"18 साल के मुस्लिम युवक अदनान मंसूरी पर उज्जैन में धार्मिक जुलूस महाकाल शोभायात्रा पर थूकने का आरोप लगा। 5 माह जेल में बिताने पड़े। ढोल बजा, घर पर बुलडोज़र चला। कोर्ट में शिकायतकर्ता और गवाह दोनों मुकरे। कहा- थूकने वाली घटना देखी ही नहीं। कहा कि पुलिस के दबाव में बयान पर सिग्नेचर किए। बहरहाल अब आरोपी अदनान को जमानत मिल गई है लेकिन "त्वरित बुलडोजर न्याय" को लेकर घटना कई अनुत्तरित सवाल छोड़ गई है।"
सोमवार, 17 जुलाई 2023 को उज्जैन में महाकाल की शोभायात्रा निकल रही थी। आरोप लगे कि जब ये शोभायात्रा टंकी चौराहे के पास से गुज़र रही थी, तब मुस्लिम समुदाय के तीन लोगों ने उस पर ‘थूका’। आरोप की पुष्टि के लिए एक वीडियो भी पेश किया गया, जिसमें कुछ मुस्लिम युवक पानी की बोतल के साथ छत पर नज़र आए। हालांकि किसी भी वीडियो में ‘थूकने’ के विजुअल्स नहीं थे। चूंकि ऐसी बातें कही ही तेज़ी से फैलने के लिए जाती हैं, ये भी फैली। काफी बवाल हुआ। धरना-प्रदर्शन सब हुआ। सावन लोट नाम के व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज कराई। उज्जैन के खारा कुआं थाने की पुलिस ने तीन मुस्लिम युवकों को हिरासत में लिया। यहां से ये तीनों आरोपी हो गये। उज्जैन में धार्मिक जुलूस पर कथित रूप से थूकने के मामले में एकमात्र वयस्क आरोपी अदनान मंसूरी को 5 माह बाद 15 दिसंबर को आखिरकार जमानत मिल गई। इस मामले में शिकायतकर्ता और चश्मदीद अपने बयान से मुकर गए और अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया। जिसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने आरोपी को जमानत दी। बता दें कि इस मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए आरोपी के घर पर बैंड-बाजे के साथ बुलडोजर चलवाया था।
क्या है मामला?
ये मामला 17 जुलाई 2023 का है, जब कथित तौर पर एक धार्मिक जुलूस- 'महाकाल की सवारी'- पर 'थूकने' के आरोप में एक वयस्क और दो नाबालिग बच्चों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। द क्विंट के अनुसार, उज्जैन पुलिस ने सावन लोट की शिकायत पर IPC की पांच धाराओं- 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 153-ए (पूजा स्थल पर किया गया अपराध), 296 (धार्मिक सभा को परेशान करना), 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी अदनान मंसूरी और उसके नाबालिग भाई और नाबालिग दोस्त को गिरफ्तार किया था।
दोनों नाबालिग लड़कों को जुवेनाइल होम भेजा गया और तीसरे अदनान मंसूरी को, ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया। यानी न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। हालांकि आरोपियों का दावा था कि वो छत पर महज़ पानी पी रहे थे। लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं हुई। घटना के दो दिन बाद, 19 जुलाई 2023 को एक और एपिसोड हुआ। पुलिस प्रशासन और उज्जैन नगर निगम गाजे-बाजे के साथ अदनान मंसूरी के पिता अशरफ हुसैन मंसूरी के घर पहुंचा। कहा गया कि अवैध निर्माण का केस है। ये नहीं बताया गया कि ऐसा है भी, तो भी ढोल बजाने का क्या औचित्य है?
