योगगुरु बाबा रामदेव और दिव्या फार्मेसी को नैनीताल हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। दरअसल कोर्ट ने आदेश दिया है कि रामदेव की इस कंपनी को इसके बाद अब किसानों को भी कारोबार में हुए फायदे में से कुछ हिस्सा देना पड़ागा।
बता दें कि दिव्या फार्मेसी की तरफ से दावा किया गया था कि स्वदेशी कंपनियां किसानों के साथ अपने बड़े मुनाफे और वे लाभ साझा न करें, जो कि वह हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों को बेचकर हासिल करती हैं। पर हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने फैसले में बायोडाइवर्सिटी एक्ट, 2002 का हवाला दिया था। साथ ही कहा कि भारतीय कंपनियों को भी विदेशी फर्मों की तरह इस मामले में पेश आना चाहिए। वह भी तब, जब वह कारोबार के लिए वह प्राकृतिक संसाधनों का जमकर इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में उन्हें किसानों व आदिवासियों के साथ अपने मुनाफे व लाभ की रकम को साझा करना चाहिए।
फैसले में कोर्ट की ओर से कहा गया- निःसंदेह बायोलॉजिकल (जैविक) संसाधन जिस जगह पर होते हैं, वह उसी देश-इलाके की संपत्ति होते हैं। लेकिन वे इसी के साथ उन लोगों की संपत्ति भी होते हैं, जिन्होंने (किसान, उनकी देखभाल करने वाले या आसपास रहने वाले) सालों से उनका संरक्षण किया होता है।
बता दें कि दिव्या फार्मेसी की तरफ से दावा किया गया था कि स्वदेशी कंपनियां किसानों के साथ अपने बड़े मुनाफे और वे लाभ साझा न करें, जो कि वह हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों को बेचकर हासिल करती हैं। पर हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने फैसले में बायोडाइवर्सिटी एक्ट, 2002 का हवाला दिया था। साथ ही कहा कि भारतीय कंपनियों को भी विदेशी फर्मों की तरह इस मामले में पेश आना चाहिए। वह भी तब, जब वह कारोबार के लिए वह प्राकृतिक संसाधनों का जमकर इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में उन्हें किसानों व आदिवासियों के साथ अपने मुनाफे व लाभ की रकम को साझा करना चाहिए।
फैसले में कोर्ट की ओर से कहा गया- निःसंदेह बायोलॉजिकल (जैविक) संसाधन जिस जगह पर होते हैं, वह उसी देश-इलाके की संपत्ति होते हैं। लेकिन वे इसी के साथ उन लोगों की संपत्ति भी होते हैं, जिन्होंने (किसान, उनकी देखभाल करने वाले या आसपास रहने वाले) सालों से उनका संरक्षण किया होता है।