मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के आचार संहिता उल्लंघन के मामले लगातार जारी हैं। नीमच जिले में तो दो बीजेपी विधायकों को जमानत करानी पड़ गई है।
ताजा मामले में पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा के बेटे और जावद के विधायक तथा वर्तमान प्रत्याशी ओमप्रकाश सखलेचा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
ओमप्रकाश सखलेचा ने 2 नवंबर को बिना अनुमति के शाम छह बजे जावद में रैली निकाली थी जो शहर के मुख्य रास्तों से निकली थी।
इसके बाद एफएसटी मजिस्ट्रेट शंभु मइड़ा की शिकायत पर बीजेपी विधायक ओमप्रकाश सखलेचा के खिलाफ लोक सेवक आदेश की अवहेलना के आरोप में धारा 188 के तहत मामला जावद थाने में दर्ज किया गया और मंगलवार को उन्हें गिरफ्तार करके नीमच की अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
अदालत ने विधायक ओमप्रकाश सखलेचा को चेतावनी भी दी और कहा कि वे भविष्य में खुद भी आचार संहिता का पालन करें और अपने कार्यकर्ताओं को भी आचार संहिता के पालन की हिदायत दें। जमानत पर रिहा होने के बाद ही सखलेचा अपना नामांकन जमा करने पहुंच सके।
दो दिन पहले ही नीमच के विधायक दिलीप सिंह परिहार के खिलाफ भी आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था। परिहार का टिकट घोषित होने के बाद कार्यकर्ताओं ने उनके सरकारी मकान पर आतिशबाजी की थी और झंडे लहराते हुए नारे लगाए थे। इसका वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने दिलीप सिंह परिहार के खिलाफ मामला दर्ज किया था और उन्हें भी जमानत करानी पड़ी थी।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच विधायक ओमप्रकाश सखलेचा का गांवों में भारी विरोध जारी है। आकली गांव में तो गांव वालों ने सखलेचा की कार तक पर अपना सिक्का खोटा- वोट फॉर नोटा का स्टीकर चिपका दिया।
ये वही इलाका है जहां सवर्ण बहुल गांवों में एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सबसे ज्यादा प्रदर्शन हुए थे। इसी गांव में जब ओमप्रकाश सखलेचा वोट मांगने पहुंचे तो गांव वालों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद पुलिस ने उन्हें किसी तरह से सुरक्षित निकाला।
ताजा मामले में पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा के बेटे और जावद के विधायक तथा वर्तमान प्रत्याशी ओमप्रकाश सखलेचा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
ओमप्रकाश सखलेचा ने 2 नवंबर को बिना अनुमति के शाम छह बजे जावद में रैली निकाली थी जो शहर के मुख्य रास्तों से निकली थी।
इसके बाद एफएसटी मजिस्ट्रेट शंभु मइड़ा की शिकायत पर बीजेपी विधायक ओमप्रकाश सखलेचा के खिलाफ लोक सेवक आदेश की अवहेलना के आरोप में धारा 188 के तहत मामला जावद थाने में दर्ज किया गया और मंगलवार को उन्हें गिरफ्तार करके नीमच की अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
अदालत ने विधायक ओमप्रकाश सखलेचा को चेतावनी भी दी और कहा कि वे भविष्य में खुद भी आचार संहिता का पालन करें और अपने कार्यकर्ताओं को भी आचार संहिता के पालन की हिदायत दें। जमानत पर रिहा होने के बाद ही सखलेचा अपना नामांकन जमा करने पहुंच सके।
दो दिन पहले ही नीमच के विधायक दिलीप सिंह परिहार के खिलाफ भी आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था। परिहार का टिकट घोषित होने के बाद कार्यकर्ताओं ने उनके सरकारी मकान पर आतिशबाजी की थी और झंडे लहराते हुए नारे लगाए थे। इसका वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने दिलीप सिंह परिहार के खिलाफ मामला दर्ज किया था और उन्हें भी जमानत करानी पड़ी थी।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच विधायक ओमप्रकाश सखलेचा का गांवों में भारी विरोध जारी है। आकली गांव में तो गांव वालों ने सखलेचा की कार तक पर अपना सिक्का खोटा- वोट फॉर नोटा का स्टीकर चिपका दिया।
ये वही इलाका है जहां सवर्ण बहुल गांवों में एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सबसे ज्यादा प्रदर्शन हुए थे। इसी गांव में जब ओमप्रकाश सखलेचा वोट मांगने पहुंचे तो गांव वालों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद पुलिस ने उन्हें किसी तरह से सुरक्षित निकाला।