सोनाई गांव में हुई इस बर्बर घटना के पीछे पुरानी रंजिश का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत मामला दर्ज किया है

महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां 22 वर्षीय एक दलित युवक को 11 लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर अगवा कर निर्ममता से प्रताड़ित किया। यह भयावह वारदात 19 अक्टूबर को सोनाई गांव में हुई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, यह घटना पुरानी रंजिश का नतीजा है। शिकायत में बताया गया है कि पीड़ित युवक अपने एक दोस्त के साथ अस्पताल के पास खड़ा था, तभी मुख्य आरोपी संभाजी लांडे - जिसकी पीड़ित से पहले से दुश्मनी थी - अपने 10-11 साथियों के साथ वहां पहुंच गया।
आरोपियों ने वहां पहुंचते ही पीड़ित युवक पर हमला कर दिया और उसे लात-घूंसों तथा लाठियों से बेरहमी से पीटने लगे। जब पीड़ित के दोस्त ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उसे भी नहीं छोड़ा और उसकी भी पिटाई कर दी।
हमलावरों की दरिंदगी यहीं नहीं थमी। उन्होंने पीड़ित युवक को जबरन एक एसयूवी में बिठाकर अज्ञात स्थान पर ले गए, जहां उसके साथ दोबारा बर्बर पिटाई की गई। एफआईआर में यह भी आरोप लगाया है कि इस अमानवीय कृत्य के दौरान आरोपियों ने पीड़ित पर पेशाब किया और उसे लगातार जातिसूचक गालियां देकर अपमानित किया।
सोनाई के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लगभग एक घंटे तक चली इस भयावह घटना के बाद आरोपी युवक को गंभीर अवस्था में एक कॉलेज ग्राउंड के पास फेंककर फरार हो गए। बाद में पीड़ित के माता-पिता ने उसे स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे जिला मुख्यालय के सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया।
पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इन धाराओं में गंभीर चोट पहुंचाना, खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करना और अपहरण जैसे अपराध शामिल हैं।
पुलिस ने बताया, “मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के प्रावधान भी जोड़े गए हैं। अब तक मुख्य आरोपी संभाजी लांडे समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की तलाश में छापेमारी जारी है।”
इस बीच, वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने इस जघन्य कृत्य की तीव्र निंदा की है। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने पीड़ित के पिता से बातचीत की है और परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। अंबेडकर ने अधिकारियों से मांग की है कि आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत भी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही पीड़ित परिवार से मुलाकात करेंगे।
हाल ही में मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक दलित समुदाय के ड्राइवर ने तीन युवकों पर गंभीर आरोप लगाए है। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने उसे बंधक बनाकर न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि उसे जबरन पेशाब पीने के लिए भी मजबूर किया।
मामले की सूचना मिलते ही पीड़ित को भिंड जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं एडिशनल एसपी संजीव पाठक और कलेक्टर करोड़ी लाल मीणा अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने पीड़ित से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी ली।
लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित युवक ने पुलिस को बताया कि वह पेशे से ड्राइवर है। पहले वह दतावली गांव के निवासी सोनू बरुआ की बोलेरो गाड़ी चलाता था, लेकिन कुछ दिन पहले उसने यह काम छोड़ दिया था। इसके बाद वह ग्वालियर के दीनदयाल नगर स्थित अपने ससुराल में रहने लगा।
ड्राइवर के अनुसार, सोनू बरुआ अपने दो साथियों - आलोक पाठक (दतावली निवासी) और छोटू ओझा (भिंड निवासी) - के साथ उसके ससुराल पहुंचा। तीनों ने जबरन उसे अपनी कार में बैठाया और अगवा कर भिंड के सुरपुरा गांव ले गए।
पीड़ित ने आरोप लगाया कि सुरपुरा गांव लाने के बाद तीनों आरोपियों ने उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उसे बंधक बनाकर रखा गया, बेरहमी से पीटा गया और जबरन शराब पिलाई गई। पीड़ित का सबसे गंभीर आरोप यह है कि उसे जबरदस्ती पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया। मारपीट के चलते जब उसकी हालत बिगड़ने लगी, तो आरोपी उसे वहीं छोड़कर फरार हो गए। इसके बाद पीड़ित ने किसी तरह अपने परिवार को फोन कर घटना की जानकारी दी, जिसके बाद परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया।
