लाठी, गोली खाते छात्र, महिला, बुजुर्ग संकेत दे रहे हैं कि जनता ने सरकार की तानाशाही से डरना बन्द कर दिया है

Written by मिथुन प्रजापति | Published on: December 28, 2019
साधो, पिछले हफ्ते 19 दिसंबर को CAA और NRC के विरोध में मुम्बई के अगस्त क्रांति मैदान में प्रदर्शन था , जो पूर्णतया सफल रहा। हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो हुए और  CAA से अपनी असहमति जताई। 


19 दिसंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करती बुजुर्ग महिला को ले जाती पुलिस। PC-AFP

साधो, मैं बात कुछ और बताने वाला हूँ। उस प्रोटेस्ट के दिन सुबह मेरे एक जानने वाले मिले। उनसे मेरी NRC और CAA को लेकर बहुत सी बातचीत हुई।  वे सज्जन व्यक्ति हैं। देश दुनिया से दूर रहते हैं। परिवार,नौकरी, रिश्तेदार से ज्यादा किसी चीज से मतलब नहीं रखते। मैं उनसे बहुत देर तक बात करता रहा। उस दिन शाम को होने वाले प्रोटेस्ट पर भी उनसे बात हुई। वे बड़े प्रभावित हुए। जामिया में स्टूडेंट्स पर हुई बर्बरता पर हुई बात से उनका दिल दुख गया। कहने लगे- छात्र देश का भविष्य होते हैं। उनके साथ बर्बरता ठीक नहीं। उन्होंने भी प्रोटेस्ट में चलने की इच्छा जताई। 

साधो, उनके अंदर जगी इस संवेदना से मैं अभिभूत हो गया। अब वे घर निकलने वाले थे। मैंने अचानक कहा- बड़ी हिम्मत की बात होती है बिना स्वार्थ के सच के साथ खड़ा होना। सब सुशांत सिंह नहीं हो सकते। 
उन्होंने पूछा - कौन सुशांत सिंह ? 
मैंने कहा- वही जो एक प्रसिद्ध शो की ऐंकरिंग करते थे। 
उन्होंने पूछा- क्या किया उन्होंने ?
मैंने बताया- जामिया के छात्रों की बर्बरता के खिलाफ वे भी मुम्बई यूनिवर्सिटी पहुंचकर अपना विरोध जता रहे थे। सुनने में आ रहा है कि उन्हें शो से निकाल दिया गया है।

साधो, इतना सुनते ही वे घबरा गए। कहने लगे- क्या ! ऐसा भी होता है ? 
मैंने कहा- हां, इस तरह की चीजें होती हैं। 
वे कहने लगे- वे तो इतने बड़े स्टार हैं। जब उनके साथ यह हो सकता है तो मैं तो एक आम इंसान हूँ। कल को मेरी नौकरी गई तो मैं क्या करूँगा !
मैंने उन्हें मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध लाइन से समझना चाहा और कहा- तो क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात भी न करें !
वे बोले- मुझे नहीं जाना प्रोटेस्ट , फ्रोटेस्ट में...
इतना कहकर वे चलते बने...

साधो, गोरख पाण्डेय की एक प्रसिद्ध कविता है-

वे डरते हैं

किस चीज़ से डरते हैं वे

तमाम धन-दौलत

गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद ?

वे डरते हैं

कि एक दिन

निहत्थे और ग़रीब लोग

उनसे डरना

बंद कर देंगे ।

साधो, लोग डरना बन्द न  कर दें इसलिए समय समय पर सरकार या सरकार समर्थक  आम जनता को डराने के लिए अपनी गलत नीतियों और फैसलों के विरोध में बोलने वालों पर  बेमतलब का एक्शन लेते रहते हैं। 

साधो, तुम्हें श्याम रंगीला याद है ? वही जो  फेमश चैनल पर मिमिक्री करके लोगों को हंसाने के लिए आया था ! उसनें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिमिक्री की जिसकी वजह से उसको शो से निकाल दिया गया। मजे की बात यह कि उनसे नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी और उसकी मिमिक्री में राहुल गांधी की खिंचाई की गई थी। उसे निकाल दिए जाने का क्या कारण हो सकता है ! 

साधो, तुम्हे एक और उदाहरण देता हूं जो शायद दो साल पहले का है।  कीकू शारदा को तो तुम जानते ही हो साधो। वही जो कपिल शर्मा शो में नये नये किरदार निभाते रहता है! कभी दूध वाला तो कभी चाय वाला। उसके डायलाग बड़े ही नस्लभेदी होते हैं, बड़े फूहड़ होते हैं। वह रेसिस्ट था , यह है तो अनैतिक पर यह उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। साधो, मैं उन्हें पसंद नहीं करता। लेकिन साधो, उसे बाबा राम रहीम की एक्टिंग और मिमिक्री करने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। इस गिरफ्तारी पर भी क्या ही कहा जाता !

साधो, और भी नाम याद आ रहे हैं जिनमें मुख्य रूप से पुण्य प्रसून वाजपेयी हैं । वे प्रसिद्द न्यूज़ चैनल में एंकर थे। प्रधानमंत्री ने अपने रेडियो कार्यक्रम ' मन की बात' में किसी गांव की एक  महिला किसान का जिक्र किया और बताया कि किस तरह उसकी आय पिछले कुछ सालों में दो गुनी हो गई है। साधो, प्रसून वाजपेयी ने उस गांव जाकर खोज पड़ताल की और अपने शो में दिखाया कि महिला की आय बढ़ी तो है पर खेती की वहज से नहीं किन्ही और कारणों से। बस इस सही रिपोर्टिंग के कारण उन्हें न्यूज चैनल से निकाल दिया गया।  ऐसा ही कुछ अभिसार शर्मा के साथ हुआ । वह भी प्रसिद्ध न्यूज़ एंकर हैं। 

साधो, अभी हाल ही में सुशांत को एक प्रसिद्ध क्राइम शो की ऐंकरिंग से महज इसलिए हटा दिया गया कि वे जामिया में छात्रों के खिलाफ हुई हिंसा से दुखी होकर मुम्बई यूनिवर्सिटी में प्रोटेस्ट में अपनी नाराजगी जता रहे थे।  परिणीति चोपड़ा ने भी उस वीभत्स घटना ओर अपनी नाराजगी जताई तो उन्हें हरियाणा के ' बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'  के ब्रांड अम्बेसडर का तमगा छीन लिया। 

कहने का मतलब यह कि साधो, हर वह इंसान जो सरकार की नीतियों और और फैसलों से  असहमत हो रहा है , चाहे वह सेलिब्रिटी ही क्यों न हो, उससे उसका रोजगार का साधन छीन लिया जा रहा। यह महज बोलने वाले को डराने या प्रभावित करने के लिए नहीं हो रहा बल्कि आम जन को भी डराने के लिए ऐसा किया जा रहा है। 

साधो, यह उनका डर है कि कहीं लोग डरना बन्द न कर दें। इसलिए वे लोगों को नौकरी से हटाने, जेल में डालने जैसे कार्य करते रहते हैं। 

साधो, पिछले लगभग एक महीने से हो रहे देश भर में प्रोटेस्ट, लाठी खाते, गोली खाते जेल में जाते लोगों को देखकर लगता तो यही है कि लोगों ने उनसे डरना बन्द कर दिया है। 

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