‘न्याय में सबसे बड़ी बाधा सीएम बीरेन सिंह हैं’: मणिपुर का दौरा कर लौटी AIDWA टीम

Written by Newsclick Report | Published on: August 17, 2023
“मणिपुर के हालात में सुधार की सख़्त ज़रूरत है। हालांकि, ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अपने पद पर बने रहेंगे।”



नई दिल्ली: “मणिपुर में स्थिति अब भी अस्थिर बनी हुई है और इसमें सुधार की सख्त ज़रूरत है। हालांकि, ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अपने पद पर बने रहेंगे।” ये कड़े शब्द ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (AIDWA) के एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की ओर से आए, जो पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा के बाद लौटा है, जहां इस साल 3 मई से जातीय हिंसा देखी जा रही है।

यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पोलिट ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, जो AIDWA सचिव मरियम धवले और अध्यक्ष पीके श्रीमती के साथ उस टीम का हिस्सा थीं, ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा कि देश की जनता मणिपुर के साथ खड़ी है। हालांकि, कड़वी सच्चाई यह है कि राज्य और केंद्र सरकार अब मणिपुर के साथ खड़ी नहीं है। यह अविश्वसनीय है कि भारत का एक राज्य भौगोलिक और भावनात्मक रूप से बंटा हुआ है।”

करात ने कहा, “मुझे हैरानी है कि पीएम मोदी को मणिपुर की स्थिति के बारे में कौन जानकारी दे रहा है, जो वह कह रहे हैं कि राज्य में शांति लौट रही है। जब तक इंफाल से निकाले गए लोग वापस नहीं लौट आते तब तक शांति नहीं हो सकती। जब तक आदिवासी इलाकों से भागे लोग अपने घरों को नहीं लौटेंगे, तब तक शांति नहीं हो सकती। यह एक वॉर ज़ोन है और प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर की स्थिति के बारे में लोगों को गुमराह किया।”

सीपीआई (एम) नेता ने कहा कि "हर जगह आधार कार्ड की जांच की जा रही है और अगर आप दूसरे समुदाय से हैं, तो आपकी जान जाने का खतरा लगातार बना हुआ है।"

“हमने राहत शिविरों में विस्थापित हज़ारों बच्चों को देखा, जिन्होंने अपना पूरा साल सिर्फ इसलिए बर्बाद कर दिया क्योंकि वे अपनी परीक्षा में नहीं बैठ सके। जो समुदाय पहले से ही शोषित थे, उन्हें इस सरकार और इसकी नीतियों ने हाशिये पर धकेल दिया है।”

मणिपुर का दौरा करने वाली टीम के मुताबिक लोगों का 'सबसे बड़ा दुख' 100 दिनों के बाद भी न्याय न मिलना है।

करात ने कहा, “न्याय की प्रक्रिया एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है। यौन हिंसा के पीड़ितों को अभी भी न्याय नहीं मिला है। 15 अगस्त के दिन बीरेन सिंह ने कहा कि लोगों को सब भूलकर और माफ करके आगे बढ़ना चाहिए। मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि क्या वह यह कह रहे हैं कि बलात्कार पीड़ितों को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में भूल जाना चाहिए।”

AIDWA टीम ने कहा कि लोगों ने उन्हें बताया कि उनकी जातीयता, पहचान और धर्म के कारण उनके साथ अपराध किए गए। “अगर वहां ऐसा हो सकता है तो यह देश के किसी भी कोने में हो सकता है। हमने देखा कि न्याय में सबसे बड़ी बाधा खुद सीएम बीरेन सिंह हैं। प्रशासन की असंवेदनशीलता उनके लिए गर्व की बात है क्योंकि उन्हें मोदी सरकार का समर्थन प्राप्त है।”

संसद में गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान का ज़िक्र करते हुए जिसमें उन्होंने कहा था कि बीरेन सिंह को हटाया नहीं जा सकता क्योंकि वह केंद्र के साथ 'सहयोग' कर रहे हैं, करात ने कहा, “मैं पूछना चाहती हूं कि वह किसके साथ सहयोग कर रहे हैं? भारत के संविधान के साथ? पीड़ितों के साथ?”