कोर्ट में शिकायतकर्ता और चश्मदीद दोनों मुकरे
15 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 18 वर्षीय आरोपी अदनान मंसूरी को 75,000 के पर्सनल बॉन्ड पर जमानत दी। बता दें कि आरोपी अदनान 17 जुलाई 2023 से जेल में था। उसे करीब 115 दिन बाद जमानत मिली। आरोपी की तरफ से वकील विवेक सिंह ने पैरवी की। उन्होंने आरोपी को बेकसूर बताते हुए कहा कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट पेश की जा चुकी है। इसके अलावा शिकायतकर्ता सावन लोट और चश्मदीद अजय खत्री के बयान भी हो चुके हैं। इन दोनों ने कोर्ट में घटना का समर्थन नहीं किया है। सरकारी वकील वर्षा सिंह ठाकुर ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि यह सांप्रदायिक सद्भाव के लिए गंभीर किस्म का अपराध है और याचिकाकर्ता की पहचान सीसीटीवी फुटेज से भी हुई है।
जस्टिस अनिल वर्मा ने कहा,
"शिकायतकर्ता सावन लोट ट्रायल कोर्ट के सामने पूछताछ में मुकर गया और अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया और यहां तक कि उसने अपनी FIR के प्रासंगिक हिस्से से भी इनकार कर दिया। वहीं प्रत्यक्षदर्शी अजय खत्री भी मुकर गया और अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया। जांच अधिकारी द्वारा आइडेंटिफिकेशन परेड नहीं करवाई गई, जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दायर किया गया है, आवेदक (आरोपी) की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, मैं आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित समझता हूं."
खास है कि शिकायतकर्ता व गवाह दोनों कोर्ट में अपनी बात से मुकर गए। दोनों ने ही कोर्ट में कहा कि ना तो उन्होंने आरोपियों को शोभायात्रा पर थूकते हुए देखा था, ना ही आरोपियों की पहचान की थी। दोनों ने कोर्ट में लिखित स्टेटमेंट दिया कि उन्होंने पुलिस के कहने पर अपने बयान पर साइन किए थे, जबकि उनके बयान से FIR मेल नहीं खा रही थी। दोनों के मुकरने के बाद जस्टिस अनिल वर्मा ने अदनान मंसूरी को बेल दे दी। अदनान मंसूरी के वकील ने बताया था कि पुलिस कोर्ट में कोई मज़बूत वीडियो एविडेंस नहीं प्रोड्यूस कर पाई। जो एक वीडियो पेश किया गया, उसमें एक नाबालिग लड़का छत पर हाथ में पानी की बोतल थामे नज़र आता है। पुलिस ने हाई कोर्ट में कहा था कि वो और वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत करेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बहरहाल, अब अदनान मंसूरी को बेल मिल गई है। 151 दिन बाद। कोर्ट ने उन्हें 75 हज़ार के पर्सनल बॉन्ड पर ज़मानत दी है। केस अभी चल रहा है।
कोर्ट में शिकायतकर्ता और चश्मीद ने क्या कहा?
क्विंट हिंदी से बातचीत में आरोपी अदनान के वकील देवेन्द्र सेंगर ने बताया कि, "शिकायतकर्ता और चश्मदीद ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने पुलिस के दबाव में हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने घटना नहीं देखी और न ही किसी को व्यक्तिगत रूप से पहचानते हैं।" शिकायतकर्ता सावन लोट ने कोर्ट में अपने बयान में कहा, "थाने पर बहुत सारे पुलिस वाले थे और मुझसे कहा कि कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कर दो, तो मैंने हस्ताक्षर कर दिए। पुलिसवालों ने मुझसे किस बात के हस्ताक्षर करवाये, मुझे नहीं बताया था।" "यह कहना गलत है कि मैंने अपने पुलिस कथन में यह बात बताई थी कि जैसे ही महाकाल बाबा की सवारी टंकी चौक सवारी के पास आने लगी तो सुपर गोल्ड बेकरी के पास लगी बिल्डिंग के टैरेस पर से तीन अज्ञात व्यक्ति बाबा की पालकी पर थूकने लगे थे।"
वहीं चश्मदीद अजय खत्री ने अपने बयान में कहा कि घटना के बारे में मुझे व्यक्तिगत जानकारी नहीं है, न घटना मैंने सुनी न देखी, न किसी ने बताई। मैं तो भीड़ देखकर वहां रुक गया था। पुलिस खाराकुआं द्वारा उक्त मामले में कई लोगों से अलग-अलग खाली पेपरों पर हस्ताक्षर करवा लिए थे। अलग-अलग लोगों से हस्ताक्षर करवाकर पुलिस ने क्या लिख लिया हमें इस बात की जानकारी नहीं है। उधर, क्विंट हिंदी से बातचीत में जांच पर सवाल उठाते हुए अदनान के पिता अशरफ हुसैन ने कहा, "पुलिस ने मामले की सही से जांच नहीं की क्योंकि प्रशासन पर दबाव बहुत था। उन्होंने दबाव में ये काम किया।"
