प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के कारण इंदौर विश्वविद्यालय के बीकॉम के छात्रों की परीक्षा ही अधर में लटक गई है। जिस दिन सभा होनी थी, उस दिन व्यवस्था के नाम पर बीकॉम की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं थी, लेकिन अगली तारीख उस समय नहीं बताई, और बाद में चुपके से तारीख तय कर दी, नतीजन बहुत सारे छात्र-छात्राएं परीक्षा से चूक गए।
प्रधानमंत्री की इंदौर में 23 जून को सभा थी, जिसके कारण उस दिन होने वाली बीकॉम सेकंड सेमेस्टर की एटीकेटी की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं। ऐसा कहा गया था कि परीक्षा की अगली तारीख बाद में बताई जाएगी।
इसके बाद मंगलवार को विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर सूचना दी कि बुधवार को सुबह बीकॉम की परीक्षा होगी। इतने शॉर्ट नोटिस के कारण बहुत से छात्रों की परीक्षा की सूचना नहीं मिल पाई। छात्रों को इस बात की आशा भी नहीं थी कि वेबसाइट पर अचानक ही परीक्षा की तिथि, वो भी अगले दिन की तय करने की सूचना आएगी, लिहाजा बहुत से विद्यार्थियों ने वेबसाइट चेक ही नहीं की।
विश्वविद्यालय ने परीक्षा स्थगित करने की सूचना भी एक दिन पहले यानी 22 जून को ही दी थी, और बुधवार यानी 27 जून को परीक्षा होने की सूचना भी एक ही दिन पहले यानी 26 जून की शाम को दी।
हालात ये रहे कि छात्रों को तो दूर की बात कई परीक्षा केंद्रों तक को इसकी खबर नहीं मिल पाई। परीक्षा की तारीख की सूचना न मिलने पर कई परीक्षा केंद्र तो बंद ही रहे। महाराजा रणजीत सिंह कॉलेज पर भी परीक्षा के समय ताला लगा था। कई कॉलेजों को तो छात्र-छात्राओं ने ही बताया तब पता चला कि बुधवार को परीक्षा होनी थी।
कई और भी कॉलेज परीक्षा के समय बंद रहे और कुछ खुले भी थे तो उनमें छात्रों की उपस्थिति बहुत मामूली थी। कुछ कॉलेजों में तो आधे से अधिक परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे।
कुछ प्राचार्यों ने परीक्षा नियंत्रक को ये समस्या बताई, लेकिन उन्होंने यह कहकर कुछ भी करने से इन्कार कर दिया कि छात्र-छात्राओं को पहले से ही वेबसाइट देखते रहने का निर्देश दिया जा चुका था।
बुधवार को छात्रों ने इस मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय में हंगामा किया और कहा कि उसकी लापरवाही के कारण छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया है। हालांकि अधिकारी अपने तर्क देते रहे, लेकिन जब ये साबित हो गया कि बहुत से परीक्षा केंद्र ही नहीं खुले और बहुत बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा नहीं दे पाए तब उन्होंने अपनी गलती तो नहीं मानी, लेकिन दोबारा परीक्षा लेने का आश्वासन जरूर दिया।
नईदुनिया के अनुसार, उस दिन करीब 1200 छात्र-छात्राओं को परीक्षा देना था, लेकिन इनमें से करीब 400 परीक्षा नहीं दे पाए। विश्वविद्यालय के कुछ सूत्रों ने अनुपस्थित छात्रों की संख्या करीब 600 बताई है।
गड़बड़ी का कारण वेबसाइट पर सूचना अपलोड करने में देरी बताई जा रही है, लेकिन अन्य स्रोतों से इस तारीख का प्रचार क्यों नहीं किया गया, इस बात का कोई जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री की इंदौर में 23 जून को सभा थी, जिसके कारण उस दिन होने वाली बीकॉम सेकंड सेमेस्टर की एटीकेटी की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं। ऐसा कहा गया था कि परीक्षा की अगली तारीख बाद में बताई जाएगी।
इसके बाद मंगलवार को विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर सूचना दी कि बुधवार को सुबह बीकॉम की परीक्षा होगी। इतने शॉर्ट नोटिस के कारण बहुत से छात्रों की परीक्षा की सूचना नहीं मिल पाई। छात्रों को इस बात की आशा भी नहीं थी कि वेबसाइट पर अचानक ही परीक्षा की तिथि, वो भी अगले दिन की तय करने की सूचना आएगी, लिहाजा बहुत से विद्यार्थियों ने वेबसाइट चेक ही नहीं की।
विश्वविद्यालय ने परीक्षा स्थगित करने की सूचना भी एक दिन पहले यानी 22 जून को ही दी थी, और बुधवार यानी 27 जून को परीक्षा होने की सूचना भी एक ही दिन पहले यानी 26 जून की शाम को दी।
हालात ये रहे कि छात्रों को तो दूर की बात कई परीक्षा केंद्रों तक को इसकी खबर नहीं मिल पाई। परीक्षा की तारीख की सूचना न मिलने पर कई परीक्षा केंद्र तो बंद ही रहे। महाराजा रणजीत सिंह कॉलेज पर भी परीक्षा के समय ताला लगा था। कई कॉलेजों को तो छात्र-छात्राओं ने ही बताया तब पता चला कि बुधवार को परीक्षा होनी थी।
कई और भी कॉलेज परीक्षा के समय बंद रहे और कुछ खुले भी थे तो उनमें छात्रों की उपस्थिति बहुत मामूली थी। कुछ कॉलेजों में तो आधे से अधिक परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे।
कुछ प्राचार्यों ने परीक्षा नियंत्रक को ये समस्या बताई, लेकिन उन्होंने यह कहकर कुछ भी करने से इन्कार कर दिया कि छात्र-छात्राओं को पहले से ही वेबसाइट देखते रहने का निर्देश दिया जा चुका था।
बुधवार को छात्रों ने इस मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय में हंगामा किया और कहा कि उसकी लापरवाही के कारण छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया है। हालांकि अधिकारी अपने तर्क देते रहे, लेकिन जब ये साबित हो गया कि बहुत से परीक्षा केंद्र ही नहीं खुले और बहुत बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा नहीं दे पाए तब उन्होंने अपनी गलती तो नहीं मानी, लेकिन दोबारा परीक्षा लेने का आश्वासन जरूर दिया।
नईदुनिया के अनुसार, उस दिन करीब 1200 छात्र-छात्राओं को परीक्षा देना था, लेकिन इनमें से करीब 400 परीक्षा नहीं दे पाए। विश्वविद्यालय के कुछ सूत्रों ने अनुपस्थित छात्रों की संख्या करीब 600 बताई है।
गड़बड़ी का कारण वेबसाइट पर सूचना अपलोड करने में देरी बताई जा रही है, लेकिन अन्य स्रोतों से इस तारीख का प्रचार क्यों नहीं किया गया, इस बात का कोई जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं।