विधानसभा चुनावों में जब्त रकम बता रही हैं, नोटबंदी से कालेधन पर फर्क नहीं पड़ा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 10, 2018
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले नोटबंदी करते हुए ऐलान किया था कि इससे कालेधन पर लगाम लगेगा। लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के दौरान कालेधन की व्यापक पैमाने पर हुई धरपकड़ के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बावजूद चुनाव में धनबल के उपयोग में, कमी आने के बजाय इजाफा ही हुआ है। 

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन राज्यों में पिछले चुनाव की तुलना में जब्त की गई अवैध धनराशि में वृद्धि हुई है। इससे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत की उस आशंका को भी बल मिला है जिसमें उन्होंने नोटबंदी से चुनाव में कालेधन पर नकेल कसने के सरकार के दावे पर सवाल खड़े किए थे। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सेवामुक्त हुए रावत ने भी कहा था कि नोटबंदी के बावजूद पांच राज्यों के चुनाव में कालेधन की बरामदगी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

चुनाव के दौरान अवैध रकम, शराब, मादक द्रव्य और कीमती जेवरात की धरपकड़ संबंधी चुनाव आयोग के आंकड़े दर्शाते हैं कि इन राज्यों में आचार संहिता लागू होने के बाद लगभग 168 करोड़ रुपए नकद बरामद हुये। शुक्रवार को पांचों राज्यों में मतदान संपन्न होने के बाद आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जब्त किए गए 168 करोड़ रुपए में आश्चर्यजनक रूप से अकेले तेलंगाना की हिस्सेदारी 115.19 करोड़ रुपए की रही। 

साल 2014 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में 195 करोड़ रुपए कालेधन के रूप में बरामद किए गए थे। इससे काफी पीछे रहते हुए मध्य प्रदेश 30.93 करोड़ रुपए के साथ दूसरे और राजस्थान 12.85 करोड़ रुपए की बरामदगी के साथ तीसरे पायदान पर रहा।

पिछले चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कालेधन, मादक द्रव्य और अवैध शराब सहित बरामद की गई अन्य सामग्री की कीमत 27 करोड़ रूपए थी। इसी तरह राजस्थान में भी 2013 के चुनाव की तुलना में बरामद अवैध रकम में लगभग एक करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना में पैसा और शराब पानी की तरह बहाया गया। इस छोटे से नवगठित राज्य ने अवैध रूप से धनबल के इस्तेमाल के मामले में अन्य चारों राज्यों को काफी पीछे छोड़ दिया।

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