नाबालिग आरोपियों को HC से मिली जमानत
19 सितंबर 2023 को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने ही इस मामले में दोनों नाबालिग आरोपियों को भी जमानत दी थी। जस्टिस वर्मा ने आरोपियों को जमानत देते हुए कहा था, "अपीलीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश और किशोर बोर्ड द्वारा पारित आदेश कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं हैं और दोनों निचली अदालतों ने दोनों आदेशों को पारित करने में क्षेत्राधिकार संबंधी त्रुटि और अवैधता की है।" "ऐसी कोई संभावना नहीं है कि अगर याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उनकी रिहाई उन्हें किसी ज्ञात अपराधी के साथ जोड़ देगी या उन्हें नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में डाल देगी या उनकी रिहाई न्याय के उद्देश्यों को विफल कर देगी।"
गाजे-बाजे के साथ चला था बुलडोजर
इस मामले में 19 जुलाई को जिला प्रशासन ने गाजे-बाजे के साथ आरोपी अदनान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोटिस चिपकाए जाने के करीब एक घंटे बाद ही प्रशासन ढोल-नगाड़ों के साथ बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंच गया था। वहीं, कार्रवाई के कुछ घंटों बाद, मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, "जो शिव को अपमानित करेगा, उसे तांडव के लिए भी तैयार रहना चाहिए। ये शिवराज सरकार है। यहां न सिर्फ अपराधियों पर कार्रवाई होती है, बल्कि इतनी सख्त होती है कि उनके हौसले तक टूट जाएं।"
मकान गिराने को लेकर भी सवाल
लल्लनटॉप की खबर के अनुसार, इस पूरे मामले में सबसे पावरफुल वो विजुअल रहा, जब अशरफ हुसैन मंसूरी का घर तोड़ा गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बैक डेट में अवैध निर्माण का नोटिस इशू हुआ था। स्पीकर्स पर तेज़ आवाज़ में कैलाश खेर का गाया 'गोविंदा, गोविंदा' बजता है और छोटे से प्रोविजन स्टोर समेत मकान ज़मींदोज़।
आर्टिकल 14 की एक खबर के अनुसार, जैसे ही साउंड सिस्टम पर गोविंदा गोविंदा नामक भक्तिपूर्ण हिंदू गीत बजाया गया और पुलिस सुरक्षा के तहत ड्रम बजाए गए, 19 जुलाई 2023 को पश्चिमी मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन में नगर निगम के अधिकारियों ने अशरफ हुसैन मंसूरी (43) की तीन मंजिला इमारत को 'खतरनाक' बताते हुए ढहा दिया। उसकी मृत मां को संबोधित पिछली तारीख में विध्वंस नोटिस देने के आधे घंटे के भीतर इसे ढहा दिया गया, जिससे तीन परिवारों के एक दर्जन पुरुष, महिलाएं और बच्चे बेघर हो गए, जिनमें से अधिकांश का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और उन पर किसी अपराध का आरोप नहीं लगाया गया था।
मंसूरी की इमारत को ढहाने की घटना कथित अपराधियों द्वारा कब्जा की गई या उनसे संबंधित संपत्तियों के समान विध्वंस को दर्शाती है, खासकर उन राज्यों में जो सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा प्रशासित या अन्यथा नियंत्रित हैं। जबकि उज्जैन में ही पिछले वर्ष में दो दर्जन से अधिक ऐसे विध्वंस देखे गए, अन्य राज्यों में जहां हाल के वर्षों में कथित गलत काम करने वालों की संपत्ति को इसी तरह से नष्ट किया गया है- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए कि किसी भी संपत्ति को जमीन पर ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। मालिक को सुनवाई का मौका दिए बिना अनधिकृत निर्माण होने के मामले में नई दिल्ली, मध्य प्रदेश (एमपी) और गुजरात शामिल हैं। इस सामूहिक सज़ा ने मुख्य रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया है। मंसूरी के मामले में, नगर निगम द्वारा इस्तेमाल किया गया बहाना, कि इमारत "खतरनाक" थी, सबूतों द्वारा समर्थित नहीं था, और विभिन्न अधिकारियों के बयान विरोधाभासी थे, जैसा कि आर्टिकल 14 में बताया गया है।
