नोटबंदी के बाद से ही देश भर में तमाम बैंकों के घोटाले लगातार सामने आ रहे हैं। कई बैंक घोटाले तो सालों से होते आ रहे थे, और जब उनका खुलासा हुआ तो आरोपी विदेश भाग निकले। अब राजस्थान के एक बैंक में भी करोड़ों का घोटाला सामने आया है।
अलवर के अरबन को-ऑपरेटिव बैंक में नवंबर 2016 में 16 करोड़ रुपए का घोटाला पकड़ा गया था। इस मामले की गहराई से जांच हुई तो पता चला कि बैंक ने करोड़ों के ऋण ऐसे लोगों को थमा दिए जिनके पते फर्जी थे। इन फर्जी लोगों के अलवर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक में खाते तो हैं लेकिन उनके पते फर्जी हैं और बताए गए पते पर वो लोग कभी नहीं रहे। अब ऐसे लोगों का कोई अता-पता नहीं है।
बैंक कर्मचारियों ने ठगों के साथ मिलकर ये घोटाला किया और ऐसे लोगों के नाम पर करोड़ों के कर्ज दे डाले जिनकी पहचान तक नहीं हो पा रही है। इसकी शिकायत एसपी और अन्य बड़े अफसरों को दे दी गई है, लेकिन अभी तक किसी कार्रवाई की जानकारी नहीं मिली है।
अलवर अरबन-कोऑपरेटिव बैंक घोटाला इस मायने में अन्य बैंक घोटाले से भी बड़ी साजिश है कि अन्य घोटालों में तो पूंजीपति लोन लेकर वापस करने के बजाय विदेश भाग जाते हैं, जबकि अलवर में खुद बैंक कर्मचारियों ने ही फर्जी पतों पर करोड़ों का कर्ज बांट दिया।
पत्रिका की खबर के अनुसार, स्कीम आठ, नया बास, पुराना मोहल्ला समेत कई जगहों के पते पर करीब 35 लोगों को तीन-तीन करोड़ रुपए का ऋण दिया गया, जबकि उनके पतों पर ऋण लेने वाले कभी रहे ही नहीं।
इसी बैंक में ये भी पता चला है कि लोगों के फर्जी दस्तावेज़ लेकर बैंक खाते खोल दिए गए जबकि लोगों को पता तक नहीं है कि उनके नाम का खाता खुला है। एक उत्तरप्रदेश के निवासी ने बताया कि उसने कभी इस बैंक में खाता नहीं खुलवाया और मेरे दस्तावेज़ कहीं से हासिल करके गलत तरीके से मेरा खाता खोला गया है। बैंक में बड़ी संख्या में यूपी और दिल्ली के लोगों के आधार कार्ड मिले हैं, जिनसे पता लगता है कि ऐसे बहुत सारे मामले हो सकते हैं, और हो सकता है, ऐसे लोगों के नाम पर ऋण निकालकर बैंक अधिकारी खा गए हों।
अलवर के अरबन को-ऑपरेटिव बैंक में नवंबर 2016 में 16 करोड़ रुपए का घोटाला पकड़ा गया था। इस मामले की गहराई से जांच हुई तो पता चला कि बैंक ने करोड़ों के ऋण ऐसे लोगों को थमा दिए जिनके पते फर्जी थे। इन फर्जी लोगों के अलवर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक में खाते तो हैं लेकिन उनके पते फर्जी हैं और बताए गए पते पर वो लोग कभी नहीं रहे। अब ऐसे लोगों का कोई अता-पता नहीं है।
बैंक कर्मचारियों ने ठगों के साथ मिलकर ये घोटाला किया और ऐसे लोगों के नाम पर करोड़ों के कर्ज दे डाले जिनकी पहचान तक नहीं हो पा रही है। इसकी शिकायत एसपी और अन्य बड़े अफसरों को दे दी गई है, लेकिन अभी तक किसी कार्रवाई की जानकारी नहीं मिली है।
अलवर अरबन-कोऑपरेटिव बैंक घोटाला इस मायने में अन्य बैंक घोटाले से भी बड़ी साजिश है कि अन्य घोटालों में तो पूंजीपति लोन लेकर वापस करने के बजाय विदेश भाग जाते हैं, जबकि अलवर में खुद बैंक कर्मचारियों ने ही फर्जी पतों पर करोड़ों का कर्ज बांट दिया।
पत्रिका की खबर के अनुसार, स्कीम आठ, नया बास, पुराना मोहल्ला समेत कई जगहों के पते पर करीब 35 लोगों को तीन-तीन करोड़ रुपए का ऋण दिया गया, जबकि उनके पतों पर ऋण लेने वाले कभी रहे ही नहीं।
इसी बैंक में ये भी पता चला है कि लोगों के फर्जी दस्तावेज़ लेकर बैंक खाते खोल दिए गए जबकि लोगों को पता तक नहीं है कि उनके नाम का खाता खुला है। एक उत्तरप्रदेश के निवासी ने बताया कि उसने कभी इस बैंक में खाता नहीं खुलवाया और मेरे दस्तावेज़ कहीं से हासिल करके गलत तरीके से मेरा खाता खोला गया है। बैंक में बड़ी संख्या में यूपी और दिल्ली के लोगों के आधार कार्ड मिले हैं, जिनसे पता लगता है कि ऐसे बहुत सारे मामले हो सकते हैं, और हो सकता है, ऐसे लोगों के नाम पर ऋण निकालकर बैंक अधिकारी खा गए हों।