राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की खराब हालत के कारण लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। दसवीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम कई गांवों में इतना खराब रहा है कि कई स्कूलों में तो इक्का-दुक्का विद्यार्थी ही पास हो सके हैं।
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पूरे राज्य में ही खासकर गांवों में सरकारी स्कूलों की बदहाली इस बार परीक्षा परिणामों में भी देखने को मिली है। अधिकतर स्कूलों में न तो शिक्षक योग्य और पर्याप्त हैं और न ही अध्यापन की कोई उचित सुविधाएं हैं।
नागौर जिले में तो गांवों में नाराज लोगों ने शिक्षकों को बदलने की मांग करते हुए स्कूलों में ताला लगाना तक शुरू कर दिया है।
जहां पर निजी स्कूल हैं, वहां तो अभिभावकों ने बच्चों को यथासंभव निजी स्कूलों में भेजना शुरू कर दिया है, लेकिन जहां पढ़ाई सरकारी स्कूलों के ही भरोसे है, वहां के अभिभावक मजबूर हैं।
नागौर में मेड़ता सिटी के पास मोररा गांव में अभिभावकों का गुस्सा चरम पर पहुंच चुका है। बोर्ड का रिजल्ट बेहद खराब रहने के बाद गुस्साए अभिभावकों ने राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचकर शिक्षकों को बाहर निकाल दिया और स्कूल में ताला लगा दिया।
इस स्कूल का रिजल्ट बहुत ही शर्मनाक रहा है। पूरे स्कूल में दसवीं में केवल दो छात्र ही पास हुए हैं। स्कूल में कुल 17 विद्यार्थी दसवीं की परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन इनमें से 15 फेल हो गए।
स्कूल में ताला लगाने के बाद ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं। उनकी मांग है कि स्कूल के सारे अध्यापकों को हटाकर नए अध्यापक लगाए जाएं तो बच्चों की पढ़ाई पर ढंग से ध्यान दें।
सरपंच सुखाराम हुड्डा ने आरोप लगाया है कि स्कूल के अध्यापकों के कारण ही परीक्षा परिणाम इतना खराब रहा है। अध्यापकों ने पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया और इसका नुकसान विद्यार्थियों को भुगतना पड़ा है।
पत्रिका में प्रकाशित खबर के अनुसार गांव के सरपंच ने जिला शिक्षा अधिकारी और एसडीएम समेत कई अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि मोररा के स्कूल का परिणाम बेहद खराब रहने के जिम्मेदार शिक्षकों को तबादला किया जाए, ताकि विद्यार्थियों का भविष्य खराब होने से बचाया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि अगर स्टाफ नहीं बदला गया तो वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे और धरना जारी रखेंगे।
ऐसी ही स्थिति बाड़मेर के गांवों के स्कूलों की है। ग्राम पंचायत जैसार के राजकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने भी जिला कलेक्टर से शिकायत की है और आरोप लगाया है कि स्कूल के शिक्षक अपने निजी स्कूल चला रहे हैं और सरकारी स्कूलों में ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय में दसवीं में केवल 46 प्रतिशत बच्चे पास हुए हैं। स्कूल में पढ़ रहे 61 विद्यार्थियों में से केवल 28 ही पास हुए हैं और इनमें से भी 11 ग्रेस मार्क्स से पास हुए हैं।
ग्रामीणों ने स्कूल में अध्यापकों के खाली पद भरने और निजी स्कूल चलाने वाले सरकारी अध्यापकों पर कार्रवाई करने की मांग की है।