मध्यप्रदेश: एक और पेंशन घोटाला

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 26, 2018
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार के जाते-जाते एक और पेंशन घोटाला सामने आया है। राजगढ़ जिले में निराश्रित पेंशन योजना में सामाजिक न्याय विभाग में फर्जी हस्ताक्षरों के जरिए 41 लाख 79 हजार रुपए की पेंशन निकाली गई। इस मामले में विशेष न्यायालय ने जिले में पदस्थ रहे चार उप संचालकों के खिलाफ धोखाखड़ी की एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा तीन कलेक्टरों को नोटिस जारी कर 12 नवंबर को अदालत में तलब किया है।

Madhya Pradesh
 
लोक अभियोजक गिरीश शर्मा के मुताबिक सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक कार्यालय से निराश्रित पेंशन योजना के तहत 19 चेकों के जरिए 5 अप्रैल 2007 से 17 मई 2010 के बीच 41 लाख 79 हजार रुपए निकाले गए थे। उस समय ऑडिट नहीं होने के कारण यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई थी।
 
इसके बाद विभाग के सहायक ग्रेड-3 प्रमोद श्रीवास्तव ने 13 मई 2017 को कोतवाली में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की राजमहल शाखा के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की थी। इस पर कोतवाली ने बैंक के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 120 बी के तहत धोखाधड़ी का केस दर्ज कर अदालत में प्रस्तुत किया था।
 
नईदुनिया की खबर के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश राजेश कुमार गुप्ता ने उस दौरान राजगढ़ में रहे सामाजिक न्याय विभाग के चार उप संचालकों मनोज बाथम, आरएल भारतीय, एमके त्रिपाठी और मीना श्रीवास्तव के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 409, 120-बी के तहत आरोपी मानते हुए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
 
अदालत ने तत्कालीन कलेक्टर जीपी तिवारी, शिवानंद दुबे और लोकेश जाटव को कारण बताओ नोटिस जारी कर 12 नवंबर को अदालत में पेश होने के आदेश भी दिए हैं।
 

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