राजस्थान में राजनेता ही नहीं अधिकारी भी किस तरह से भ्रष्टाचार करते रहे हैं, इसकी परतें धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। आईएएस निर्मला मीणा के बहुचर्चित गेहूं घोटाले में अभी नए-नए खुलासे हो ही रहे थे कि इसी बीच हनुमानगढ़ में एक उससे भी बड़ा गेहूं घोटाला सामने आ गया। इससे साबित हो रहा है कि पांच साल के वसुंधरा राजे के शासन में जमकर लूट हुई है।

निर्मला मीणा Image Courtesy: https://hindi.oneindia.com
हनुमानगढ़ जिले के गेहूं घोटाले में 62 हजार 235 क्विंटल गेहूं का ज्यादा आवंटन किया गया है। मामला उजागर होने के बाद अब तत्कालीन रसद अधिकारी, प्रवर्तन अधिकारियों के साथ-साथ राशन डीलरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
न्यूज़18 की खबर के मुताबिक, हनुमानगढ़ जिले के रसद अधिकारी के कार्यालय से अप्रैल 2017 से सितंबर 2017 के बीच निर्धारित मात्रा से बहुत ज्यादा गेहूं का आवंटन किया गया था। रसद विभाग के कार्यालय की इसमें मिलीभगत रही। सरकारी दर से देखें तो इस गेहूं की कीमत करीब दस करोड़ रुपए होती है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 5 सितम्बर, 2017 में इस संबंध में मामला दर्ज किया था। इस मामले में तत्कालीन डीएसओ सुनील वर्मा, एडीए और कार्यवाहक डीएसओ भागीरथ शर्मा समेत जिले की छह तहसीलों हनुमानगढ़, संगरिया, टिब्बी, नोहर, पीलीबंगा और रावतसर के राशन डीलरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
इसी तरह का गेहूं घोटाला जोधपुर में हुआ है जिसके बाद आरोपी आईएएस निर्मला मीणा लंबे समय तक फरार रहीं और बाद में मई में उन्हें समर्पण करना पड़ा। निर्मला मीणा ने जिला रसद अधिकारी के पद पर रहते हुए आम लोगों के बीच बांटा जाने वाला गेहूं आटा मिल मालिकों और राशन डीलरों के हवाले किया और व्यापारियों से मोटी रकम वसूली थी।