वाराणसी से मोदी के खिलाफ सपा के उम्मीदवार तेज बहादुर यादव का नामांकन खतरे में, जानिए पूरी डिटेल

Written by sabrang india | Published on: April 30, 2019
बनारस. बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसान, जवान और संत तीनों कैटेगरी के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। सोमवार को तेजबहादुर सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के सिंबल पर प्रधानमंत्री के खिलाफ बनारस से अपना नामांकन दाखिल कर चौकीदार बनाम जवान की जंग छेड़ दी है। नामांकन के बाद अब तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी पर संकट मंडराने लगा है। बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर के नामांकन को लेकर एक नया मामला सामने आया है। दरअसल, चुनाव आयोग ने तेज बहादुर को एक नोटिस भेजा है जिसमें उनके दो हलफनामों में दिए गए अगल-अलग तथ्यों के संदर्भ में जानकारी मांगी गई है।


तेज बहादुर यादव और उनके वकील ने इसे बीजेपी की साजिश बताया है। तेज बहादुर ने कहा कि मुझे गठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से बीजेपी की नींद उड़ी हुई है। इसीलिए मेरे नामांकन को रद्द करने की साजिश की जा रही है। वहीं उनके वकील ने बताया कि एक पार्टी के अध्यक्ष ने बीएचयू में अधिकारियों की मीटिंग बुलाई थी जिसमें नामांकन रद्द करने की साजिश रची गई है। उन्होंने कहा कि नामांकन दाखिल करते वक्त ही कोई कमी हो तो उसके बारे में बता दिया जाता है लेकिन यहां हमसे असंवैधानिक तौर पर नोटिस भेजा गया है। सोमवार को नामांकन के बाद तेजबहादुर कहा था कि अब लोगों को पहचान लेना होगा कि राष्ट्र का असली चौकीदार कौन है। तेजबहादुर सिर्फ नौकरी ही नहीं बल्कि अपना बेटा भी खो चुके हैं। 

तेजबहादुर सिंह यादव ने 2017 में एक वीडियो के माध्यम से जवानों को दिये जा रहे खाने की गुणवत्ता को लेकर उच्च अधिकारियों की शिकायत की थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसके बाद उन्हें बिना आज्ञा दो फोन रखने और वर्दी में सोशल मीडिया पर वीडियो डालने के लिए अनुसाशनहीनता के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया।

हरियाणा के राताकलां गाँव में रहने वाले तेजबहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से हैं। उनके पिता शेर सिंह ने बताया कि उनके पिता ईश्वर सिंह आजाद सुभाष चंद्र बोस के साथ रहा करते थे। इसके लिए राज्य सरकार ने उन्हें ताम्र पत्र देकर सम्मानित भी किया है। तेजबहादुर  के चार भाई हैं और वो सबसे छोटे हैं। एक भाई गुजरात पुलिस में है, एक बीएसएफ में है और अन्य दो किसान हैं।    

सेना से बर्खास्त होने के बाद तेजबहादुर अपने पिता के साथ खेती कर रहे हैं। इस वर्ष उन्होंने अपना पुत्र भी खो दिया है। जब प्रयागराज के कुम्भ में वह गए हुए थे तभी उनके पुत्र की मौत हो गई थी। पुलिस ने शव के पास पिस्टल बरामद की थी और इसे आत्महत्या का मामला माना था।

इस बार लोकसभा चुनाव में तेजबहादुर बनारस से प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय लड़ रहे थे। बाद में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद उन्हें सपा का प्रत्याशी बनने का प्रस्ताव दिया था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले शलिनी यादव को यहाँ से टिकट दिया था पर अचानक अपना निर्णय बदलकर सबको चौंका दिया है।     

तेजबहादुर सिंह के नामांकन के बाद अब बनारस चुनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। सोमवार को तेजबहादुर ने अपना नामांकन दर्ज करने के बाद ANI से बातचीत के दौरान कहा कि हमारा मुद्दा जवान, किसान और नौजवानों की नौकरी का है।  अब लोगों को पहचान लेना होगा कि राष्ट्र का असली चौकीदार कौन है। मुझे मेरी जीत पर पूरा भरोसा है।

एक तरफ जवानों के त्याग के नाम पर वोट मांगते हुए प्रधानमंत्री जी हैं तो वहीं अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल खोलने व आलोचना करने पर बर्खास्त पूर्व बीएसएफ जवान तेजबहादुर सिंह। अब देखना यह है कि बनारस की जनता किसे चुनती है।

बाकी ख़बरें