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द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, यह घटना पुरानी रंजिश का नतीजा है। शिकायत में बताया गया है कि पीड़ित युवक अपने एक दोस्त के साथ अस्पताल के पास खड़ा था, तभी मुख्य आरोपी संभाजी लांडे - जिसकी पीड़ित से पहले से दुश्मनी थी - अपने 10-11 साथियों के साथ वहां पहुंच गया।
आरोपियों ने वहां पहुंचते ही पीड़ित युवक पर हमला कर दिया और उसे लात-घूंसों तथा लाठियों से बेरहमी से पीटने लगे। जब पीड़ित के दोस्त ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उसे भी नहीं छोड़ा और उसकी भी पिटाई कर दी।
हमलावरों की दरिंदगी यहीं नहीं थमी। उन्होंने पीड़ित युवक को जबरन एक एसयूवी में बिठाकर अज्ञात स्थान पर ले गए, जहां उसके साथ दोबारा बर्बर पिटाई की गई। एफआईआर में यह भी आरोप लगाया है कि इस अमानवीय कृत्य के दौरान आरोपियों ने पीड़ित पर पेशाब किया और उसे लगातार जातिसूचक गालियां देकर अपमानित किया।
सोनाई के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लगभग एक घंटे तक चली इस भयावह घटना के बाद आरोपी युवक को गंभीर अवस्था में एक कॉलेज ग्राउंड के पास फेंककर फरार हो गए। बाद में पीड़ित के माता-पिता ने उसे स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे जिला मुख्यालय के सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया।
पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इन धाराओं में गंभीर चोट पहुंचाना, खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करना और अपहरण जैसे अपराध शामिल हैं।
पुलिस ने बताया, “मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के प्रावधान भी जोड़े गए हैं। अब तक मुख्य आरोपी संभाजी लांडे समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की तलाश में छापेमारी जारी है।”
इस बीच, वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने इस जघन्य कृत्य की तीव्र निंदा की है। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने पीड़ित के पिता से बातचीत की है और परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। अंबेडकर ने अधिकारियों से मांग की है कि आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत भी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही पीड़ित परिवार से मुलाकात करेंगे।
हाल ही में मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक दलित समुदाय के ड्राइवर ने तीन युवकों पर गंभीर आरोप लगाए है। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने उसे बंधक बनाकर न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि उसे जबरन पेशाब पीने के लिए भी मजबूर किया।
मामले की सूचना मिलते ही पीड़ित को भिंड जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं एडिशनल एसपी संजीव पाठक और कलेक्टर करोड़ी लाल मीणा अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने पीड़ित से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी ली।
लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित युवक ने पुलिस को बताया कि वह पेशे से ड्राइवर है। पहले वह दतावली गांव के निवासी सोनू बरुआ की बोलेरो गाड़ी चलाता था, लेकिन कुछ दिन पहले उसने यह काम छोड़ दिया था। इसके बाद वह ग्वालियर के दीनदयाल नगर स्थित अपने ससुराल में रहने लगा।
ड्राइवर के अनुसार, सोनू बरुआ अपने दो साथियों - आलोक पाठक (दतावली निवासी) और छोटू ओझा (भिंड निवासी) - के साथ उसके ससुराल पहुंचा। तीनों ने जबरन उसे अपनी कार में बैठाया और अगवा कर भिंड के सुरपुरा गांव ले गए।
पीड़ित ने आरोप लगाया कि सुरपुरा गांव लाने के बाद तीनों आरोपियों ने उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उसे बंधक बनाकर रखा गया, बेरहमी से पीटा गया और जबरन शराब पिलाई गई। पीड़ित का सबसे गंभीर आरोप यह है कि उसे जबरदस्ती पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया। मारपीट के चलते जब उसकी हालत बिगड़ने लगी, तो आरोपी उसे वहीं छोड़कर फरार हो गए। इसके बाद पीड़ित ने किसी तरह अपने परिवार को फोन कर घटना की जानकारी दी, जिसके बाद परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया।
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