राजस्थान में भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जैसे जैसे जारी होती जा रही है, वैसे वैसे उसके बागियों की सूची लंबी होती जा रही है।
सत्ता विरोधी लहर का असर खत्म करने के लिए भाजपा ने बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं, लेकिन टिकट से वंचित तकरीबन सारे विधायक भाजपा के फैसले के खिलाफ बगावत करने निकल पड़े हैं।
राजस्थान में भाजपा ने अब तक 131 प्रत्याशियों की जारी की है जिसके बाद बड़ी संख्या में बागी सामने आने लगे हैं। पहली सूची में टिकटों से वंचित रहे विधायक लगातार एक-एक करके बागी होते जा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के कुल सात विधायक अभी तक बागी हो चुके हैं। इनके अलावा कई पदाधिकारी भी पार्टी के खिलाफ झंडा बुलंद कर चुके हैं।
ताजा घटनाक्रम में डूंगरपुर और सागवाड़ा विधायकों ने भी बगावत का बिगुल फूंक दिया है। इससे पहले नागौर विधायक हबीबुर्ररहमान, जैतारण विधायक और मंत्री सुरेंद्र गोयल ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था और किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी भी नाराज चल रहे हैं और पार्टी छोड़ने का ऐलान कभी भी कर सकते हैं।
डूंगरपुर विधायक देवेन्द्र कटारा ने मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ मीटिंग कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान करके भाजपा को करारा झटका दिया है।
देवेन्द्र कटारा 2013 में पहली बार विधायक बने थे। पेशे से वकील देवेन्द्र कटारा इससे पहले जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं। पार्टी ने इस बार मौजूदा विधायक को बदलते हुए नए चेहरे के रूप में जिला प्रमुख माधवलाल वरहात का टिकट दिया है, लेकिन देवेन्द्र कटारा का टिकट काटना भाजपा को महंगा पड़ रहा है।
इसी तरह, डूंगरपुर जिले की ही सागवाड़ा की विधायक अनिता कटारा ने भी बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अनिता कटारा बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कनकमल कटारा की पुत्रवधू हैं। वर्ष 2013 में वे शिक्षक पद से इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरी थीं लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें रिपीट करना जरूरी नहीं समझा।
इस बार पार्टी ने यहां से प्रत्याशी बदलते हुए पूर्व प्रधान शंकरलाल डेचा को टिकट दिया है।
भाजपा के अब तक सात विधायक बागी हो चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि सारे नाम घोषित होने तक करीब 25 विधायक बागी होकर, भाजपा की कब्र खोदने का काम करने को तैयार हो जाएंगे।
सत्ता विरोधी लहर का असर खत्म करने के लिए भाजपा ने बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं, लेकिन टिकट से वंचित तकरीबन सारे विधायक भाजपा के फैसले के खिलाफ बगावत करने निकल पड़े हैं।
राजस्थान में भाजपा ने अब तक 131 प्रत्याशियों की जारी की है जिसके बाद बड़ी संख्या में बागी सामने आने लगे हैं। पहली सूची में टिकटों से वंचित रहे विधायक लगातार एक-एक करके बागी होते जा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के कुल सात विधायक अभी तक बागी हो चुके हैं। इनके अलावा कई पदाधिकारी भी पार्टी के खिलाफ झंडा बुलंद कर चुके हैं।
ताजा घटनाक्रम में डूंगरपुर और सागवाड़ा विधायकों ने भी बगावत का बिगुल फूंक दिया है। इससे पहले नागौर विधायक हबीबुर्ररहमान, जैतारण विधायक और मंत्री सुरेंद्र गोयल ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था और किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी भी नाराज चल रहे हैं और पार्टी छोड़ने का ऐलान कभी भी कर सकते हैं।
डूंगरपुर विधायक देवेन्द्र कटारा ने मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ मीटिंग कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान करके भाजपा को करारा झटका दिया है।
देवेन्द्र कटारा 2013 में पहली बार विधायक बने थे। पेशे से वकील देवेन्द्र कटारा इससे पहले जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं। पार्टी ने इस बार मौजूदा विधायक को बदलते हुए नए चेहरे के रूप में जिला प्रमुख माधवलाल वरहात का टिकट दिया है, लेकिन देवेन्द्र कटारा का टिकट काटना भाजपा को महंगा पड़ रहा है।
इसी तरह, डूंगरपुर जिले की ही सागवाड़ा की विधायक अनिता कटारा ने भी बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अनिता कटारा बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कनकमल कटारा की पुत्रवधू हैं। वर्ष 2013 में वे शिक्षक पद से इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरी थीं लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें रिपीट करना जरूरी नहीं समझा।
इस बार पार्टी ने यहां से प्रत्याशी बदलते हुए पूर्व प्रधान शंकरलाल डेचा को टिकट दिया है।
भाजपा के अब तक सात विधायक बागी हो चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि सारे नाम घोषित होने तक करीब 25 विधायक बागी होकर, भाजपा की कब्र खोदने का काम करने को तैयार हो जाएंगे।