करात ने कहा कि अशांति ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है जहां महिलाएं स्थानीय हथकरघा उद्योगों में कार्यरत थीं। उन्होंने कहा, “दोनों समुदायों की गरीब महिलाओं ने हमें बताया कि स्थिति इतनी गंभीर है कि वे दिन में एक बार खाना खा रही हैं क्योंकि खाद्यान्न की आपूर्ति नहीं है। उन्हें कोई क़र्ज़ नहीं मिल सकता क्योंकि स्थानीय साहूकारों के पास नकदी खत्म हो गई है।”

धवले ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने चुराचांदपुर का दौरा किया, जिसे अब स्थानीय लोग 'लमका' कहते हैं। उन्होंने कहा कि वहां लगभग 250 राहत शिविर हैं जिनमें 15,000 से ज़्यादा लोग आश्रय ले रहे हैं।

उन्होंने आगे बताया, “उस युवा लड़की और वृद्ध महिला से मिलना हृदय विदारक था, जिनकी आपबीती ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। पुलिस ने इन महिलाओं को दंगाई भीड़ के हवाले कर दिया। जब हमें इस घटना के बारे में बताया गया उस वक़्त उस युवा लड़की के छोटे भाई और पिता की उसे बचाने की हताशा महसूस की जा सकती थी। भाई ने अपनी बहन को कसकर पकड़ लिया और किसी तरह दोनों पीड़ित राहत शिविर में पहुंचे।”

धवले ने कहा कि उस युवा लड़की ने उन्हें बताया कि वह अपनी मां को यह नहीं बता सकती कि उसके साथ क्या हुआ था क्योंकि वह पहले से ही अपने बेटे और पति की मौत के कारण पीड़ित है। धवले ने कहा, “लड़की ने अपनी भयानक तकलीफ़ को कई दिनों तक अपने अंदर दबाए रखा। वीडियो सामने आने के बाद मां को इसकी जानकारी हुई जिससे उनका दिल टूट गया।”

AIDWA टीम के दौरे के बाद जारी एक रिपोर्ट में मां के हवाले से कहा गया, “मैं अपना दुख शब्दों में बयां नहीं कर सकती। कोई भी धनराशि हमारे नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती। हम इस सरकार से लड़ने में मदद चाहते हैं और अपने लिए एक अलग प्रशासन चाहते हैं। मैं अपने बेटे और पति के शव देखना चाहती हूं, कृपया इसमें मेरी मदद करें।”

उनके अनुसार, ज़िला कलेक्टर ने उन्हें बताया कि शव (पति और बेटे) इंफाल के मुर्दाघर में रखे हुए थे क्योंकि बिष्णुपुर में मुर्दाघर क्षमता से अधिक भरा हुआ था। इसकी क्षमता 18 लोगों की है और असल में वहां 39 शव रखे गए थे।

बुज़ुर्ग महिला ने कहा, “हम नहीं चाहते कि किसी भी समुदाय की कोई भी महिला उस दौर से गुज़रे जो हमने सहा है। मेरा बेटा एक कॉलेज के हॉस्टल में रहता था। मैंने मार्च के बाद से उसे नहीं देखा था। अब मैं उसे दोबारा कभी नहीं देख पाउंगी। हम चाहते हैं कि ये सब जल्द से जल्द खत्म हो।”

अपनी मांगें रखते हुए पीके श्रीमती ने कहा कि न्याय की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बीरेन सिंह को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम मांग करते हैं कि पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए हिंसा का उचित मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, बलात्कार, हत्या, सामूहिक बलात्कार और हिंसा के सभी दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। राज्य में आर्थिक स्थिरता लौटने तक सभी निवासियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 10 किलो राशन दिया जाना चाहिए।”

Courtesy: Newsclick

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