खतरे की कोई बात नहीं थी
रेडियो पर मन की बात चली थी
पुलवामा में अटैक हुआ था
बाकी सब था कुशल मंगल
शूटिंग में मदमस्त होकर
साहब खेलते जंगल जंगल।।
भक्त गण मानव-खून चूसते
साहेब शाकाहारी हैं
साहेब बेटी बचाओ कहते
विधायक बलात्कारी हैं
करनी में तानाशाही भरी है
लोकतंत्र की बातें बंडल
साहेब खेलते जंगल जंगल।।
कई राज्य बाढ़ में डूबे
स्टेचू ऑफ यूनिटी बचा हुआ है
कई राज्य सूखे से त्रस्त हैं
हाहाकर मचा हुआ है
जल संकट की बात करे वो
जो अम्बानी अडानी को बेचे जंगल
साहेब खेलते जंगल जंगल।।
370 की फर्जी खुशी के नीचे
नौकरी में छंटनी जारी है
तुमको कोई फर्क नहीं है
अगली बारी तुम्हारी है
प्राइवेटाइजेशन कर सब बेच खाएंगे
हाथ बचेगा बस कमण्डल
साहेब घूमते जंगल जंगल।।