आर्टिकल 14 के अनुसार नगर निगम अधिकारी ने तीन मंजिला इमारत के भूतल पर एक नोटिस चिपकाया, जहां तीन मंसूरी भाई और उनके माता-पिता आधी सदी से अधिक समय से रह रहे थे। मंसूरी के गेट पर चिपकाए गए नोटिस में लिखा था, "आपको सूचित किया जाता है कि आपका खतरनाक निर्माण अब तक नहीं गिराया गया है।" यह नोटिस मंसूरी भाइयों की मां शहजान बी को संबोधित है, जिनकी 2009 में मृत्यु हो गई थी। नोटिस में कहा गया है कि परिवार मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 436 के अनुसार, "आखिरी बार" सूचित किया जा रहा है कि उन्हें अपनी खतरनाक इमारत को हटाना होगा या प्रशासन द्वारा इसे हटा दिया जाएगा।"...और आप विध्वंस के श्रम शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।" नोटिस 15 जुलाई को दिया गया था, वाक्यांश "अवैध निर्माण" या अवैध निर्माण को हटा दिया गया और "खतरनाक भवन" या खतरनाक इमारत से बदल दिया गया।
बाद में अशरफ हुसैन मंसूरी ने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इमारत अवैध नहीं थी। यदि यह अनधिकृत निर्माण होता, तो मध्य प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1956 के अनुसार, सरकार को उसे 14 दिन का नोटिस देना होगा और आगे की कार्रवाई से पहले उसके स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा करनी होगी। नोटिस चिपकाए जाने के करीब एक घंटे बाद एक बुलडोजर आया, उसके साथ ढोल-नगाड़े और लाउडस्पीकर वाला एक ट्रक भी था।
जैसे ही मंसूरी और उनके स्तब्ध परिवार लाउडस्पीकरों से लोकप्रिय गायक कैलाश खेर द्वारा गाया गया एक भक्तिपूर्ण हिंदू गीत "गोविंदा गोविंदा" देख रहे थे, ढोल बजाने वाले ढोल बजा रहे थे, एक पुलिस दल देख रहा था और दो घंटे के भीतर, टंकी चौक की गली और भूतल पर असरफ हुसैन मंसूरी का छोटा सा प्रोविजन स्टोर मलबे में तब्दील हो गया।
मकान विध्वंस के बारे में वकील सेंगर ने कहा कि जिला प्रशासन ने कुछ असंबंधित मामलों में भी इसी तरह का रुख अपनाया है। उन्होंने एक मामले का हवाला दिया जिसमें उज्जैन में प्रतिबंधित चीनी पतंग डोर बेचने के आरोपी मुस्लिम दुकानदारों के घर तोड़ दिए गए। सेंगर ने कहा, "शहर में अनगिनत 'अवैध' या खतरनाक निर्माण हैं लेकिन नगर निगम तभी जागता है जब आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से होते हैं।" 25 दिसंबर 2020 को भी उज्जैन में हुई झड़प के बाद की गई तोड़फोड़ का जिक्र करते हुए सेंगर ने कहा कि सरकार ने एक अवैध इमारत पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया, जहां से एक मुस्लिम महिला को एक वीडियो में पथराव करते हुए देखा गया था। जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो पता चला कि इमारत एक हिंदू की थी; मुस्लिम महिला किरायेदार थी।
सेंगर ने कहा , "इसके बाद, निगम ने बगल की इमारत को ढहा दिया जो एक मुस्लिम की थी , जिसका झड़प से कोई लेना-देना नहीं था।" सेंगर अवैध विध्वंस, गलत गिरफ्तारी, पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के आरोप आदि से संबंधित मामलों में कई मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
इस बीच, मंसूरी पिछले पांच महीनों से किराए के घर में रह रहे हैं, दुकान चलाकर आजीविका कमा रहे हैं, जिसे प्रशासन ने उनकी तीन मंजिला इमारत के साथ बुलडोजर से गिरा दिया था। अशरफ हुसैन मंसूरी के बड़े भाई असगर हुसैन मंसूरी ने कहा, "न्यूनतम मरम्मत के साथ, हमने परिवार को खिलाने के लिए दुकान फिर से खोल दी।" कहा ध्वस्त घर का पुनर्निर्माण करना अधिक कठिन होगा, इसके लिए वित्त और अनुमति की आवश्यकता होगी। शिकायतकर्ता और गवाह के अदालत में मुकर जाने के बाद भी, परिवार की नगर निगम या पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की कोई योजना नहीं थी, जिन्होंने बिना किसी सबूत के सतही आरोपों पर एफआईआर दर्ज की थी। अशरफ हुसैन के दूसरे भाई अकबर हुसैन ने कहा, "हम भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं कि हमारे बच्चे घर लौट आए।" "हमें और कुछ नहीं चाहिए।"
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क्या है मामला?
