एक दलित परिवार को अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने के लिए खेतों से गुजरकर कब्रिस्तान जाना पड़ा। क्योंकि, वहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। इससे फसलों को भी नुकसान हुआ। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव के साथ ही आदिवासी कल्याण, राजस्व, नगरीय निकाय और जल आपूर्ति विभागों के प्रमुख सचिवों को पार्टी बनाकर उनसे जवाब मांगा है।
चेन्नई। 'हमने सदियों तक निचली जातियों के साथ खराब व्यवहार किया। आज भी उनके साथ ठीक बर्ताव नहीं हो रहा है। उनके पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। इसलिए हमें अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए।' यह बयान मद्रास हाई कोर्ट ने दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाई कोर्ट की एक बेंच ने एक अखबरा में छपी एक खबर पर खुद ही संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की।
खबर में बताया गया था कि एक दलित परिवार को अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने के लिए खेतों से गुजरकर कब्रिस्तान जाना पड़ा। क्योंकि, वहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। इससे फसलों को भी नुकसान हुआ। कोर्ट ने कहा कि 'समाज के दूसरे लोगों की तरह अनुसूचित जाति के लोगों को भी कब्रिस्तान या विश्राम घाट तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क की सुविधा मिलनी चाहिए। लेकिन, इस खबर से पता चलता है कि उनके पास ऐसी सुविधा, अब भी कई जगह नहीं है। इसीलिए अदालत ने इस खबर को जनहित याचिका मानकर सुनवाई की है।
इस मामले में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव के साथ ही आदिवासी कल्याण, राजस्व, नगरीय निकाय और जल आपूर्ति विभागों के प्रमुख सचिवों को पार्टी बनाकर उनसे जवाब मांगा है। अफसरों से अनुसूचित जाति की बस्तियों में मौजूद सुविधाओं को लेकर सवाल भी पूछे। कहा कि बुनियादी सुविधाएं पाना सभी का हक है।
चेन्नई। 'हमने सदियों तक निचली जातियों के साथ खराब व्यवहार किया। आज भी उनके साथ ठीक बर्ताव नहीं हो रहा है। उनके पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। इसलिए हमें अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए।' यह बयान मद्रास हाई कोर्ट ने दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाई कोर्ट की एक बेंच ने एक अखबरा में छपी एक खबर पर खुद ही संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की।
खबर में बताया गया था कि एक दलित परिवार को अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने के लिए खेतों से गुजरकर कब्रिस्तान जाना पड़ा। क्योंकि, वहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। इससे फसलों को भी नुकसान हुआ। कोर्ट ने कहा कि 'समाज के दूसरे लोगों की तरह अनुसूचित जाति के लोगों को भी कब्रिस्तान या विश्राम घाट तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क की सुविधा मिलनी चाहिए। लेकिन, इस खबर से पता चलता है कि उनके पास ऐसी सुविधा, अब भी कई जगह नहीं है। इसीलिए अदालत ने इस खबर को जनहित याचिका मानकर सुनवाई की है।
इस मामले में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव के साथ ही आदिवासी कल्याण, राजस्व, नगरीय निकाय और जल आपूर्ति विभागों के प्रमुख सचिवों को पार्टी बनाकर उनसे जवाब मांगा है। अफसरों से अनुसूचित जाति की बस्तियों में मौजूद सुविधाओं को लेकर सवाल भी पूछे। कहा कि बुनियादी सुविधाएं पाना सभी का हक है।