मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में एक रुपए में गेहूं, चावल और अन्य सामान देने का दावा तो किया, लेकिन इसे व्यवहार में अमल में नहीं ले पाई। गरीबों की भलाई का दावा करना केवल दावा ही रहा और शिवराज का ये कार्यकाल भी पूरा होने को आ गया।
योजनाएं बनीं लेकिन वो केवल भ्रष्टाचार का जरिया ही बनीं और आम लोगों तक उनका लाभ नहीं पहुंच पाया। गांवों की गलियों में साफ-सफाई की केवल बातें ही होती रहीं और कचरा हर तरफ वैसे ही जमा रहा। ढिंढोरा स्वच्छता अभियान का काफी पीटा गया लेकिन व्यवहार में कुछ नहीं दिखा।
महाकौशल इलाके के नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र में लोगों को तीन माह से राशन तक नहीं मिला जबकि शिवराज सिंह चौहान हर तरफ एक रुपए में गेहूं, चावल और अन्य खाद्य सामग्री देने का दावा करते रहे।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, बांस कुंवारी गांव से राशन की दुकान सात किलोमीटर दूर डेडवारा में शिफ्ट कर दी गई। गांव के लोग काम-धाम छोड़कर वहां का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उन्हें राशन नहीं मिलता। तीन माह से किसी को राशन नहीं मिला।
यही कारण है कि सरकार की योजनाओं का जिक्र सुनकर ही इलाके के लोगों का गुस्सा झलकने लगता है। ग्रामीण दो बार तो कलेक्टर से भी राशन न मिलने की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन जैसी सरकार है, वैसे ही उसके अधिकारी।
बांस कुंवारी गांव में पढ़ाई-लिखाई का भी सही इंतजाम नहीं है। गांव में मिडिल स्कूल है लेकिन प्राइमरी स्कूल के लिए गांव के बच्चों को बरगी जाना पड़ता है।
डेडवारा गांव में भी पुरानी बस्ती को 6 माह पहले प्रशासन ने रोड बनाने के नाम पर उजाड़ दिया था और लोगों के पक्के घर तोड़ दिए थे। गांव वालों को एक किलोमीटर दूर एक खेत में बसा दिया गया है, लेकिन वहां न तो सडक़ है, न पीने का पानी है और न ही रास्ता।
लोगों को आश्वासन दिया गया था कि नई जगह पर उन्हें सारी सुविधाएं दी जाएंगी, घर तो किसी तरीके से मिट्टी की दीवार उठाकर पन्नी लगा कर बना लिया पर प्रशासन ने न तो नाली बनवाई न रोड। पीने के पानी के लिए केवल एक हैंडपंप लगा दिया है जिससे 62 परिवार अपना पानी भरते हैं।
लोगों के घर तोडक़र उन्हें बेघर करने के बाद उन्हें जरूरी सुविधाएं भी नहीं दीं और अब उनसे वोट देने की अपील की जा रही है तो लोगों का गुस्सा होना स्वाभाविक है।
योजनाएं बनीं लेकिन वो केवल भ्रष्टाचार का जरिया ही बनीं और आम लोगों तक उनका लाभ नहीं पहुंच पाया। गांवों की गलियों में साफ-सफाई की केवल बातें ही होती रहीं और कचरा हर तरफ वैसे ही जमा रहा। ढिंढोरा स्वच्छता अभियान का काफी पीटा गया लेकिन व्यवहार में कुछ नहीं दिखा।
महाकौशल इलाके के नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र में लोगों को तीन माह से राशन तक नहीं मिला जबकि शिवराज सिंह चौहान हर तरफ एक रुपए में गेहूं, चावल और अन्य खाद्य सामग्री देने का दावा करते रहे।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, बांस कुंवारी गांव से राशन की दुकान सात किलोमीटर दूर डेडवारा में शिफ्ट कर दी गई। गांव के लोग काम-धाम छोड़कर वहां का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उन्हें राशन नहीं मिलता। तीन माह से किसी को राशन नहीं मिला।
यही कारण है कि सरकार की योजनाओं का जिक्र सुनकर ही इलाके के लोगों का गुस्सा झलकने लगता है। ग्रामीण दो बार तो कलेक्टर से भी राशन न मिलने की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन जैसी सरकार है, वैसे ही उसके अधिकारी।
बांस कुंवारी गांव में पढ़ाई-लिखाई का भी सही इंतजाम नहीं है। गांव में मिडिल स्कूल है लेकिन प्राइमरी स्कूल के लिए गांव के बच्चों को बरगी जाना पड़ता है।
डेडवारा गांव में भी पुरानी बस्ती को 6 माह पहले प्रशासन ने रोड बनाने के नाम पर उजाड़ दिया था और लोगों के पक्के घर तोड़ दिए थे। गांव वालों को एक किलोमीटर दूर एक खेत में बसा दिया गया है, लेकिन वहां न तो सडक़ है, न पीने का पानी है और न ही रास्ता।
लोगों को आश्वासन दिया गया था कि नई जगह पर उन्हें सारी सुविधाएं दी जाएंगी, घर तो किसी तरीके से मिट्टी की दीवार उठाकर पन्नी लगा कर बना लिया पर प्रशासन ने न तो नाली बनवाई न रोड। पीने के पानी के लिए केवल एक हैंडपंप लगा दिया है जिससे 62 परिवार अपना पानी भरते हैं।
लोगों के घर तोडक़र उन्हें बेघर करने के बाद उन्हें जरूरी सुविधाएं भी नहीं दीं और अब उनसे वोट देने की अपील की जा रही है तो लोगों का गुस्सा होना स्वाभाविक है।