ये मामला 17 जुलाई 2023 का है, जब कथित तौर पर एक धार्मिक जुलूस- 'महाकाल की सवारी'- पर 'थूकने' के आरोप में एक वयस्क और दो नाबालिग बच्चों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। द क्विंट के अनुसार, उज्जैन पुलिस ने सावन लोट की शिकायत पर IPC की पांच धाराओं- 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 153-ए (पूजा स्थल पर किया गया अपराध), 296 (धार्मिक सभा को परेशान करना), 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी अदनान मंसूरी और उसके नाबालिग भाई और नाबालिग दोस्त को गिरफ्तार किया था।
दोनों नाबालिग लड़कों को जुवेनाइल होम भेजा गया और तीसरे अदनान मंसूरी को, ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया। यानी न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। हालांकि आरोपियों का दावा था कि वो छत पर महज़ पानी पी रहे थे। लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं हुई। घटना के दो दिन बाद, 19 जुलाई 2023 को एक और एपिसोड हुआ। पुलिस प्रशासन और उज्जैन नगर निगम गाजे-बाजे के साथ अदनान मंसूरी के पिता अशरफ हुसैन मंसूरी के घर पहुंचा। कहा गया कि अवैध निर्माण का केस है। ये नहीं बताया गया कि ऐसा है भी, तो भी ढोल बजाने का क्या औचित्य है?
कोर्ट में शिकायतकर्ता और चश्मदीद दोनों मुकरे
15 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 18 वर्षीय आरोपी अदनान मंसूरी को 75,000 के पर्सनल बॉन्ड पर जमानत दी। बता दें कि आरोपी अदनान 17 जुलाई 2023 से जेल में था। उसे करीब 115 दिन बाद जमानत मिली। आरोपी की तरफ से वकील विवेक सिंह ने पैरवी की। उन्होंने आरोपी को बेकसूर बताते हुए कहा कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट पेश की जा चुकी है। इसके अलावा शिकायतकर्ता सावन लोट और चश्मदीद अजय खत्री के बयान भी हो चुके हैं। इन दोनों ने कोर्ट में घटना का समर्थन नहीं किया है। सरकारी वकील वर्षा सिंह ठाकुर ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि यह सांप्रदायिक सद्भाव के लिए गंभीर किस्म का अपराध है और याचिकाकर्ता की पहचान सीसीटीवी फुटेज से भी हुई है।
जस्टिस अनिल वर्मा ने कहा,
"शिकायतकर्ता सावन लोट ट्रायल कोर्ट के सामने पूछताछ में मुकर गया और अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया और यहां तक कि उसने अपनी FIR के प्रासंगिक हिस्से से भी इनकार कर दिया। वहीं प्रत्यक्षदर्शी अजय खत्री भी मुकर गया और अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया। जांच अधिकारी द्वारा आइडेंटिफिकेशन परेड नहीं करवाई गई, जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दायर किया गया है, आवेदक (आरोपी) की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, मैं आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित समझता हूं."
खास है कि शिकायतकर्ता व गवाह दोनों कोर्ट में अपनी बात से मुकर गए। दोनों ने ही कोर्ट में कहा कि ना तो उन्होंने आरोपियों को शोभायात्रा पर थूकते हुए देखा था, ना ही आरोपियों की पहचान की थी। दोनों ने कोर्ट में लिखित स्टेटमेंट दिया कि उन्होंने पुलिस के कहने पर अपने बयान पर साइन किए थे, जबकि उनके बयान से FIR मेल नहीं खा रही थी। दोनों के मुकरने के बाद जस्टिस अनिल वर्मा ने अदनान मंसूरी को बेल दे दी। अदनान मंसूरी के वकील ने बताया था कि पुलिस कोर्ट में कोई मज़बूत वीडियो एविडेंस नहीं प्रोड्यूस कर पाई। जो एक वीडियो पेश किया गया, उसमें एक नाबालिग लड़का छत पर हाथ में पानी की बोतल थामे नज़र आता है। पुलिस ने हाई कोर्ट में कहा था कि वो और वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत करेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बहरहाल, अब अदनान मंसूरी को बेल मिल गई है। 151 दिन बाद। कोर्ट ने उन्हें 75 हज़ार के पर्सनल बॉन्ड पर ज़मानत दी है। केस अभी चल रहा है।
कोर्ट में शिकायतकर्ता और चश्मीद ने क्या कहा?
क्विंट हिंदी से बातचीत में आरोपी अदनान के वकील देवेन्द्र सेंगर ने बताया कि, "शिकायतकर्ता और चश्मदीद ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने पुलिस के दबाव में हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने घटना नहीं देखी और न ही किसी को व्यक्तिगत रूप से पहचानते हैं।" शिकायतकर्ता सावन लोट ने कोर्ट में अपने बयान में कहा, "थाने पर बहुत सारे पुलिस वाले थे और मुझसे कहा कि कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कर दो, तो मैंने हस्ताक्षर कर दिए। पुलिसवालों ने मुझसे किस बात के हस्ताक्षर करवाये, मुझे नहीं बताया था।" "यह कहना गलत है कि मैंने अपने पुलिस कथन में यह बात बताई थी कि जैसे ही महाकाल बाबा की सवारी टंकी चौक सवारी के पास आने लगी तो सुपर गोल्ड बेकरी के पास लगी बिल्डिंग के टैरेस पर से तीन अज्ञात व्यक्ति बाबा की पालकी पर थूकने लगे थे।"
वहीं चश्मदीद अजय खत्री ने अपने बयान में कहा कि घटना के बारे में मुझे व्यक्तिगत जानकारी नहीं है, न घटना मैंने सुनी न देखी, न किसी ने बताई। मैं तो भीड़ देखकर वहां रुक गया था। पुलिस खाराकुआं द्वारा उक्त मामले में कई लोगों से अलग-अलग खाली पेपरों पर हस्ताक्षर करवा लिए थे। अलग-अलग लोगों से हस्ताक्षर करवाकर पुलिस ने क्या लिख लिया हमें इस बात की जानकारी नहीं है। उधर, क्विंट हिंदी से बातचीत में जांच पर सवाल उठाते हुए अदनान के पिता अशरफ हुसैन ने कहा, "पुलिस ने मामले की सही से जांच नहीं की क्योंकि प्रशासन पर दबाव बहुत था। उन्होंने दबाव में ये काम किया।"
नाबालिग आरोपियों को HC से मिली जमानत
19 सितंबर 2023 को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने ही इस मामले में दोनों नाबालिग आरोपियों को भी जमानत दी थी। जस्टिस वर्मा ने आरोपियों को जमानत देते हुए कहा था, "अपीलीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश और किशोर बोर्ड द्वारा पारित आदेश कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं हैं और दोनों निचली अदालतों ने दोनों आदेशों को पारित करने में क्षेत्राधिकार संबंधी त्रुटि और अवैधता की है।" "ऐसी कोई संभावना नहीं है कि अगर याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उनकी रिहाई उन्हें किसी ज्ञात अपराधी के साथ जोड़ देगी या उन्हें नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में डाल देगी या उनकी रिहाई न्याय के उद्देश्यों को विफल कर देगी।"
