संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से क्यों?

Written by Mohd Zahid | Published on: August 27, 2018
लंदन में राहुल ने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही कि भारत में आरएसएस मिस्र के 'मुस्लिम ब्रदरहुड' का ही हिंदू प्रतिरूप है। और राहुल गाँधी के बौद्धिक रूप से सक्षम होने का यह प्रमाण ही है कि उन्होंने चाल-चरित्र और चेहरे में संघ और मिस्र के "मुस्लिम ब्रदरहुड" को कार्य और नीति के आधार पर एक बता दिया।



आरएसएस की तुलना हम अभी तक हिटलर की नाजी पार्टी से लेकर अफगानिस्तान के तालिबान तक से करते रहे हैं । लेकिन इस संदर्भ में 'मुस्लिम ब्रदरहुड' का जिक्र करके राहुल ने आज के संदर्भ में आरएसएस के और भी सटीक समानार्थी संगठन की शिनाख्त की है। यह एक शानदार और सच के करीब की गयी शिनाख्त है।

'मुस्लिम ब्रदरहुड' क्या है ?

इसकी ओर सारी दुनिया का ध्यान 2012 में खास तौर पर गया था जब 2011 की जनवरी में अरब क्रांति के बाद इसके राजनीतिक संगठन ने मिस्र का चुनाव जीत लिया था।

लेकिन बहुत जल्द ही मिस्र में उसकी आतंकवादी गतिविधियां दुनिया के सामने आने लगी जैसे भारत में संघ की आतंकी गतिविधायाँ सामने आ रही हैं , खैर 2015 में ही मुस्लिम ब्रदरहुड की सरकार को खत्म करके उसके सारे नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया और आज दुनिया के बहुत सारे देश उसे एक आतंकवादी संगठन मानते हैं।

आईए मुस्लिम ब्रदरहुड के इतिहास को समझते हैं जिसकी नकल भारत में संघ करता रहा है और वह केवल मुस्लिम की जगह हिन्दू शब्द का प्रयोग करता रहा है।

'सोसाइटी आफ द मुस्लिम ब्रदर्स' (अल-लखवॉन अल-मुसलिमुन) के नाम से सन् 1928 में मिस्र में एक अखिल इस्लामिक संगठन के रूप में इसका निर्माण हुआ और यह अस्पतालों और नाना प्रकार के धर्मादा कामों के जरिये पूरे इस्लामिक जगत में अपनी जड़े फैला रहा था ।

राजनैतिक स्वार्थ के लिए इस संगठन ने भी धर्म का उपयोग किया तथा कुरान और सुन्ना के आदर्शों पर यह पूरे समाज, परिवार और व्यक्ति को ढालने के प्रचारमूलक काम में मुख्यतः लगा रहता था और पूरी अरब दुनिया में इसके अनेक समर्थक हो गये थे।

धर्मादा कामों के जरिये अपने राजनीतिक उद्देश्यों को साधना ही इसका प्रमुख चरित्र रहा हैं और इसे एक समय में सऊदी अरब सहित कई इस्लामिक देशों का समर्थन मिला हुआ था। लेकिन आज अपने कारनामों के कारण यह सऊदी अरब में भी यह एक प्रतिबंधित संगठन है।

अब जैसा कि पूरे विश्व ने मुस्लिम ब्रदरहुड के संदर्भ में प्रतिबंध का फैसला लिया वैसा ही फैसला विश्व को संघ के संदर्भ में भी लेना होगा , राहुल गाँधी ने विश्व पटल पर संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करके इसी दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है।

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