गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देने वाले जज ने कहा- मोर सेक्स नहीं करता इसलिए राष्ट्रीय पक्षी

Published on: June 1, 2017
अपने फैसले में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देने वाले राजस्थआन उच्च न्यायालय के जज जस्टिस महेश चंद शर्मा ने कहा कि मोर सेक्स नहीं करता इसलिए राष्ट्री पक्षी है। ज्ञात हो कि गत बुधवार को जस्टिस शर्मा की बेंच ने हिंगोनिया गोशाला में गाय की मौत के सात साल पुराने मामले की सुनवाई की।  इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराने की कोशिश करे। साथ ही सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि गोहत्या की सजा तीन साल से बढ़ाकर उम्रकैद की जाए।



मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अदालत के बाहर जस्टिस शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मोर ब्रह्मचारी रहता है इसलिए वह राष्ट्रीय पक्षी है। उन्होंने कहा कि मोर के आंसुओं से मोरनी गर्भवती होती है, मोर पंख कृष्ण भगवान ने इसलिए लगाया कि वह ब्रह्मचारी है। जस्टिस ने आगे कहा कि ब्रह्मचारी होने के चलते मंदिरों में भी मोर पंख लगाया जाता है और संत भी इसे रखते हैं, ठीक इसी तरह गाय में इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। ज्ञात हो कि जस्टिस महेश चंद शर्मा बुधवार को सेवनिवृत हो गए।

जस्टिस शर्मा ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देते हुए कहा कि वे शिवभक्त हैं और यह फैसला उनके आत्मा की आवाज है। उन्होंने अपने फैसले में गाय के कई फायदे बताए। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवता रहते हैं। समुद्र मंथन में लक्ष्मी के साथ गाय निकली थी। उन्होंने कहा कि सिर्फ गाय ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है। शर्मा ने कहा कि यह खुद में एक अस्पताल है। गोबर सालाना 45 सौ लीटर बायोगैस पैदा करता है, गोवंश का गोबर लगाने से 14 करोड़ पेड़ बचेंगे। उन्होंने आगे कहा कि गोमूत्र से लिवर, दिल और दिमाग हमेशा स्वस्थ्य रहता है और गोमूत्र पीने से पूरा पाप धुल जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि दीवारों पर गोबर का लेप लगाने से रेडिएशन का खतरा कम रहता है।  शर्मा ने कहा कि गाय का दूध पीने से कैसर नहीं होता है और गाय के रंभाने से हवा में मौजूद रोगाणु खत्म होते हैं।

जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि गायों की सुरक्षा और इसे कानूनी दर्जा दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही उन्होंने कहा कि नेपाल हिंदू राष्ट्र है और उसने गाय को राष्ट्री पशु घोषित कर दिया है। उन्होंने सरकार से उम्मीद जाहिर की है कि वह गाय को कानूनी दर्जा दिलाए। उधर केंद्र सरकार ने मारने के मकसद से मवेशियों को खरीदने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र के इस फैसले का कर्नाटक और केरल में लगातार विरोध हो रहा है। 

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