नैनीताल हाईकोर्ट ने पूछा- केदारनाथ आपदा में लापता हुए 3322 लोगों को ढूंढने के लिए सरकार ने अबतक क्या किया?

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 25, 2019
उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड की भाजपा सरकार से पूछा है कि साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान लापता हुए 3322 लोगों को ढूंढने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।



कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को चार सप्ताह के भीतर जनहित याचिका के सारे सवालों के जवाब को दाखिल करने को कहा है। याचिका में में लापता हुए लोगों को ढूंढने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम, प्रक्रिया में खर्चा समेत कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। याचिका में कहा गया है कि इस आपदा के छह साल गुज़र जाने के बाद भी लापता लोगों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस नारायण शाह धनिक की पीठ दिल्ली निवासी याचिकाकर्ता अजय गौतम की ओर से दाख़िल याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता अजय गौतम के वकील अजयवीर पुंडीर ने कहा कि केदारनाथ घाटी में आई आपदा में तक़रीबन 4200 लोग लापता हुए थे, जिसमें से 600 के कंकाल बरामद हुए। वहीं सरकार लापता होने वालों की संख्या 3322 बता रही है।

याचिका में कहा गया है कि सरकार के पास अब तक 900 से अधिक लोग शव लेने पहुंचे हैं, जो कि डीएनए टेस्ट कराने को भी तैयार हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि एक विशेष समिति के माध्यम से शवों का डीएनए टेस्ट कर उन्हें परिजनों को सौंपा जाए। खंडपीठ ने सरकार से डीएनए टेस्ट के लिए तय प्रयोगशाला की भी जानकारी मांगी है।

याचिका में यह आरोप भी लगाया गया कि आपदा के छह साल बाद भी राज्य सरकार की ओर से लापता लोगों के शवों को खोजने के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई। इसमें किसी टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल नहीं किया गया।

याचिका में कहा गया है, ‘संविधान का अनुच्छेद 25 (अंत:करण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के तहत हर व्यक्ति को मृत्यु के बाद विधिविधान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने का अधिकार देता है। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान आतंकी अजमल कसाब ने सैकड़ों लोगों को मारा, उसका भी विधिविधान से अंतिम संस्कार हुआ था, लेकिन केदारनाथ आपदा के दौरान मारे गए लोगों के परिजन अब भी उनका विधिविधान के साथ अंतिम संस्कार करने का इंतज़ार कर रहे हैं।’

याचिका में आगे कहा गया है, ‘समय आ गया है कि सरकार नींद से जागे और 3322 लापता लोगों को खोजने के लिए उचित क़दम उठाए और ऐसे नियम बनाए, जिससे चार धाम यात्रा सुरक्षित बनाई जा सके।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी मांग की है कि वह उत्तराखंड सरकार को निर्देश दे कि वह पहाड़ी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करे। विशेषज्ञों की एक समिति बनाए, जो लोगों को ढूंढने के लिए उचित तकनीक के इस्तेमाल का सुझाव दे। एक दल बनाए जो केदारनाथ और आसपास के क्षेत्रों में लोगों को ढूंढ सके और चार धाम के रास्ते में आने वाली नदियों में बिना शोधन के सीवर का पानी न मिलाया जा सके।

बता दें कि जून 2013 में केदारनाथ में भारी बारिश और भूस्खलन से तकरीबन पांच हज़ार लोग मारे गए थे और तकरीबन 4,021 लोग लापता हो गए थे।

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