यूपी को अब 'एनकाउंटर राज्य' की संज्ञा दी जा सकती है क्योंकि यहां कानून का राज नहीं- संदीप पांडेय

Written by sabrang india | Published on: July 16, 2020
नई दिल्ली। पत्रकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाल की पहल पर आयोजित एक वेबिनार में 'उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन और मानवाधिकार' पर चर्चा की गई है। इस वेबिनार में शामिल हुए मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय ने कहा कि मोहम्मद शोएब, एसआर दारापुरी आदि जैसे लोगों के खिलाफ खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। ये बड़ी अजीब सी बात है कि सरकार लोगों से अपेक्षा करती है कि वो अपने काम बंद रखें और कार्यालयों में कम जाएं लेकिन पुलिस विभाग अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ पूरी तरह से सक्रिय है। 



पांडेय ने अभी अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर कहा कि अभी कानपुर में कहर ढहाया गया। हमारे योगी साहब ने विकास दुबे का घर गिरवा दिया और उसका एनकाउंटर भी हो गया। जब पांच हजार एनकाउंटर हुए थे तब योगी सरकार ने कहा था कि सभी अपराधी मारे गए हैं या वो अपनी जमानत रद्द करवाकर जेल चले गए। इसके बावजूद एक खूंखार अपराधी योगी सरकार से कैसे छूट गया, यह बात समझ में नहीं आती है जिस तरह से वह कार्रवाई हुई तो सवाल खड़े हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश को अब एनकाउंटर राज्य की संज्ञा दी जा सकती है क्योंकि यहां कानून का राज नहीं है। ये स्थिति तो हमारे मानवाधिकार उल्लंघन और नागरिक अधिकार उल्लंघन को लेकर है।

कोविड 19 लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को हुई तकलीफों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो मजदूर घर वापस लौट रहा था, उसके साथ भी किस तरह का बर्ताव हुआ, उस पर गौर किया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने सरकार से कहा कि हम आपको हजार बसें देते हैं, ताकि आप मजदूरों को लेकर आ पाएं क्योंकि बसें चल नहीं रहीं थीं। इन्होंने कांग्रेस पार्टी से हजार बसों की सूची मांगी। उसमें कुछ जो पंजीकरण संख्या अन्य वाहनों की थी बसों की नहीं थी। दूसरे वाहनों की थी तो कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने फर्जी जानकारी दी है। उनको जेल भेज दिया गया।

पांडेय आगे कहते हैं, 'उसके बाद योगी साहब कहते हैं कि हमारे पास नब्बे हजार बसों का बेड़ा है, हम चाहें तो पूरे देश के मजदूरों को अपने प्रदेश में ला सकते हैं। आपके पास बसें थीं तो आपने कांग्रेस हजार बसों की सूची क्यों मांगी। कोरोना के संकट के दौर में भी जिस तरह की राजनीति हो रही है, बजाए इसके कि आप लोगों का ठीक से इलाज करवाएं, लोगों को ठीक से भोजन उपलब्ध करवाएं, उनके आने जाने की व्यवस्था करें, कांग्रेस पार्टी के खिलाफ राजनीति इनकी प्राथमिकता थी, न कि लोगों की देखभाल करना। सबने देखा कि ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के ही थे जो लौटकर आ रहे थे। हमने देखा कि वह कैसे सड़कों पर चल रहे थे। जिसको साधन मिल रहा था वो उससे आ रहा था लेकिन उनको यातायात के साधन मुहैया नहीं करवाए गए। ये सारे दृश्य सभी ने देखे हैं।' 
 

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