गाजे-बाजे के साथ चला था बुलडोजर
इस मामले में 19 जुलाई को जिला प्रशासन ने गाजे-बाजे के साथ आरोपी अदनान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोटिस चिपकाए जाने के करीब एक घंटे बाद ही प्रशासन ढोल-नगाड़ों के साथ बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंच गया था। वहीं, कार्रवाई के कुछ घंटों बाद, मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, "जो शिव को अपमानित करेगा, उसे तांडव के लिए भी तैयार रहना चाहिए। ये शिवराज सरकार है। यहां न सिर्फ अपराधियों पर कार्रवाई होती है, बल्कि इतनी सख्त होती है कि उनके हौसले तक टूट जाएं।"
मकान गिराने को लेकर भी सवाल
लल्लनटॉप की खबर के अनुसार, इस पूरे मामले में सबसे पावरफुल वो विजुअल रहा, जब अशरफ हुसैन मंसूरी का घर तोड़ा गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बैक डेट में अवैध निर्माण का नोटिस इशू हुआ था। स्पीकर्स पर तेज़ आवाज़ में कैलाश खेर का गाया 'गोविंदा, गोविंदा' बजता है और छोटे से प्रोविजन स्टोर समेत मकान ज़मींदोज़।
आर्टिकल 14 की एक खबर के अनुसार, जैसे ही साउंड सिस्टम पर गोविंदा गोविंदा नामक भक्तिपूर्ण हिंदू गीत बजाया गया और पुलिस सुरक्षा के तहत ड्रम बजाए गए, 19 जुलाई 2023 को पश्चिमी मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन में नगर निगम के अधिकारियों ने अशरफ हुसैन मंसूरी (43) की तीन मंजिला इमारत को 'खतरनाक' बताते हुए ढहा दिया। उसकी मृत मां को संबोधित पिछली तारीख में विध्वंस नोटिस देने के आधे घंटे के भीतर इसे ढहा दिया गया, जिससे तीन परिवारों के एक दर्जन पुरुष, महिलाएं और बच्चे बेघर हो गए, जिनमें से अधिकांश का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और उन पर किसी अपराध का आरोप नहीं लगाया गया था।
मंसूरी की इमारत को ढहाने की घटना कथित अपराधियों द्वारा कब्जा की गई या उनसे संबंधित संपत्तियों के समान विध्वंस को दर्शाती है, खासकर उन राज्यों में जो सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा प्रशासित या अन्यथा नियंत्रित हैं। जबकि उज्जैन में ही पिछले वर्ष में दो दर्जन से अधिक ऐसे विध्वंस देखे गए, अन्य राज्यों में जहां हाल के वर्षों में कथित गलत काम करने वालों की संपत्ति को इसी तरह से नष्ट किया गया है- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए कि किसी भी संपत्ति को जमीन पर ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। मालिक को सुनवाई का मौका दिए बिना अनधिकृत निर्माण होने के मामले में नई दिल्ली, मध्य प्रदेश (एमपी) और गुजरात शामिल हैं। इस सामूहिक सज़ा ने मुख्य रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया है। मंसूरी के मामले में, नगर निगम द्वारा इस्तेमाल किया गया बहाना, कि इमारत "खतरनाक" थी, सबूतों द्वारा समर्थित नहीं था, और विभिन्न अधिकारियों के बयान विरोधाभासी थे, जैसा कि आर्टिकल 14 में बताया गया है।
आर्टिकल 14 के अनुसार नगर निगम अधिकारी ने तीन मंजिला इमारत के भूतल पर एक नोटिस चिपकाया, जहां तीन मंसूरी भाई और उनके माता-पिता आधी सदी से अधिक समय से रह रहे थे। मंसूरी के गेट पर चिपकाए गए नोटिस में लिखा था, "आपको सूचित किया जाता है कि आपका खतरनाक निर्माण अब तक नहीं गिराया गया है।" यह नोटिस मंसूरी भाइयों की मां शहजान बी को संबोधित है, जिनकी 2009 में मृत्यु हो गई थी। नोटिस में कहा गया है कि परिवार मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 436 के अनुसार, "आखिरी बार" सूचित किया जा रहा है कि उन्हें अपनी खतरनाक इमारत को हटाना होगा या प्रशासन द्वारा इसे हटा दिया जाएगा।"...और आप विध्वंस के श्रम शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।" नोटिस 15 जुलाई को दिया गया था, वाक्यांश "अवैध निर्माण" या अवैध निर्माण को हटा दिया गया और "खतरनाक भवन" या खतरनाक इमारत से बदल दिया गया।
