म्यांमार संकट: आलोचना के बाद पलटी मणिपुर की भाजपा सरकार, वापस लिया ये फरमान

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 31, 2021
नई दिल्ली। म्यांमार में सेना के तख़्ता पलट के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे ऐसे प्रदर्शनकारी, जो फौज़ की दमनकारी कार्रवाई से जान बचाने के लिए भारत आ सकते हैं, उनके लिए मणिपुर सरकार की ओर से फरमान जारी किया गया था। मणिपुर की बीजेपी सरकार ने अफ़सरों से कहा था कि वे म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों के लिए रहने और खाने का इंतजाम न करें। लेकिन सूत्रों के मुताबिक़, इसकी आलोचना होने के बाद सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया है। राज्य सरकार के गृह विभाग ने कहा है कि उसके आदेश की ग़लत ढंग से व्याख्या की गई।



यह आदेश चंदेल, टेंगनौपाल, कामजोंग, उखरूल और चुराचांदपुर जिलों के उपायुक्तों को जारी किया गया था और उनसे कहा गया था कि वे म्यांमार के नागरिकों के भारत में अवैध रूप से घुसपैठ को लेकर उचित कार्रवाई करें। सरकारी आदेश में कहा गया था कि हालांकि गंभीर रूप से घायल लोगों का मानवीय आधार पर इलाज किया जाए। मणिपुर सरकार ने अफ़सरों के साथ ही सामाजिक संगठनों से भी कहा था कि वे इन लोगों के लिए किसी तरह के कैंप न लगाएं और न ही उन्हें भोजन-पानी उपलब्ध कराएं। 

संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के राजदूत ने भारत सरकार और भारत की कई राज्य सरकारों से अपील की है कि वे म्यांमार में चल रहे इस संकट के वक़्त वहां से आने वाले शरणार्थियों को रहने की जगह उपलब्ध कराएं। राजदूत ने भारत और म्यांमार के बीच पुराने रिश्तों का हवाला देते हुए कहा है कि उसे इन्हें नहीं भूलना चाहिए। 

मणिपुर सरकार ने अफ़सरों के साथ ही सामाजिक संगठनों से भी कहा था कि वे इन लोगों के लिए किसी तरह के कैंप न लगाएं और न ही उन्हें भोजन-पानी उपलब्ध कराएं। आदेश में कहा गया था कि भारत की सीमा में आने वाले लोगों को शांति से वापस लौटा देना चाहिए। इसके अलावा आधार के पंजीकरण को भी तुरंत प्रभाव से रोके जाने का आदेश दिया गया है। 

एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के इस आदेश की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई थी। लोगों का कहना है कि सरकार को मानवीय आधार पर म्यांमार से आने वाले लोगों की मदद करनी चाहिए। 

भारत सरकार की इस बात के लिए भी आलोचना हो रही है कि आख़िर वह इतने बड़े पैमाने पर हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के बाद भी दख़ल क्यों नहीं दे रही है। बीते कुछ दिनों से म्यांमार की फौज़ ने वहां खून की होली खेलना शुरू कर दिया है। फौज़ ने वहां 1 फरवरी को तख्ता पलट किया था और इन दो महीनों में उसने 400 से ज्यादा निहत्थे प्रदर्शनकारियों की जान ले ली है। इस वजह से म्यांमार में रहने वाले लोगों के सामने जबरदस्त संकट खड़ा हो गया है। 

म्यांमार की फौज़ ने तख्तापलट करने के बाद वहां की नेता आगं सान सू ची को हिरासत में ले लिया था। इसके बाद वहां लोग सड़कों पर उतर आए और फौज़ी शासन के ख़िलाफ़ और लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते शुक्रवार और शनिवार को फौज़ ने लोगों का दमन करते हुए हदें पार कर दी थी। इस दौरान देश के 9 शहरों में 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। यंगून में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। 

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