरोप भी लगाया कि किसानों के खिलाफ गलत प्रचार हो रहा है कि वो कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।



खास है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर देश के अलग-अलग राज्यों से आए किसानों का आंदोलन पिछले साढ़े पांच माह से ज्यादा से जारी है। 26 नवंबर से शुरू हुआ आंदोलन, कोविड महामारी के बीच भी चल रहा है। यही नहीं, संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से यह कई बार स्पष्ट किया जा चुका है कि महामारी का हवाला देकर केंद्र सरकार, आंदोलन खत्म नहीं करवा सकती हैं। किसान सभी गाइडलाइंस व सामाजिक दूरी को फॉलो कर रहे हैं। कहा गांव से भी ज्यादा लोग नियमों को मान रहे हैं। राकेश टिकैत ने बताया कि आंदोलन कर रहे किसान वैक्सीन भी लगवा रहे हैं। 

टिकैत ने कहा है कि किसान महीनों से अपने घरों से दूर बैठे हैं लेकिन सरकार बातचीत नहीं कर रही। कहा हम पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से यही कह कर आए थे कि 6 महीने का राशन लेकर किसान दिल्ली की तरफ चले। लेकिन लगता है कि सरकार बातचीत नहीं करेगी तो आगे का प्रोग्राम बनाना पड़ेगा। राशन, पानी फिर लेकर आएंगे। आपको बता दें कि कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन उससे कोई हल नहीं निकला है। आखिरी बार दोनों पक्षों की बैठक जनवरी के आखिर में हुई थी और तब से बातचीत ठप्प है।

इसी सब को लेकर गाजीपुर बॉर्डर पर मीडिया से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 26 मई को यानी जब आंदोलन के 6 माह पूरे होंगे तब संयुक्त किसान मोर्चा एक बड़ा फैसला लेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को लेकर आम जनता के साथ किसानों में भारी रोष हैं। गुस्सा है जिसका असर बंगाल चुनाव में भी साफ दिखा। जानकारों के भी अनुसार, बंगाल चुनाव के नतीजों से किसानों का हौंसला बढा हैं। ऐसे में अगर केन्द्र सरकार किसानों से बातचीत कर समाधान नहीं निकालेगी तो भाजपा को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पराजय का सामना करना पड़ेगा।

यही नहीं, आंदोलन को फिर से धार देने के लिए किसानों ने भारी संख्या में एक बार फिर बॉर्डर पर जुटने की योजना बनाई है। इसके तहत आने वाले दिनों में पंजाब और हरियाणा से किसानों के जत्थे के जत्थे दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचकर आंदोलन में शामिल होंगे। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 11 और 12 मई को पंजाब के किसान बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग बॉर्डर पर इकट्ठे होंगे और वहां से दिल्ली बॉर्डर पहुंचेंगे। साथ ही हरियाणा के किसान भी अलग-अलग जगहों से इन जत्थों में शामिल होकर दिल्ली मोर्चे पर पहुचेंगे और आंदोलन में शामिल होंगे।

खास यह भी है कि एक दिन पहले हुई सयुंक्त किसान मोर्चा की आम सभा में 10 मई को होने वाली राष्ट्रीय कन्वेंशन को स्थगित कर दिया गया। वहीं, अब इसकी अगली तारीख सयुंक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक में घोषित की जाएगी। इस कन्वेंशन का उद्देश्य किसान आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करना और समन्वय स्थापित करना था। दूसरी ओर कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान नेताओं ने ये तय किया है कि आंदोलन स्थल पर किसानों का ऑक्सीजन लेवल समय-समय पर चेक किया जाएगा। आन्दोलन स्थल पर डॉक्टरों की टीम लगातार किसानों पर निगरानी रखेगी, यदि किसी किसान में कोरोना के लक्षण मिलते हैं, तो इलाज के लिए भेजा जाएगा। हालांकि, अभी तक सभी किसान स्वस्थ हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर प्रोग्रेसिव मेडिकल एंड साइंटिस्ट्स फ्रंट, दिल्ली से जुड़े चिकित्सक शाम के समय यहां चिकित्सा सेवा प्रदान करेंगे और आंदोलन स्थल पर किसानों के स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे।

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