बाद में अशरफ हुसैन मंसूरी ने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इमारत अवैध नहीं थी। यदि यह अनधिकृत निर्माण होता, तो मध्य प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1956 के अनुसार, सरकार को उसे 14 दिन का नोटिस देना होगा और आगे की कार्रवाई से पहले उसके स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा करनी होगी। नोटिस चिपकाए जाने के करीब एक घंटे बाद एक बुलडोजर आया, उसके साथ ढोल-नगाड़े और लाउडस्पीकर वाला एक ट्रक भी था।
जैसे ही मंसूरी और उनके स्तब्ध परिवार लाउडस्पीकरों से लोकप्रिय गायक कैलाश खेर द्वारा गाया गया एक भक्तिपूर्ण हिंदू गीत "गोविंदा गोविंदा" देख रहे थे, ढोल बजाने वाले ढोल बजा रहे थे, एक पुलिस दल देख रहा था और दो घंटे के भीतर, टंकी चौक की गली और भूतल पर असरफ हुसैन मंसूरी का छोटा सा प्रोविजन स्टोर मलबे में तब्दील हो गया।
मकान विध्वंस के बारे में वकील सेंगर ने कहा कि जिला प्रशासन ने कुछ असंबंधित मामलों में भी इसी तरह का रुख अपनाया है। उन्होंने एक मामले का हवाला दिया जिसमें उज्जैन में प्रतिबंधित चीनी पतंग डोर बेचने के आरोपी मुस्लिम दुकानदारों के घर तोड़ दिए गए। सेंगर ने कहा, "शहर में अनगिनत 'अवैध' या खतरनाक निर्माण हैं लेकिन नगर निगम तभी जागता है जब आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से होते हैं।" 25 दिसंबर 2020 को भी उज्जैन में हुई झड़प के बाद की गई तोड़फोड़ का जिक्र करते हुए सेंगर ने कहा कि सरकार ने एक अवैध इमारत पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया, जहां से एक मुस्लिम महिला को एक वीडियो में पथराव करते हुए देखा गया था। जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो पता चला कि इमारत एक हिंदू की थी; मुस्लिम महिला किरायेदार थी।
सेंगर ने कहा , "इसके बाद, निगम ने बगल की इमारत को ढहा दिया जो एक मुस्लिम की थी , जिसका झड़प से कोई लेना-देना नहीं था।" सेंगर अवैध विध्वंस, गलत गिरफ्तारी, पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के आरोप आदि से संबंधित मामलों में कई मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
इस बीच, मंसूरी पिछले पांच महीनों से किराए के घर में रह रहे हैं, दुकान चलाकर आजीविका कमा रहे हैं, जिसे प्रशासन ने उनकी तीन मंजिला इमारत के साथ बुलडोजर से गिरा दिया था। अशरफ हुसैन मंसूरी के बड़े भाई असगर हुसैन मंसूरी ने कहा, "न्यूनतम मरम्मत के साथ, हमने परिवार को खिलाने के लिए दुकान फिर से खोल दी।" कहा ध्वस्त घर का पुनर्निर्माण करना अधिक कठिन होगा, इसके लिए वित्त और अनुमति की आवश्यकता होगी। शिकायतकर्ता और गवाह के अदालत में मुकर जाने के बाद भी, परिवार की नगर निगम या पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की कोई योजना नहीं थी, जिन्होंने बिना किसी सबूत के सतही आरोपों पर एफआईआर दर्ज की थी। अशरफ हुसैन के दूसरे भाई अकबर हुसैन ने कहा, "हम भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं कि हमारे बच्चे घर लौट आए।" "हमें और कुछ नहीं चाहिए।"
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